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उत्सर्जन व्यापार योजना (एमिशंस ट्रेडिंग स्कीम/ETS) क्या है?
इस लेख ”उत्सर्जन व्यापार योजना (एमिशंस ट्रेडिंग स्कीम/ईटीएस) क्या है?”, में हम ईटीएस के संदर्भ, उत्सर्जन व्यापार योजना (ईटीएस) क्या है?, भारत को ईटीएस की आवश्यकता क्यों है?, मौजूदा प्रदर्शन क्या है, उपलब्धि क्या है?, भारत में व्यापार योजना?, ETS के बारे में प्रमुख बिंदु, ETS कार्बन क्रेडिट से कैसे भिन्न है?, इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।
उत्सर्जन व्यापार योजना (एमिशंस ट्रेडिंग स्कीम/ETS) का संदर्भ
चर्चा में क्यों है?
- केंद्र एक उत्सर्जन व्यापार योजना (एमिशंस ट्रेडिंग स्कीम/ईटीएस) को अधिसूचित करने के अंतिम चरण में है, जिसके लिए प्रदूषणकारी उद्योगों को ऊर्जा दक्षता के कुछ मानकों को प्राप्त करने एवं इन सुधारों को ‘व्यापार’ करने की अनुमति प्रदान करने की आवश्यकता होगी।
पृष्ठभूमि
- विगत वर्ष दिसंबर में संसद में पारित ऊर्जा (संरक्षण) संशोधन विधेयक ने भारत में एक घरेलू कार्बन बाजार की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, जो कार्बन-गहन उद्योगों के मध्य उत्सर्जन में कमी को प्रोत्साहित करना चाहता है।
उत्सर्जन व्यापार योजना (ETS) क्या है?
- उत्सर्जन व्यापार योजना (ईटीएस) एक नियामक उपकरण है जिसका उद्देश्य किसी क्षेत्र में प्रदूषण भार को कम करना एवं साथ ही उद्योग जगत के लिए अनुपालन की लागत को कम करना है।
- ईटीएस एक ऐसा बाजार है जिसमें व्यापार की जाने वाली वस्तु कणिकीय पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर) उत्सर्जन है।
- इसे कणिकीय पदार्थ उत्सर्जन में व्यापार के लिए विश्व का प्रथम बाजार भी बताया जा रहा है।
- उत्सर्जन व्यापार योजनाएँ, जैसा कि उन्हें कहा जाता है, यूरोपीय संघ एवं कोरिया में सफलतापूर्वक लागू की जाती हैं।
भारत में मौजूदा प्रदर्शन, उपलब्धि, व्यापार योजना क्या है?
- 2015 से, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी/बीईई) ‘प्रदर्शन, उपलब्धि, व्यापार‘ अथवा ‘परफॉर्म, अचीव, ट्रेड‘ योजना संचालित कर रहा है, जिसके तहत 13 क्षेत्रों में विस्तृत 1,078 उद्योगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रमाण पत्र प्राप्त हो रहे हैं यदि वे कुछ लक्ष्यों को पार करते हैं।
- जबकि सैद्धांतिक रूप से समान, आगामी तंत्र के तहत उत्पन्न क्रेडिट कंपनियों को दक्षता मानदंडों को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक, स्वच्छ स्रोतों को परिनियोजित करने हेतु अत्यधिक निवेश करने के लिए बाध्य करेगा, क्योंकि उन्हें उत्सर्जन में कमी के लिए एक उच्चतर सीमा को पूरा करना होगा।
भारत में आगामी उत्सर्जन व्यापार योजना (ईटीएस) के बारे में मुख्य बातें
- समन्वयक? ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई), ऊर्जा मंत्रालय का एक निकाय, भारत में उत्सर्जन व्यापार योजना (ईटीएस) का नोडल समन्वयक होगा।
- कौन से क्षेत्र कवर होंगे? क्षेत्रों (उदाहरण के लिए, एल्यूमीनियम, सीमेंट, उर्वरक) को ऊर्जा दक्षता लक्ष्य प्रदान किए जाएंगे एवं जो कंपनियां इन लक्ष्यों को पार करने में सक्षम होंगी उन्हें ‘क्रेडिट’ या प्रमाण पत्र प्राप्त होगा कि वे लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहने वाली कंपनियों को जमा अथवा बेच सकते हैं।
- भारत में ETS दूसरे देशों से कैसे अलग होगा?
- यूरोप या अन्य देशों की तुलना में भारतीय उत्सर्जन व्यापार योजना में एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन में पूर्ण रूप से कटौती करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के प्रावधानों के तहत यूरोपीय संघ को उत्सर्जन में कटौती करने की आवश्यकता है। भारत का कोई दायित्व नहीं है। यद्यपि, हमने 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता (जीडीपी की प्रति इकाई उत्सर्जन) को 45% (2005 के स्तर के) तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध किया है।
- अतः कंपनियों के लिए यह संभव है (भारतीय उत्सर्जन व्यापार योजना के तहत) जब वे अधिक कार्बन का उत्सर्जन करने के लिए उत्पादन बढ़ाएं एवं फिर भी अधिक कुशल हों।
भारत को ईटीएस की आवश्यकता क्यों है?
- भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से लगभग 500 गीगा वाट बिजली उत्पन्न करने हेतु प्रतिष्ठान स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध किया है एवं केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के एक अनुमान के अनुसार इसकी लागत कम से कम 2.4 ट्रिलियन रुपए होगी।
- भारत ने 2070 तक निवल-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के साथ-साथ 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट/जीडीपी) की कार्बन उत्सर्जन गहनता को 45 प्रतिशत तक कम करने का भी वादा किया है।
- इसीलिए इन जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीति निर्माताओं द्वारा कार्बन बाजारों को एक आवश्यक उपकरण के रूप में देखा जाता है।
- इसलिए, भारत की अपनी उत्सर्जन व्यापार योजना संरचना होनी चाहिए एवं जबकि हम निश्चित रूप से पश्चिम में स्थापित मॉडल से सीख सकते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम जो करते हैं वह हमारी विशिष्ट आवश्यकताओं को समायोजित करता है।
ETS कार्बन क्रेडिट से किस प्रकार भिन्न है?
- भारतीय कार्बन बाजारों के अग्रदूत के रूप में, पर्यावरण मंत्रालय ने 17 फरवरी को विवेक गतिविधियों को सूचीबद्ध किया, जिन्हें हरितगृह (ग्रीनहाउस) गैस शमन गतिविधियां कहा जाता है, जो कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिए पात्र होंगी। इनमें सौर तापीय ऊर्जा, अपतटीय पवन, हरित हाइड्रोजन, संपीड़ित बायोगैस एवं संग्रहित नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।
- एक उत्सर्जन व्यापार बाजार पारंपरिक “कार्बन क्रेडिट” से अलग है, जो एक पुरानी योजना है, जिसके तहत भारतीय उद्योगों ने कोयले, तेल एवं गैस के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पन्न करने के लिए तंत्र स्थापित किया एवं क्रेडिट का दावा किया जो उत्सर्जन को प्रतिबिंबित करता था जिसे सैद्धांतिक रूप से रोका गया था।
- ये क्रेडिट यूरोपीय संघ में एक्सचेंजों को विक्रय किए गए जहां कंपनियों को ऐसे क्रेडिट के साथ अपने उत्सर्जन को प्रतिसंतुलित (ऑफसेट) करने की आवश्यकता थी।
- कई कंपनियां स्वच्छ प्रौद्योगिकी एवं बैंक के अपने अंगीकरण को प्रदर्शित करने के साथ-साथ उनका व्यापार करने हेतु स्वैच्छिक प्रति संतुलन (ऑफ़सेट) करती हैं।
- कार्बन क्रेडिट, सिद्धांत रूप में, ईटीएस जैसी योजनाओं से वास्तविक रोके गए उत्सर्जन एवं ऊर्जा प्रमाणपत्र को प्रदर्शित करता है, जो उत्सर्जन को रोकने पर सरकारी नियमों के अनुपालन में उद्योग द्वारा निवेश को दर्शाता है।
उत्सर्जन व्यापार योजना (एमिशंस ट्रेडिंग स्कीम/ईटीएस) के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. कौन सी एजेंसी भारत में उत्सर्जन व्यापार योजना (एमिशंस ट्रेडिंग स्कीम/ईटीएस) का समन्वय करेगी?
उत्तर. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी/बीईई), ऊर्जा मंत्रालय का एक निकाय, भारत में उत्सर्जन व्यापार योजना (ईटीएस) का नोडल समन्वयक होगा।
प्र. उत्सर्जन व्यापार योजना (ETS) क्या है?
उत्तर. उत्सर्जन व्यापार योजना (ईटीएस) एक नियामक उपकरण है जिसका उद्देश्य किसी क्षेत्र में प्रदूषण भार को कम करना एवं साथ ही उद्योग के लिए अनुपालन की लागत को कम करना है।
प्र. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा ‘प्रदर्शन, उपलब्धि, व्यापार‘ (‘परफॉर्म, अचीव, ट्रेड‘) योजना क्या है?
उत्तर. 2015 से, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ‘प्रदर्शन, उपलब्धि, व्यापार’ योजना संचालित कर रहा है, जिसके तहत 13 क्षेत्रों में विस्तृत 1,078 उद्योगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रमाण पत्र प्राप्त हो रहे हैं यदि वे कुछ लक्ष्यों को पार करते हैं।