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निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।
- शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021- संदर्भ
- हाल ही में, लोकसभा ने बिना किसी पर्याप्त चर्चा के मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने के लिए निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 पारित किया।
निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021- प्रमुख विशेषताएं
- मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ना: निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 निर्वाचक सूची पंजीकरण अधिकारियों को मतदाता के रूप में पंजीकरण करने के इच्छुक व्यक्तियों की आधार संख्या के संदर्भ में पूछने की अनुमति प्रदान करता है।
- आधार के साथ मतदाता पहचान पत्र के पुन: प्रमाणीकरण द्वारा दोहराव को समाप्त करना: निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को पहले से ही मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से निम्नलिखित उद्देश्यों हेतु आधार संख्या के संदर्भ में पूछने की अनुमति प्रदान करता है-
- मतदाता सूची में प्रविष्टियों का प्रमाणीकरण, एवं
- एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में या एक ही निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार एक ही व्यक्ति के नाम के पंजीकरण की पहचान करने हेतु।
- इसका उद्देश्य विभिन्न स्थानों पर एक ही व्यक्ति के एकाधिक नामांकन के खतरे को रोकना है।
- स्वैच्छिक प्रकृति: मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार को जोड़ने की प्रकृति स्वैच्छिक है एवं संबंधित प्राधिकारी केवल किसी व्यक्ति द्वारा आधार संख्या प्रस्तुत करने या सूचित करने में असमर्थता के कारण मतदाता सूची में शामिल होने से इनकार नहीं कर सकते हैं।
निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021- जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन
- निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 एवं 1951 की कुछ धाराओं में संशोधन करना चाहता है। ये हैं-
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में संशोधन:
- धारा 23: निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 द्वारा इसमें संशोधन किया जाएगा ताकि मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने की अनुमति प्रदान की जा सके।
- धारा 14: निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक 2021 द्वारा इसमें संशोधन किया जाएगा ताकि पात्र व्यक्तियों को मतदाता के रूप में पंजीकृत करने हेतु चार “अर्हता पूर्ण” तिथियों की अनुमति दी जा सके।
- अब तक, प्रत्येक वर्ष की 1 जनवरी एकमात्र अर्हता तिथि है।
- अब, एक कैलेंडर वर्ष में जनवरी, अप्रैल, जुलाई एवं अक्टूबर का प्रथम दिन मतदाता सूची के निर्माण अथवा संशोधन के संबंध में अर्हक तिथियां होंगी।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 20 एवं जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60 में संशोधन: ये निर्वाचन को सैन्य बलों के मतदाताओं हेतु लिंग-तटस्थ बनने की अनुमति प्रदान करेंगे।
- यह सैन्य बलों के मतदाता के शब्द “पत्नी” को सैन्य बलों के मतदाता के “पति / पत्नी” शब्द से प्रतिस्थापित कर देगा, जिससे यह क़ानून “लिंग-तटस्थ” हो जाएगा।
- यह महिला सशस्त्र सेवा कर्मचारियों के पुरुष जीवनसाथी के प्रति किसी भी भेदभाव को दूर करने का प्रयास करता है।