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पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)

पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ)- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े समझौते

पूर्वी आर्थिक मंच-ईईएफ: चर्चा में क्यों है?

  • रूस ने सातवें पूर्वी आर्थिक मंच- ईईएफ व्लादिवोस्तोक की मेजबानी की। चार दिवसीय मंच उद्यमियों के लिए रूस के सुदूर पूर्व (आरएफई) में उनके व्यवसाय का विस्तार करने हेतु एक मंच है।

 

पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) क्या है?

  • पूर्वी आर्थिक मंच की स्थापना 2015 में आरएफई में निम्नलिखित  के प्रदर्शन हेतु विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई थी:
  • आर्थिक क्षमता
  • उपयुक्त व्यावसायिक स्थितियां एवं
  • क्षेत्र में निवेश के अवसर
  • समझौता आधारिक अवसंरचना, परिवहन परियोजनाओं, खनिज उत्खनन, निर्माण, उद्योग एवं कृषि पर केंद्रित हैं।
  • ईईएफ के साथ, रूस सुदूर पूर्व में निवेश एवं विकास में एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को आकर्षित करने  का प्रयत्न कर रहा है। इस वर्ष फोरम का उद्देश्य सुदूर पूर्व को एशिया-प्रशांत से जोड़ना है।

 

पूर्वी आर्थिक मंच: उद्देश्य

  • EEF का प्राथमिक उद्देश्य RFE में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि करना है।
  • इस क्षेत्र में रूस का एक तिहाई क्षेत्र सम्मिलित है और यह मछली, तेल, प्राकृतिक गैस, लकड़ी, हीरे  एवं अन्य खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है।
  • इस क्षेत्र में रहने वाली विरल आबादी, लोगों को सुदूर पूर्व में स्थानांतरित करने एवं कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक अन्य कारक है।
  • क्षेत्र के धन एवं संसाधन रूस के सकल घरेलू उत्पाद में पांच प्रतिशत योगदान का योगदान करते हैं।

 

पूर्वी आर्थिक मंच: सफलता

  • ईईएफ में हस्ताक्षरित समझौते 2017 में 217 से बढ़कर 2021 में 380 समझौते हो गए,  जो मूल्य के हिसाब से 3.6 ट्रिलियन रूबल है।
  • 2022 तक, रूस के सुदूर पूर्व (रशियाज फार-ईस्ट रीजन/RFE) क्षेत्र में लगभग 2,729 निवेश परियोजनाओं की योजना निर्मित की जा रही है।

 

पूर्वी आर्थिक मंच: प्रमुख भागीदार

  • चीन इस क्षेत्र में सर्वाधिक वृहद निवेशक है क्योंकि उसे रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र (आरएफई) में चीनी बेल्ट एवं रोड पहल तथा ध्रुवीय समुद्री मार्ग (पोलर सी रूट) को बढ़ावा देने की क्षमता दिखाई देती है।
  • इस क्षेत्र में चीन का निवेश कुल निवेश का 90% है।
  • दक्षिण कोरिया ने जहाज निर्माण परियोजनाओं, बिजली के उपकरणों के निर्माण, गैस-द्रवीकरण संयंत्रों, कृषि उत्पादन एवं मत्स्य पालन में निवेश किया है।
  • जापान सुदूर पूर्व में एक अन्य प्रमुख व्यापारिक भागीदार है। 2017 में, 21 परियोजनाओं के माध्यम से जापानी निवेश की राशि 16 बिलियन डॉलर थी।

 

पूर्वी आर्थिक मंच: चीन के निवेश पर रूस की प्रतिक्रिया

  • रूस 2015 से चीनी निवेश का स्वागत कर रहा है; यूक्रेन में युद्ध के कारण हुए आर्थिक दबावों के कारण अब पहले से कहीं अधिक।
  • ट्रांस-साइबेरियन रेलवे ने व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने में रूस एवं चीन की सहायता की है।
  • दोनों देश 4000 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जो उन्हें कुछ अवसंरचनात्मक सहायता के साथ एक-दूसरे के संसाधनों का दोहन करने में सक्षम बनाता है।
  • चीन अपने हेइलोंगजियांग प्रांत को भी विकसित करना चाहता है जो आरएफई से जुड़ता है।
  • चीन एवं रूस ने ब्लैगोवेशचेंस्क तथा हेहे शहरों के मध्य संपर्क विकसित करने हेतु एक कोष में निवेश किया है।

 

पूर्वी आर्थिक मंच: भारत एवं रूस

  • भारत रूसी सुदूर पूर्व में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है।
  • 2019 में, भारत ने इस क्षेत्र में आधारिक अवसंरचना को विकसित करने के लिए 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की भी पेशकश की।
  • मंच के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस में व्यापार, संपर्क तथा निवेश के विस्तार में देश की तत्परता व्यक्त की।
  • भारत ऊर्जा, औषधि क्षेत्र (फार्मास्यूटिकल्स), सामुद्रिक संपर्क, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, हीरा उद्योग एवं आर्कटिक में अपने सहयोग को और ग्रहण करने का इच्छुक है।

 

पूर्वी आर्थिक मंच: रूस के लिए रणनीतिक महत्व

  • एशिया का प्रवेश द्वार: RFE को भौगोलिक दृष्टि से एक रणनीतिक स्थान पर रखा गया है; यह एशिया में प्रवेश द्वार (गेटवे टू एशिया) के रूप में कार्य करता है।
  • यूक्रेनी युद्ध के प्रभाव को समाप्त करता है: यूक्रेन युद्ध एक चिंताजनक मुद्दा है क्योंकि यह देश के आर्थिक विकास को प्रभावित करता है।
  • प्रतिबंधों के प्रति उत्तरजीविता:  यद्यपि ईईएफ एक वार्षिक सभा है, यह मंत्र रूस के लिए एक उपयुक्त समय पर आता है जो प्रतिबंधों के प्रभाव से निपट रहा है।
  • आपूर्ति श्रृंखला लोचशीलता: आईपीईएफ लोचशील आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

निष्कर्ष

  • भारत आरएफई में विकास में सम्मिलित होने के लाभों को समझता है किंतु यह आईपीईएफ को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में भी मानता है।
  • फोरम में भारत की भागीदारी चीन पर निर्भर आपूर्ति श्रृंखलाओं से पृथक होने में सहायता करेगी एवं इसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क का हिस्सा भी बनाएगी।

 

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