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क्या है ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव?: ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव जनता का 11 दिनों का त्योहार है। ओडिशा में प्रत्येक वर्ष धान की कटाई के अंत में आयोजित होने वाले धनु यात्रा महोत्सव के दौरान भगवान श्री कृष्ण से संबंधित प्रसंग लोक कला रूपों के माध्यम से प्रस्तुत किए जाते हैं जो लाखों लोगों के दिलों को छूते हैं।
‘धनु यात्रा‘ महोत्सव के बारे में क्या खबर है?
- विश्व का सबसे बड़ा मुक्ताकाश रंगमंच (ओपन-एयर थिएटर) महोत्सव ‘धनु यात्रा’ 27 दिसंबर, 2022 को दो वर्ष के अंतराल के पश्चात ओडिशा के बरगढ़ में प्रारंभ हुआ।
- त्योहार के अवसर को चिह्नित करने के लिए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को बधाई दी।
- जीवंत धनु यात्रा महोत्सव ओडिशा की संस्कृति से जुड़ा है।
आइए धनु यात्रा महोत्सव की पृष्ठभूमि पर एक नजर डालते हैं
- पिछली बार धनु यात्रा 31 दिसंबर 2019 से 10 जनवरी 2020 तक हुई थी।
- जबकि अगले वर्ष, इसे कोविड –19 संकट के कारण नहीं मनाया जा सका, इस वर्ष के प्रारंभ में, कार्यकारी समिति द्वारा सर्वसम्मति से यात्रा के एक और सीजन को रद्द कर दिया गया था, जिसमें राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कोविड प्रतिबंधों के मध्य एवं लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु जनता के जमावड़े से बचने के लिए त्योहार आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया गया था।
धनु यात्रा महोत्सव 2022-23 के बारे में मुख्य बातें
- धनु यात्रा महोत्सव 2022-23 27 दिसंबर से 6 जनवरी, 2023 तक आयोजित किया जा रहा है।
- देश भर के 130 सांस्कृतिक मंडलों के लगभग 3,000 कलाकार उत्सव में भाग ले रहे हैं।
- हालांकि, कंस धनु यात्रा का केंद्रीय आकर्षण है।
ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव क्या है?
- धनु यात्रा भारत के सांस्कृतिक मानचित्र में बरगढ़, ओडिशा का ग्यारह दिवसीय वार्षिक उत्सव है।
- यह ओडिशा की विरासत एवं संस्कृति के मानक के अनुरूप है।
- ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव एक मुक्ताकाश रंगमंच (ओपन-एयर थिएटर) महोत्सव है जो 5 वर्ग किमी से अधिक तक फैला हुआ है एवं इसमें एक गांव तथा एक शहर शामिल है।
- कलाकारों का चयन भी अत्यंत विस्तृत है, वस्तुतः प्रत्येक ग्रामीण की इसमें एक भूमिका होती है तथा पूरे ग्यारह दिनों के लिए, बरगढ़ के लोग राजा कंस के आदेश को मानते हैं एवं जिला प्रशासन के आदेश को नहीं।
ओडिशा के लोग धनु यात्रा उत्सव क्यों, कब और कैसे मनाते हैं?
- भारत के विभिन्न पारंपरिक त्योहारों की भांति, कृषि चक्र की महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए एक औपचारिक कैलेंडर का अनुसरण करते हुए, धनु यात्रा वर्ष 1947-48 के कटाई के मौसम के बाद, भारत की स्वतंत्रता के शीघ्र पश्चात प्रारंभ की गई थी, जो देश में ब्रिटिश कुशासन के अंत के फलस्वरूप समाज में प्रसन्नता के वातावरण का प्रतिबिंब थी।
- तब से यह प्रत्येक वर्ष धान की कटाई के अंत में आयोजित किया जाता है, जो इस क्षेत्र की प्रमुख फसल है।
- यह पौष शुक्ल के 5वें दिन से आरंभ होकर पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है।
- 11 दिनों के दौरान बरगढ़ शहर का पूरा क्षेत्र एवं बरगढ़ ब्लॉक के आस-पास के उप-शहरी हिस्से जैसे सीमेंट नगर, पधानपाली, जमुर्दा, तोरा इत्यादि कंस के राज्य – ‘मथुरा नगरी‘ में रूपांतरित हो जाते हैं।
- बरगढ़ के किनारे से प्रवाहित होने वाली जीरा नदी को जमुना नदी और नदी के दूसरी ओर ‘अंबापाली‘ के रूप में पार किया जाता है, जो पौराणिक नामकरण के अनुसार ‘गोपापुरा‘ बन जाती है।
ओडिशा के धनु यात्रा महोत्सव के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. ओडिशा का धनु यात्रा उत्सव प्रत्येक वर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर. ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव प्रत्येक वर्ष धान की कटाई के अंत में आयोजित किया जाता है, जो इस क्षेत्र की प्रमुख फसल है। यह ‘पौष शुक्ल’ के 5वें दिन से प्रारंभ होकर ‘पौष पूर्णिमा‘ पर समाप्त होता है।
प्र. ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव क्या है?
उत्तर. ओडिशा का धनु यात्रा महोत्सव एक मुक्ताकाश रंगमंच (ओपन-एयर थिएटर) महोत्सव है जो 5 वर्ग किमी से अधिक तक फैला हुआ है एवं इसमें एक गांव तथा एक शहर शामिल है। यह भगवान श्री कृष्ण की पूजा का त्योहार है और ओडिशा की संस्कृति से जुड़ा हुआ है।