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आपदा प्रबंधन: संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण

संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण

पिछले लेख में, हमने आपदा प्रबंधन की मूल बातों पर चर्चा की है। इस लेख में, हम आपदा प्रबंधन के संबंध में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर चर्चा करेंगे।

आपदा प्रबंधन के अंतरराष्ट्रीय उपाय प्रमुख रूप से संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण (यूएनडीआरआर) द्वारा संचालित हैं।

संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण

  • यूएनडीआरआर (पूर्व में यूएनआईएसडीआर) आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु संयुक्त राष्ट्र का केंद्र बिंदु है।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के रूप में, यूएनडीआरआर एक सुरक्षित, अधिक धारणीय भविष्य सुनिश्चित करने के लिए आपदा जोखिम एवं क्षति को कम करने के लिए सरकारों, भागीदारों एवं समुदायों को एक साथ लाता है।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर विश्व सम्मेलन सतत विकास के संदर्भ में आपदा एवं जलवायु जोखिम प्रबंधन पर केंद्रित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों की एक श्रृंखला है।

 

यूएनडीआरआर: 3 संस्करण

  • 1994 में योकोहामा
  • 2005 में ह्योगो
  • 2015 में सेंडाई

 

सुरक्षित विश्व के लिए योकोहामा रणनीति

इसे 1994 में अंगीकृत किया गया था। यह 10 रणनीतिक सिद्धांत प्रदान करता है जो नीचे व्यक्त किए गए हैं:

  • पर्याप्त एवं सफल आपदा न्यूनीकरण नीतियों एवं उपायों को अंगीकृत करने हेतु जोखिम मूल्यांकन एक आवश्यक कदम है।
  • आपदा राहत की आवश्यकता को कम करने में आपदा की रोकथाम एवं तत्परता का प्राथमिक महत्व है।
  • आपदा रोकथाम एवं तत्परता को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, द्विपक्षीय, बहुपक्षीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकास नीति एवं योजना के अभिन्न अंग माना जाना चाहिए।
  • आपदा को रोकने, कम करने एवं उपशमन करने हेतु क्षमताओं का विकास एवं सुदृढ़ीकरण दशक के दौरान संबोधित किया जाने वाला सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है ताकि दशक के लिए अनुवर्ती गतिविधियों हेतु एक सुदृढ़ आधार प्रदान किया जा सके।
  • भविष्य में आने वाली आपदाओं की पूर्व चेतावनी एवं प्रसारण सेवाओं सहित दूरसंचार का उपयोग करते हुए उनका प्रभावी प्रसार आपदा की सफल रोकथाम एवं तत्परता के प्रमुख कारक हैं।
  • निवारक उपाय तब सर्वाधिक प्रभावी होते हैं जब उनमें स्थानीय समुदाय से लेकर राष्ट्रीय सरकार के माध्यम से क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक सभी स्तरों पर सहभागिता सम्मिलित होती है।\
  • संपूर्ण समुदाय की उपयुक्त शिक्षा एवं प्रशिक्षण द्वारा लक्षित समूहों पर केंद्रित विकास के उचित डिजाइन एवं पैटर्न के अनुप्रयोग द्वारा भेद्यता को कम किया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आपदा को रोकने, कम करने एवं उपशमन करने हेतु आवश्यक प्रौद्योगिकी को साझा करने की आवश्यकता को स्वीकार करता है; इसे तकनीकी सहयोग के एक अभिन्न अंग के रूप में स्वतंत्र रूप से एवं समयबद्ध रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  • प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम एवं शमन में निर्धनता उन्मूलन के अनुरूप सतत विकास के एक घटक के रूप में पर्यावरण संरक्षण अनिवार्य है।
  • प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव से अपने लोगों, आधारिक संरचना एवं अन्य राष्ट्रीय संपत्तियों की रक्षा करने का प्राथमिक उत्तरदायित्व प्रत्येक देश का होता है।

 

द्वितीय यूएनडीआर: कार्रवाई के लिए ह्योगो फ्रेमवर्क

  • आपदा न्यूनीकरण सम्मेलन पर दूसरा विश्व सम्मेलन कोबे, ह्योगो में आयोजित किया गया था।
  • कोबे में भयानक हंसिन भूकंप के 10 वर्ष पश्चात एवं 2004 हिंद महासागर में सुनामी के एक माह से भी कम समय बाद  यह सम्मेलन आयोजित किया गया था।
  • आगामी सम्मेलन ने अधिक ध्यान आकर्षित नहीं किया था, किंतु हिंद महासागर की सुनामी के कारण, उपस्थिति में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई एवं अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इस घटना पर ध्यान केंद्रित किया।
  • सम्मेलन ने ह्योगो फ्रेमवर्क ऑफ एक्शन को अंगीकृत किया जिसकी 5 विशिष्ट प्राथमिकताओं पर नीचे चर्चा की गई:

 

कार्रवाई के लिए ह्योगो फ्रेमवर्क: 5 प्राथमिकताएं

  • आपदा जोखिम में न्यूनीकरण को प्राथमिकता बनाना;
  • जोखिम की सूचना एवं पूर्व चेतावनी में सुधार;
  • सुरक्षा एवं प्रतिरोधक क्षमता पूर्ण संस्कृति का निर्माण;
  • प्रमुख क्षेत्रों में जोखिम कम करना;
  • प्रतिक्रिया के लिए तैयारियों को सुदृढ़ करना।

 

तृतीय यूएनडीआरआर: सेंडाई फ्रेमवर्क

  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरा संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन सेंडाई में आयोजित किया गया था।
  • सम्मेलन ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 हेतु सेंडाई फ्रेमवर्क को अंगीकृत किया।
  • सेंडाई फ्रेमवर्क 2015 पश्च के विकास एजेंडे का पहला बड़ा समझौता है, जिसमें सात लक्ष्य एवं कार्रवाई हेतु चार प्राथमिकताएं हैं।
  • जून 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसका अनुमोदन किया गया था।

 

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क 2015-2030

सेंडाई फ्रेमवर्क: 4 प्राथमिकताएं

  • आपदा जोखिम को समझना;
  • आपदा जोखिम के प्रबंधन हेतु आपदा जोखिम शासन को सुदृढ़ करना;
  • प्रतिरोधक क्षमता हेतु आपदा न्यूनीकरण में निवेश करना एवं;
  • प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए आपदा तत्परता में वृद्धि करना, एवं पुनर्स्थापना, पुनर्वास तथा पुनर्निर्माण में “बेहतर निर्माण” (बिल्ड बैक बेटर) करना।

सेंडाइ ढांचा: +7 लक्ष्य

  • 2016 – लक्ष्य (ए): 2030 तक वैश्विक आपदा मृत्यु दर को पर्याप्त सीमा तक कम करना, 2005-2030 की अवधि की तुलना में 2020-2030 के दशक में औसत प्रति 100,000 वैश्विक मृत्यु दर को कम करने का लक्ष्य निर्धारित करना;
  • 2017 – लक्ष्य (बी): 2030 तक विश्व स्तर पर प्रभावित व्यक्तियों की संख्या को पर्याप्त सीमा तक कम करना, 2005-2030 की अवधि की तुलना में 2020-2030 के दशक में प्रति 100,000 औसत वैश्विक आंकड़े को कमकरने का लक्ष्य निर्धारित करना;
  • 2018 – लक्ष्य (सी): 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संबंध में प्रत्यक्ष आपदा आर्थिक हानि को कम करना;
  • 2019 – लक्ष्य (डी): महत्वपूर्ण आधारिक संरचना एवं मूलभूत सेवाओं जिसमें  स्वास्थ्य एवं शैक्षिक सुविधाएं/संस्थानों में व्यवधान के प्रति आपदा क्षति को कम करना , जिसमें 2030 तक उनकी  प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना शामिल है;
  • 2020 – लक्ष्य (ई): 2020 तक राष्ट्रीय एवं स्थानीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों वाले देशों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करना;
  • 2021 – लक्ष्य (एफ): 2030 तक वर्तमान ढांचे (फ्रेमवर्क) केक्रियान्वयन हेतु अपने राष्ट्रीय कार्यों के पूरक के लिए पर्याप्त एवं सतत समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में पर्याप्त रूप से वृद्धि करना;
  • 2022 – लक्ष्य (जी): 2030 तक लोगों के लिए बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली एवं आपदा जोखिम सूचना तथा आकलन की उपलब्धता एवं अधिगम में पर्याप्त वृद्धि करना।

 

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