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डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान

डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: पर्यावरण: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण।

डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान- संदर्भ

  • हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान एवं असम के आसपास के पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों की क्षति एवं क्षतिपूर्ति की लागत का आकलन करने हेतु पूर्व न्यायमूर्ति बी.पी. कटके की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जो मई 2020 में बागजान तेल कुएं में लगी आग से क्षतिग्रस्त हो गए थे।
  • न्यायमूर्ति कटके की समिति ने असम के मुख्य सचिव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की 10 सदस्यीय समिति को प्रतिस्थापित कर दिया है।

पृष्ठभूमि

  • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ऑयल इंडिया कॉरपोरेशन (ओआईएल) को डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में सात प्रस्तावित वेधन स्थलों हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की गई थी।
  • तब बागजान पाइप के तेल के कुएं में आग लग गई थी एवं क्षेत्र में वनस्पतियों तथा जीवों को व्यापक हानि हुई थी।
  • राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान एवं आस-पास के असम के पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों को हुई हानि एवं क्षतिपूर्ति की लागत की जांच का आदेश दिया।

डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान-मुख्य बिंदु

  • डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में: डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान असम के डिब्रूगढ़ एवं तिनसुकिया जिलों में स्थित है।
  • यह एक राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट पर स्थित एक जैव मंडल निचय भी है।
  • डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर में ब्रह्मपुत्र एवं लोहित नदियों तथा दक्षिण में डिब्रू नदी से आवृत्त है।

डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान- पारिस्थितिक महत्व

  • संरक्षण की स्थिति: यह एक राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित एक जैव मंडल निचय (बायोस्फीयर रिजर्व) है।
    • डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान को जुलाई 1997 में 765 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ एक जैव मंडल निचय के रूप में निर्दिष्ट किया गया था।
    • डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान को बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आईबीए) के रूप में अभिनिर्धारित किया गया है। यह दुर्लभ सफेद पंखों वाली जंगली बत्तखों एवं जंगली घोड़ों हेतु सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
  • वनों के प्रकार: डिब्रू-सैखोवा में अर्ध-सदाबहार वन, पर्णपाती वन, तटीय एवं दलदली वन तथा आद्र सदाबहार वनों के क्षेत्र सम्मिलित हैं।
    • उद्यान सैलिक्स वृक्षों के प्राकृतिक पुनर्जनन हेतु प्रसिद्ध है।
    • मागुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि रिजर्व का एक हिस्सा है।
  • प्रमुख वन्यजीव: डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान बाघ, हाथी, तेंदुए, जंगली बिल्ली, भालू, छोटे भारतीय गंधबिलाव, गिलहरी, गंगा डॉल्फिन, हूलॉक गिब्बन आदि स्तनधारियों की 36 प्रजातियों को पर्यावास प्रदान करने के लिए जाना जाता है।

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