लेखांकन में द्वैध दृष्टिकोण की अवधारणा

लेखांकन में द्वैध दृष्टिकोण की अवधारणा

  • परिभाषा: द्वैध दृष्टिकोण की अवधारणा में कहा गया है कि प्रत्येक व्यापारिक लेन-देन को दो अलग-अलग खातों में अभिलेखित करने की आवश्यकता होती है।द्वैध दृष्टिकोण की अवधारणा इंगित करती है कि किसी व्यवसाय द्वारा किया गया प्रत्येक लेन-देन व्यवसाय को दो अलग-अलग पहलुओं में प्रभावित करता है जो प्रकृति में समरूप एवं विपरीत हैं।
    • लेखांकन समीकरण: परिसंपत्तियां = देयताएं + इक्विटी
    • लेखांकन समीकरण तुलन पत्र में प्रदर्शित होता है, जहां सूचीबद्ध परिसंपत्तियों की कुल राशि समस्त देनदारियों एवं इक्विटी के योग के बराबर होनी चाहिए।
  • दोहरी प्रविष्टि लेखांकन के आधार के रूप में कार्य करता है: जो विश्वसनीय वित्तीय विवरण तैयार करने हेतु समस्त लेखांकन संरचनाओं के लिए आवश्यक है।
    • यदि प्रबंधन अपनी वित्तीय लेखा परीक्षा करना चाहता है तो द्वैध दृष्टिकोण की अवधारणा को प्रबंधन द्वारा स्वीकृत एवं अनुरक्षित रखा जाना चाहिए। यह एकमात्र प्रारूप है जिसे लेखा परीक्षक वित्तीय विवरणों पर राय जारी करने के लिए स्वीकार करेंगे।

लेखांकन में दोहरे पहलू की अवधारणा की विशेषताएं

  • द्वैध दृष्टिकोण लेखांकन में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं हैं-
    • यह एक ही समय पर एक परिसंपत्ति को घटाता है, जबकि दूसरी में वृद्धि करता है।
    • इसी तरह, यह एक विशिष्ट दायित्व को भी घटाता है, जबकि दूसरे में वृद्धि करता है।
    • एक आस्ति एवं उससे संबंधित देयता दोनों में एक साथ वृद्धि होती है।
    • इसके विपरीत, किसी आस्ति के घटने की स्थिति में संबंधित देयता भी कम हो जाती है।

लेखांकन के सिद्धांत- लेखा इकाई (पृथक इकाई अवधारणा)

लेखांकन में द्वैध दृष्टिकोण की अवधारणा के उदाहरण

  • अवधारणाओं को और अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए, छात्रों को इसे निम्नलिखित जैसे व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझना चाहिए-
  • ग्राहक को इनवॉइस जारी करना: प्रविष्टि का एक हिस्सा बिक्री में वृद्धि करता है, जो आय विवरणी में प्रदर्शित होता है, जबकि प्रविष्टि के लिए प्रतिसंतुलन तुलन पत्रों में खातों की प्राप्य परिसंपत्ति में वृद्धि करता है।
    • इसके अतिरिक्त, बिक्री में वृद्धि के कारण होने वाली आय में परिवर्तन प्रतिधारित आय में प्रदर्शित होता है, जो कि तुलन पत्र के इक्विटी खंड का हिस्सा है।
  • आपूर्तिकर्ता से एक चालान की प्राप्ति: प्रविष्टि का एक हिस्सा एक व्यय या एक परिसंपत्ति खाते में वृद्धि करता है, जो आय विवरणी (एक व्यय हेतु) अथवा तुलन पत्र (एक परिसंपत्ति हेतु) में प्रकट हो सकता है। प्रविष्टि के लिए प्रतिसंतुलन तुलन पत्रों में देय देयता खातों में वृद्धि करता है।
    • इसके अतिरिक्त, एक व्यय के अभिलेखन से होने वाली आय में परिवर्तन प्रतिधारित आय में प्रकट होता है, जो तुलन पत्र के इक्विटी खंड का हिस्सा होती है।

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manish

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