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ई-न्यायालय परियोजना: यह एक सरकारी परियोजना है जिसका उद्देश्य देश भर में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यकरण का कम्प्यूटरीकरण करना है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- सरकार की शासन पहल) के लिए ई-कोर्ट परियोजना भी महत्वपूर्ण है।
ई-न्यायालय परियोजना चर्चा में क्यों है?
हाल ही में, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में भारत में ई-कोर्ट परियोजना के कार्यान्वयन की जानकारी दी है।
- ई-न्यायालय परियोजना भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति एवं न्याय विभाग के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है। परियोजना को दो चरणों में पेश किया गया था।
- चरण I को 2011 से 2015 तक लागू किया गया था, जबकि चरण II को 2015 में आरंभ किया गया था एवं यह जारी है।
- अब तक, दूसरे चरण के तहत, कुल 18,735 जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों को ई-न्यायालय परियोजना के तहत कम्प्यूटरीकृत किया गया है।
ई-न्यायालय परियोजना के विवरण
ई-न्यायालय परियोजना भारत सरकार द्वारा देश भर में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यकरण को कम्प्यूटरीकृत करने हेतु प्रारंभ किया गया एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
- परियोजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर न्याय वितरण की एक कुशल एवं पारदर्शी प्रणाली प्रदान करना है। न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत मंच का निर्माण करने प्राथमिक उद्देश्य के साथ ई-न्यायालय परियोजना को चरणबद्ध रीति से लागू किया जा रहा है।
- ई-न्यायालय परियोजना को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (नेशनल ई गवर्नेंस प्लान/एनईजीपी) के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है, जो देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज एवं ज्ञान अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने हेतु भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
- ई-न्यायालय परियोजना भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित की जा रही है तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत अवसंरचना निर्मित करना
ई-न्यायालय परियोजना में एक व्यापक केस सूचना प्रणाली का निर्माण शामिल है, जिसमें वाद अभिलेख (केस रिकॉर्ड) का डिजिटलीकरण, कार्य प्रवाह (वर्कफ़्लो) प्रक्रियाओं का स्वचालन एवं दूरस्थ सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग तकनीक का उपयोग शामिल है। ई-न्यायालय परियोजना में कंप्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर की स्थापना, न्यायाधीशों एवं न्यायालय के कर्मचारियों का प्रशिक्षण एवं एक विश्वसनीय संचार नेटवर्क की स्थापना भी शामिल है।
ई-न्यायालय परियोजना का महत्व
ई-न्यायालय परियोजना लंबित मामलों की संख्या को कम करने एवं न्यायालय प्रणाली की दक्षता में सुधार करने में सफल रही है।
- परियोजना ने नागरिकों के लिए, विशेष रूप से दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए न्याय तक पहुंच में भी सुधार किया है।
- ई-न्यायालय परियोजना की व्यापक रूप से सराहना की गई है एवं इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम/यूएनडीपी) एवं विश्व बैंक सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मान्यता प्राप्त हुई है।
ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत सर्वोच्च न्यायालय की पहल
ई-न्यायालय परियोजना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर न्यायालय प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई एक पहल है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ पहल इस प्रकार हैं:
- ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना (ई-कोर्ट इंटीग्रेटेड मिशन मोड प्रोजेक्ट/आईसीएमएमपी): ई-कोर्ट ICMMP देश में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यकरण को कम्प्यूटरीकृत करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रारंभ किया गया एक प्रमुख कार्यक्रम है। परियोजना का उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत मंच बनाना है, जिससे अदालतें अधिक कुशल, पारदर्शी एवं सुलभ हो सकें।
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (नेशनल जुडिशल डाटा ग्रिड/NJDG): राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड एक वेब-आधारित अनुप्रयोग (एप्लिकेशन) है जो देश भर की विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) लंबित मामलों को कम करने एवं न्यायालय प्रणाली की दक्षता में सुधार करने में सहायक रहा है।
- सर्वोच्च न्यायालय ई-समिति: सर्वोच्च न्यायालय ई-समिति ई-कोर्ट परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित न्यायाधीशों की एक समिति है। समिति प्रौद्योगिकी को अपनाने एवं उनकी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में अधीनस्थ न्यायालयों (निचली अदालतों) को मार्गदर्शन एवं सहायता प्रदान करती है।
- मोबाइल एप्लिकेशन: सर्वोच्च न्यायालय ने एक मोबाइल ऐप विकसित किया है जो देश के सर्वोच्च न्यायालय तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों के वाद (मामले) की स्थिति एवं निर्णयों तक पहुंच प्रदान करता है। ऐप उपयोगकर्ताओं को अधिवक्ताओं को खोजने एवं उनकी नामांकन स्थिति की जांच करने की भी अनुमति प्रदान करता है।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग: सर्वोच्च न्यायालय ने दूरस्थ रूप से सुनवाई करने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग तकनीक को भी अपनाया है। यह कोविड-19 महामारी के दौरान विशेष रूप से उपयोगी रहा है, जिससे न्यायालय बिना किसी व्यवधान के कार्य कर सके।
- अभिलेखों का डिजिटलीकरण: सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णयों, आदेशों एवं अन्य अदालती दस्तावेजों सहित अपने सभी अभिलेखों को डिजिटाइज़ करने के लिए एक परियोजना प्रारंभ की है। परियोजना का उद्देश्य न्यायालयों के अभिलेख को अधिक सुलभ बनाना तथा खोजना सरल बनाना है, जिससे पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व में सुधार हो।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, सर्वोच्च न्यायालय की पहल भारतीय न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी को अपनाने, इसे अधिक कुशल, पारदर्शी एवं नागरिकों के लिए सुलभ बनाने में सहायक रही है।
ई-न्यायालय परियोजना के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: ई-न्यायालय परियोजना क्या है?
उत्तर: ई-न्यायालय परियोजना देश में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यकरण को कंप्यूटरीकृत करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक पहल है। परियोजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर न्याय वितरण की एक कुशल एवं पारदर्शी प्रणाली प्रदान करना है।
प्रश्न: ई-न्यायालय परियोजना के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर: ई-न्यायालय परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत मंच तैयार करना है, जिससे अदालतें अधिक कुशल, पारदर्शी एवं सुलभ हो सकें। परियोजना का उद्देश्य मामलों के लंबित मामलों को कम करना तथा नागरिकों के लिए, विशेष रूप से दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए न्याय तक पहुंच में सुधार करना है।
प्रश्न: ई-न्यायालय परियोजना के घटक क्या हैं?
उत्तर: ई-न्यायालय परियोजना में एक व्यापक केस सूचना प्रणाली का निर्माण शामिल है, जिसमें वाद अभिलेख (केस रिकॉर्ड) का डिजिटलीकरण, कार्य प्रवाह (वर्कफ़्लो) प्रक्रियाओं का स्वचालन एवं दूरस्थ सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग तकनीक का उपयोग शामिल है। परियोजना में कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर की स्थापना, न्यायाधीशों तथा न्यायालय के कर्मचारियों का प्रशिक्षण एवं एक विश्वसनीय संचार नेटवर्क की स्थापना भी शामिल है।
प्रश्न: ई-न्यायालय परियोजना को कौन कार्यान्वित कर रहा है?
उत्तर: ई-न्यायालय परियोजना को विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है।
प्रश्न: ई-न्यायालय परियोजना के क्या लाभ हैं?
उत्तर: ई-न्यायालय परियोजना के विभिन्न लाभ हैं, जिनमें मामलों के लंबित मामलों में कमी, न्यायालय प्रणाली की बेहतर दक्षता एवं नागरिकों के लिए न्याय तक बेहतर पहुंच शामिल है। परियोजना ने न्यायालय प्रणाली में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व में भी सुधार किया है।
प्रश्न: क्या ई-न्यायालय परियोजना सफल रही है?
उत्तर: हां, ई-न्यायालय परियोजना मामलों के बैकलॉग को कम करने एवं न्यायालय प्रणाली की दक्षता में सुधार करने में सफल रही है। परियोजना ने नागरिकों के लिए, विशेष रूप से दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए न्याय तक पहुंच में भी सुधार किया है। ई-न्यायालय परियोजना की व्यापक रूप से सराहना की गई है एवं इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम/यूएनडीपी) एवं विश्व बैंक सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मान्यता प्राप्त हुई है।
प्रश्न: क्या ई-न्यायालय परियोजना पूरे भारत में लागू की जा रही है?
उत्तर: हां, ई-न्यायालय परियोजना पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू की जा रही है। यह परियोजना भारत के सभी जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में कार्यान्वित की जा रही है।