Home   »   Economy   »   Ease of doing business
Top Performing

व्यापारिक सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस)

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां ​​​​एवं मंच – उनकी संरचना, अधिदेश।

हिंदी

व्यापारिक सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस): संदर्भ

  • भारत में व्यापारिक सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) निम्न बनी हुई है।
  • हाल के सुधारों ने व्यापार के लिए वातावरण में कुछ हद तक सुधार किया है, किंतु अभी एक लंबा मार्ग तय करना है।

 

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स क्या है?

  • यह विश्व बैंक द्वारा 190 अर्थव्यवस्थाओं को श्रेणीकृत ((रैंक) करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक सूचकांक है।
  • एक उच्च रैंक (1 के करीब) का तात्पर्य है कि देश का नियामक वातावरण व्यवसाय संचालन के अनुकूल है।
  • 2020 में समग्र सूचकांक में भारत 63वें स्थान पर था।
  • विश्व बैंक ने अब व्यापारिक सुगमता सूचकांक (डूइंग बिजनेस इंडेक्स) को बंद कर दिया है।

 

रैंकिंग संकेतक

रैंकिंग की गणना संकेतकों के आधार पर की जाती है जैसे:

  1. एक व्यवसाय प्रारंभ करना
  2. निर्माण परमिट के साथ निपटना
  3. विद्युत कनेक्शन पाना
  4. संपत्ति का पंजीकरण प्राप्त करना
  5. साख (ऋण/क्रेडिट) प्राप्त करना
  6. अल्पसंख्यक निवेशकों की रक्षा करना, करों का भुगतान करना
  7. सीमाओं के पार व्यापार करना
  8. अनुबंधों का प्रवर्तन एवं
  9. दिवालियापन का समाधान करना

 

अनुबंधों का प्रवर्तनकिस प्रकार मापा जाता है?

  • 2020 में, ‘अनुबंधों को लागू करने’ के मापदंडों में, भारत 2015 में 186 वें स्थान के मुकाबले 163 वें स्थान पर था। मापदंड न्यायिक प्रक्रिया के समय, लागत एवं गुणवत्ता पर विचार करता है।
  • समय न्यायालयों में एक वाणिज्यिक विवाद को सुलझाने के लिए दिनों की संख्या पर विचार करता है।
  • लागत दावा मूल्य के प्रतिशत के रूप में अधिवक्ताओं, न्यायालयों एवं प्रवर्तन के खर्चों को मापती है।
  • गुणवत्ता सर्वोत्तम पद्धतियों  के उपयोग अर्थात, न्यायालय की कार्यवाही, वाद प्रबंधन, वैकल्पिक परिवाद समाधान तथा न्यायालय स्वचालन पर विचार करती है जो दक्षता एवं गुणवत्ता को बढ़ावा दे सकती है।
  • तीनों संकेतकों में से प्रत्येक का 33.3% भारांक (वेटेज) है।

 

भारत का प्रदर्शन

  • डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2020 में लगभग 1,445 दिनों के वाणिज्यिक विवाद को हल करने में लगने वाले समय के साथ, 2020 में 163 वें स्थान पर, देश संघर्ष कर रहा है।
  • यद्यपि, अगस्त 2022 तक, विधि मंत्रालय के आंकड़ों में नई दिल्ली में 744 दिनों एवं मुंबई में 626 दिनों में विवाद को हल करने में लगने वाले दिनों में लगभग 50% का उल्लेखनीय सुधार दिखाई देता है।

 

बेहतर बनाने के लिए किए गए सुधार

  • न्याय विभाग, सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ-साथ ‘अनुबंधों को लागू करने’ संकेतक के लिए नोडल बिंदु, ने सुधारों की एक श्रृंखला प्रारंभ की है।
  • कुछ कदमों में 3 लाख रुपए तक के मौद्रिक क्षेत्राधिकार के साथ समर्पित वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना शामिल है।
  • ऑनलाइन केस फाइलिंग, न्यायालय शुल्क का ई-भुगतान, इलेक्ट्रॉनिक केस प्रबंधन, आधारिक अवसंरचना परियोजना अनुबंध (इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट कॉन्ट्रैक्ट्स) के लिए विशेष न्यायालय, साथ ही साथ व्यावसायिक मामलों का स्वचालित एवं यादृच्छिक आवंटन भी मौजूद है जिससे मानवीय हस्तक्षेप समाप्त हो जाता है।

 

आगे की राह

  • एक सक्षम न्यायपालिका निवेशकों में विश्वास सृजित करती है एवं लेनदेन की व्यावसायिक व्यवहार्यता का संकेत देती है।
  • न्यायालयों में सुनवाई की संख्या भी कम से कम होनी चाहिए; प्रायः, अधिवक्ताओं को प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होता है।
  • न्यायिक प्रणाली को संबंधित अधिवक्ताओं के माध्यम से न्यायालय के बाहर निपटान को प्रोत्साहित करना चाहिए जैसा कि उन्नत देशों में किया जाता है।
  • यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि न्यायपालिका आर्थिक शासन से संबंधित मामलों को सरकारों पर छोड़ दे।

 

सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम 5वां राष्ट्रीय पोषण माह 2022 संगीत नाटक अकादमी द्वारा रंग स्वाधीनता सचेत- कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (CAP) आधारित इंटीग्रेटेड अलर्ट सिस्टम
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 परख- सभी बोर्ड परीक्षाओं में ‘एकरूपता’ के लिए एक नया नियामक एक जड़ी बूटी, एक मानक: पीसीआईएम एवं एच तथा आईपीसी के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर संपादकीय विश्लेषण- फ्लड्स एंड फोज
उद्यमों एवं सेवाओं का विकास केंद्र (DESH) विधेयक, 2022 अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट (IDP) डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) के साथ एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल का एकीकरण  पीएम जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) – पिछले आठ वर्षों की उपलब्धियां

Sharing is caring!

व्यापारिक सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस)_3.1