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धम्मचक्क दिवस 2022- भारत का राष्ट्रीय प्रतीक 

भारत का राष्ट्रीय प्रतीक- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के प्रमुख पहलुओं को  समाज हित करेगी।

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समाचारों में धम्मचक्क दिवस 2022 

  • हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद ने आज एक वीडियो संदेश के माध्यम से उत्तर प्रदेश के सारनाथ में धम्मचक्क दिवस 2022 समारोह को संबोधित किया।

 

धम्मचक्क दिवस 2022

  • धम्मचक्क दिवस 2022 के बारे में: धम्मचक्क दिवस 2022 बुद्ध के प्रथम उपदेश या धम्म के पहिये के प्रथम प्रवर्तन की याद दिलाता है।
    • इस दिन, उन्होंने धम्मचक्क-पवत्तन सुत्त (पाली) या धर्मचक्र प्रवर्तन सूत्र (संस्कृत) की शिक्षा दी।
  • आयोजक मंत्रालय: संस्कृति मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन) के सहयोग से आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आषाढ़ पूर्णिमा दिवस मना रहा है।
  • महत्व: धम्मचक्क दिवस 2022 (आषाढ़ पूर्णिमा) वैशाख बुद्ध पूर्णिमा के पश्चात बौद्धों के धर्म का दूसरा  सर्वाधिक महत्वपूर्ण पवित्र दिन है।

 

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भारत के राष्ट्रीय प्रतीक

  • भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के बारे में: भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक के सारनाथ सिंह से एक रूपांतर है। सारनाथ का अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के वाराणसी के समीप सारनाथ में अवस्थित है।
  • प्रमुख विशेषताएं: मूल स्तंभ में, चार शेर हैं, जो एक के बाद एक शीर्ष फलक पर आरूढ़ हैं, जिसमें पहियों द्वारा पृथक किए गए एक घंटी के आकार के कमल के ऊपर एक हाथी, एक सरपट दौड़ता हुआ अश्व तथा एक वृषभ एवं सिंह की उच्च नक्काशी में प्रतिमाएं हैं।
    • पॉलिश किए गए बलुआ पत्थर के एक ब्लॉक से उत्कीर्णित स्तंभशीर्ष को कानून के पहिये (धर्म चक्र) द्वारा अभिषिक्त किया गया है।
    • सारनाथ स्तंभ का द्वि-आयामी चित्र भारत सरकार का आधिकारिक प्रतीक है।
    • राष्ट्रीय प्रतीक चार शेरों में से केवल तीन को दर्शाता है, जो शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास का प्रतीक है।
    • राज्य चिन्ह के आधार पर केंद्र में एक धर्म चक्र है तथा इसके दोनों ओर एक वृषभ एवं एक अश्व है।
    • सत्यमेव जयते इस पर देवनागरी लिपि में लिखा गया है जिसका स्रोत मुंडकोपनिषद में है।
  • सारनाथ का महत्व: यह बौद्ध धर्म के चार प्रमुख स्थलों में से एक है –
  • बोधगया: बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई;
  • सारनाथ: बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया;
  • श्रावस्ती: बुद्ध ने अधिकांश चातुर्मास बिताए एवं अधिकांश उपदेश दिए; तथा
  • कुशीनगर: बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।

 

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