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पूर्वी आर्थिक मंच (ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम/ईईएफ) 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) 2022 चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित पूर्वी आर्थिक मंच (ईस्टर्न इकोनामिक फोरम)2022 को आभासी रूप से संबोधित किया।
पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)?
- पूर्वी आर्थिक मंच के बारे में: पूर्वी आर्थिक मंच ( ईस्टर्न इकोनामिक फोरम) की स्थापना 2015 में रूस के सुदूर पूर्व (रशियाज फार-ईस्ट रीजन/RFE) में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु की गई थी। ईईएफ क्षेत्र में आर्थिक क्षमता, उपयुक्त व्यावसायिक परिस्थितियों तथा निवेश के अवसरों को प्रदर्शित करता है।
- अधिदेश: पूर्वी आर्थिक मंच एक अंतरराष्ट्रीय मंच है जिसका उद्देश्य रूस तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र के व्यापारिक समुदाय के सदस्यों, राजनीतिक हस्तियों, विशेषज्ञों एवं पत्रकारों के मध्य संचार एवं सहयोग को बढ़ावा देना है।
- प्रमुख उद्देश्य: पूर्वी आर्थिक मंच का प्राथमिक उद्देश्य रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाना है।
- इस क्षेत्र में रूस का एक तिहाई क्षेत्र सम्मिलित है एवं यह मछली, तेल, प्राकृतिक गैस, लकड़ी, हीरे तथा अन्य खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है।
- फोकस क्षेत्र: इस वर्ष, पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) 2022 का उद्देश्य सुदूर पूर्व को एशिया प्रशांत क्षेत्र से संपर्क स्थापित करना है।
- प्रदर्शन: ईईएफ में हस्ताक्षरित समझौते 2017 में 217 से बढ़कर 2021 में 380 समझौते हो गए, जो मूल्य के हिसाब से 3.6 ट्रिलियन रूबल है।
- 2022 तक, रूस के सुदूर पूर्व (रशियाज फार-ईस्ट रीजन/RFE) क्षेत्र में लगभग 2,729 निवेश परियोजनाओं की योजना निर्मित की जा रही है।
- समझौते आधारिक अवसंरचना, परिवहन परियोजनाओं, खनिज उत्खनन, निर्माण, उद्योग एवं कृषि पर केंद्रित हैं।
रूस का सुदूर पूर्व क्षेत्र क्या है?
- रूसी सुदूर पूर्व पूर्वोत्तर एशिया का एक क्षेत्र है।
- यह रूस का सर्वाधिक पूर्वी भाग है एवं इसे सुदूर पूर्वी संघीय जिले के हिस्से के रूप में प्रशासित किया जाता है, जो बैकाल झील तथा प्रशांत महासागर के मध्य अवस्थित है।
- यह अपने दक्षिण में मंगोलिया, चीन तथा उत्तर कोरिया के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व में जापान के साथ समुद्री सीमाएं एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बेरिंग जलडमरूमध्य के साथ अपने उत्तर-पूर्व में भूमि सीमाएँ साझा करता है।
चीन एवं पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)
- चीन इस क्षेत्र में सर्वाधिक वृहद निवेशक है क्योंकि उसे रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र (आरएफई) में चीनी बेल्ट एवं रोड पहल तथा ध्रुवीय समुद्री मार्ग (पोलर सी रूट) को बढ़ावा देने की क्षमता दिखाई देती है।
- इस क्षेत्र में चीन का निवेश कुल निवेश का 90% है। रूस 2015 से चीनी निवेश का स्वागत कर रहा है; यूक्रेन में युद्ध के कारण हुए आर्थिक दबावों के कारण अब पहले से कहीं अधिक।
- ट्रांस-साइबेरियन रेलवे ने व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने में रूस एवं चीन की सहायता की है।
- दोनों देश 4000 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जो उन्हें कुछ अवसंरचनात्मक सहायता के साथ एक-दूसरे के संसाधनों का दोहन करने में सक्षम बनाता है।
- चीन अपने हेइलोंगजियांग प्रांत को भी विकसित करना चाहता है जो आरएफई से जुड़ता है। चीन एवं रूस ने पूर्वोत्तर चीन तथा रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र (आरएफई) को विकसित करने के लिए एक कोष में निवेश किया है, ब्लैगोवेशचेंस्क तथा हेहे के शहरों को 1,080 मीटर सेतु के माध्यम से जोड़ने, प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने एवं निज़नेलिनिनस्कॉय तथा टोंगजियांग शहरों को जोड़ने वाले एक रेल पुल पर सहयोग के माध्यम से निवेश किया है।
दक्षिण कोरिया एवं पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)
- चीन के अतिरिक्त, दक्षिण कोरिया भी धीरे-धीरे इस क्षेत्र में अपने निवेश में वृद्धि कर रहा है।
- दक्षिण कोरिया ने जहाज निर्माण परियोजनाओं, बिजली के उपकरणों के निर्माण, गैस-द्रवीकरण संयंत्रों, कृषि उत्पादन एवं मत्स्य पालन में निवेश किया है।
- 2017 में, कोरिया के निर्यात-आयात बैंक ( एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ऑफ़ कोरिया) तथा सुदूर पूर्व विकास कोष ने तीन वर्षों की अवधि में रूसी सुदूर पूर्व में 2 बिलियन डॉलर का निवेश करने के अपने आशय की घोषणा की।
जापान एवं पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)
- जापान सुदूर पूर्व में एक अन्य प्रमुख व्यापारिक भागीदार है। 2017 में, 21 परियोजनाओं के माध्यम से जापानी निवेश की राशि 16 बिलियन डॉलर थी।
- शिंजो आबे के नेतृत्व में, जापान ने आर्थिक सहयोग के आठ क्षेत्रों का अभिनिर्धारण किया एवं निजी व्यवसायों को रूसी सुदूर पूर्व के विकास में निवेश करने के लिए प्रेरित किया।
- फुकुशिमा में 2011 के मंदी के बाद जापान रूस के तेल एवं गैस संसाधनों पर निर्भर होना चाहता है, जिसके कारण सरकार को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र से बाहर निकलना पड़ा।
- जापान अपनी कृषि-प्रौद्योगिकियों के लिए एक बाजार भी देखता है जिसमें समान जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए आरएफई में फलने-फूलने की क्षमता है।
- यद्यपि, शिंजो आबे के साथ तत्समय उपस्थित व्यापार की गति योशिहिदे सुगा एवं फूमियो किशिदा के नेतृत्व के समय खो गई थी।
- जापान एवं रूस के मध्य व्यापार संबंध कुरील द्वीप विवाद से बाधित हैं क्योंकि दोनों देशों द्वारा इस पर दावा किया जाता है।
भारत एवं पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)
- भारत रूसी सुदूर पूर्व में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है।
- मंच के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस में व्यापार, संपर्क तथा निवेश के विस्तार में देश की तत्परता व्यक्त की।
- भारत ऊर्जा, औषधि क्षेत्र (फार्मास्यूटिकल्स), सामुद्रिक संपर्क, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, हीरा उद्योग एवं आर्कटिक में अपने सहयोग को और ग्रहण करने का इच्छुक है।
- 2019 में, भारत ने इस क्षेत्र में आधारिक अवसंरचना को विकसित करने के लिए 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की भी पेशकश की।
- पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) के माध्यम से, भारत का लक्ष्य रूस के साथ एक मजबूत अंतर-राज्यीय संपर्क स्थापित करना है।
- गुजरात एवं सखा गणराज्य के व्यापार प्रतिनिधियों ने हीरा तथा औषधि (फार्मास्यूटिकल्स) उद्योग में समझौते प्रारंभ किए हैं।