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डीआरडीओ डेयर टू ड्रीम 2.0- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण तथा नवीन तकनीक विकसित करना।
डीआरडीओ डेयर टू ड्रीम 2.0- संदर्भ
- हाल ही में रक्षा मंत्री ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ‘डेयर टू ड्रीम 0’ प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया।
- ‘डेयर टू ड्रीम 0’ पुरस्कार 40 विजेताओं को- 22 व्यक्तिगत श्रेणी में एवं 18 स्टार्टअप श्रेणी में प्रदान किया गया।
डीआरडीओ डेयर टू ड्रीम 2.0- प्रमुख बिंदु
- डीआरडीओ डेयर टू ड्रीम 0 के बारे में: डेयर टू ड्रीम डीआरडीओ की अखिल भारतीय प्रतियोगिता है जो भारतीय शिक्षाविदों, व्यक्तियों तथा स्टार्टअप्स को उभरती रक्षा एवं विमानन (एयरोस्पेस) प्रौद्योगिकियों / प्रणालियों को विकसित करने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- डीआरडीओ, प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) योजना के तहत विजेताओं को उनके विचारों को साकार करने हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- उद्देश्य:
- नवाचार, डिजाइन एवं विकास के क्षेत्र में भविष्य में अग्रणी नवाचार निर्मित करना।
- एक सशक्त एवं आत्मनिर्भर ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा देना।
- पुरस्कार: विजेताओं का फैसला विशेषज्ञ समिति द्वारा उचित मूल्यांकन के बाद किया जाएगा। विजेताओं को स्टार्ट-अप के लिए 10 लाख एवं वैयक्तिक श्रेणी के लिए 5 लाख तक का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक पुरस्कार
- रक्षा मंत्री ने वर्ष 2019 के लिए डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भी प्रदान किए।
- 35 वर्ष से कम आयु के सोलह डीआरडीओ वैज्ञानिकों को उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
अतिरिक्त सूचना
- इस अवसर पर डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित तीन उत्पादों/प्रणालियों को भी सशस्त्र बलों को सौंपा गया। ये हैं:
- एआरआईएनसी 818 वीडियो प्रोसेसिंग एवं स्विचिंग मॉड्यूल: प्रतिरूपक (मॉड्यूल), भारतीय वायु सेना के लिए विकसित किया गया।
- यह उच्च बैंडविड्थ,न्यून प्रसुप्ति काल, चैनल बॉन्डिंग, सुगम नेटवर्किंग के साथ एक अत्याधुनिक मॉड्यूल है एवं 5वीं पीढ़ी के विमान विकास कार्यक्रमों की आवश्यकताओं को को पूरा करेगा।
- सोनार प्रदर्शन मॉडलिंग प्रणाली: भारतीय नौसेना के लिए विकसित।
- यह भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों तथा पानी के नीचे अवेक्षण (निगरानी) स्टेशनों इत्यादि के लिए उपयोगी है।
- बंड ब्लास्टिंग डिवाइस एमके-II: भारतीय थलसेना के लिए विकसित किया गया।
- इसका उपयोग युद्ध के दौरान मशीनीकृत पैदल सेना की गतिशीलता में वृद्धि करने हेतु खाई-सह-बांध बाधाओं की ऊंचाई को कम करने के लिए किया जाता है।