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ई-संजीवनी: ई-संजीवनी भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा है। यह प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में विश्व का सबसे बड़ा टेलीमेडिसिन कार्यान्वयन है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे) के लिए ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवाएं भी महत्वपूर्ण हैं।
ई-संजीवनी चर्चा में क्यों है?
हाल ही में, भारत सरकार के राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म – ई-संजीवनी ने 10 करोड़ लाभार्थियों को टेली-परामर्श सेवाएं प्रदान करके एक और मील का पत्थर दर्ज किया है।
- ई-संजीवनी देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांति है। 10 करोड़ लाभार्थियों के साथ, भारत ने अपनी ई-हेल्थ यात्रा में एक मील का पत्थर पार कर लिया है।
- ई-संजीवनी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर/MoHFW) की टेलीमेडिसिन सेवा की टेलीमेडिसिन सेवा है।
ई-संजीवनी का प्रदर्शन
सरकार ने सूचित किया कि टेलीमेडिसिन में प्रशिक्षित 229,057 चिकित्सा विशेषज्ञों एवं सुपर-स्पेशलिस्ट के साथ 15,731 केंद्र तथा 1,152 ऑनलाइन ओपीडी के माध्यम से 115,234 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में 100.11 मिलियन रोगियों की सेवा की गई।
- ई-संजीवनी को एक दिन में 1 मिलियन से अधिक परामर्शों का समर्थन करने के लिए आगे बढ़ाया गया है, अब तक, मंच एक दिन में 5,10,702 रोगियों की सेवा करने हेतु अपने चरम पर है।
- ई-संजीवनी की 57% से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं एवं लगभग 12% लाभार्थी वरिष्ठ नागरिक हैं।
- ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म यह भी दर्शाता है कि यह प्लेटफॉर्म आबादी के अधिक कमजोर वर्गों में अपनी पहुंच बना रहा है जहां इसका प्रभाव अधिकतम प्रभाव प्राप्त करता है।
- यह टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के बारे में बहुत कुछ बताता है तथा भारत में स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए इसने समय के साथ स्वयं को किस सीमा तक मजबूत किया है।
- ई-संजीवनी को अपनाने के मामले में अग्रणी 10 राज्य आंध्र प्रदेश (31701735), तमिलनाडु (12374281), पश्चिम बंगाल (12311019), कर्नाटक (11293228), उत्तर प्रदेश (5498907), महाराष्ट्र (4780259), तेलंगाना (4591028), मध्यप्रदेश (4015879), बिहार (3220415) एवं गुजरात (2988201) हैं। ।
ई-संजीवनी के वेरिएंट
ई-संजीवनी सेवा दो रूपों में उपलब्ध है
ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी
ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी: ई-संजीवनी आयुष्मान भारत- हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (AB-HWC) एक प्रदाता-से-प्रदाता टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म है। यह भारत सरकार की आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र योजना के तहत चिकित्सक से चिकित्सक तक की टेलीमेडिसिन सेवा है।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों एवं पृथक समुदायों में सामान्य तथा विशेषीकृत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।
- यह एक सहायता प्राप्त टेलीमेडिसिन प्रणाली है जो स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में स्वास्थ्य कर्मियों तथा चिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से रोगियों को माध्यमिक/तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं अथवा चिकित्सा महाविद्यालयों (मेडिकल कॉलेजों) में स्थापित केंद्रों में चिकित्सकों तथा विशेषज्ञों से जोड़ती है।
- यह वेरिएंट हब-एंड-स्पोक मॉडल पर आधारित है।
ई-संजीवनी ओपीडी
यह एक रोगी-से-चिकित्सक टेलीमेडिसिन सेवा है, जो लोगों को उनके घरों में ही बाह्य रोगी (आउट पेशेंट) सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ को भी देश के सभी हिस्सों में नागरिकों द्वारा तेजी से एवं व्यापक रूप से अपनाया गया है।
- यह एंड्रॉइड एवं आईओएस आधारित स्मार्टफोन दोनों के लिए एक मोबाइल ऐप के रूप में उपलब्ध है, एवं इन ऐप को 3 मिलियन से अधिक बार डाउनलोड किया गया है।
- ई-संजीवनी ओपीडी अब आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट/एबीएचए) के निर्माण को सक्षम बनाता है, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के अनुसार भाग लेने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं एवं लाभार्थियों के साथ लाभार्थी की सहमति से स्वास्थ्य डेटा की पहुंच एवं साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा।
ई-संजीवनी का महत्व
- ई-संजीवनी को प्रारंभ में कोविड-19 महामारी के मध्य विमोचित किया गया था ताकि रोगी-चिकित्सक टेली-परामर्श के लिए सक्षम हो सके।
- ई-संजीवनी ऐप नि:शुल्क पेश किया गया है, जिसने लोगों को बिना किसी अस्पताल की यात्रा के स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में सुविधा प्रदान की है।
- टेलीमेडिसिन में मनोचिकित्सा, स्त्री रोग, गैर-संचारी रोग (नॉन कम्युनिकेबल डिजीज/एनसीडी), बाल रोग, कैंसर विज्ञान (ऑन्कोलॉजी) इत्यादि जैसे विभिन्न विशिष्ट ओपीडी शामिल हैं।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों के उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जिनकी शहरों में स्थित चिकित्सा विशेषज्ञों तक आसान पहुँच नहीं है।
ई-संजीवनी 2.0
टेली-परामर्श की संपूर्ण क्षमता का दोहन करने के पश्चात, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ई-संजीवनी के नए अवतार में टेली-डायग्नोसिस के तार्किक अगले आयाम को जोड़ने के लिए तैयार है।
- यह प्वाइंट ऑफ केयर डायग्नोस्टिक डिवाइस (पीओसीडी) के एक विशाल स्पेक्ट्रम के निर्बाध एकीकरण पर बल देता है, जिसे निकट रोगी परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है।
- पीओसीडी शीघ्र निदान एवं त्वरित निर्णय की सुविधा प्रदान कर परीक्षण करने के कुछ ही मिनटों के भीतर शारीरिक मापदंडों सहित विभिन्न नैदानिक परीक्षणों के परिणाम प्रदान करते हैं।
- ई-संजीवनी 2.0 टेलीमेडिसिन के अनुभव को तकनीक के साथ-साथ नवाचार दोनों के संदर्भ में नई सुविधाओं की बहुलता के साथ बढ़ाएगा।
- अतिरिक्त मांगों को पूरा करने के लिए मापन योग्य (स्केलेबल) होने के साथ-साथ आर्किटेक्चर अब अधिक सुरक्षित है।
ई-संजीवनी के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न. ई-संजीवनी क्या है?
उत्तर. ई-संजीवनी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर/MoHFW) की टेलीमेडिसिन सेवा की टेलीमेडिसिन सेवा है।
प्रश्न. कौन सा मंत्रालय ई-संजीवनी योजना का क्रियान्वयन कर रहा है?
उत्तर. ई-संजीवनी पहल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
प्रश्न. ई-संजीवनी 2.0 योजना क्या है?
उत्तर. ई-संजीवनी 2.0 टेलीमेडिसिन के अनुभव को तकनीक के साथ-साथ नवाचार दोनों के संदर्भ में नई सुविधाओं की बहुलता के साथ बढ़ाएगा। अतिरिक्त मांगों को पूरा करने के लिए मापन योग्य (स्केलेबल) होने के साथ-साथ आर्किटेक्चर अब अधिक सुरक्षित है।