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भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण: प्रासंगिकता
- जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।
इथेनॉल सम्मिश्रण: प्रसंग
- हाल ही में, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सूचित किया है कि इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल/ईबीपी) कार्यक्रम के तहत 10% सम्मिश्रण का लक्ष्य नवंबर, 2022 की लक्षित समय-सीमा से बहुत पहले प्राप्त कर लिया गया है।
इथेनॉल सम्मिश्रण: प्रमुख बिंदु
- सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ऑयल मार्केटिंग कंपनीज/OMCs) के समन्वित प्रयासों के कारण, देश ने संपूर्ण देश में पेट्रोल में औसतन 10% इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त किया है।
- विगत 8 वर्षों के दौरान इस उपलब्धि ने न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि की है है बल्कि 41,500 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी मुद्रा प्रभाव में परिवर्तित किया है, 27 लाख मीट्रिक टन के हरित गृह गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन को कम किया है तथा किसानों को 40,600 करोड़ रुपये से अधिक का त्वरित भुगतान किया है।
इथेनॉल सम्मिश्रण: यह किस प्रकार विकसित हुआ?
- इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम प्रथम बार 2003 में प्रारंभ किया गया था। इसने 9 राज्यों एवं 4 केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल में 5% इथेनॉल के सम्मिश्रण का प्रस्ताव रखा था।
- 2014 के बाद प्रयासों को पुनः बल प्राप्त हुआ जब सरकार ने ईबीपी कार्यक्रम के तहत इथेनॉल के विक्रय के लिए एक प्रशासित मूल्य तंत्र को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया।
- 2018 में, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति को 2030 तक पेट्रोल के साथ जैव ईंधन के 20% सम्मिश्रण को प्राप्त करने के लिए अधिसूचित किया गया था।
- 2020 में, राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (नेशनल बायोफ्यूल कोऑर्डिनेशन कमिटी) ने इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के अतिरिक्त मक्का, चुकंदर, ज्वार इत्यादि के उपयोग को स्वीकृति प्रदान की।
- 2021 में, 20% सम्मिश्रण का उद्देश्य 2030 से 2025 तक अग्रगत किया गया है।
इथेनॉल मिश्रण के लिए रोडमैप
- विगत वर्ष, हमारे प्रधानमंत्री ने भारत 2020-25 में इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप पर रिपोर्ट जारी की थी। नीति आयोग के डॉ. राकेश सरवाल की अध्यक्षता में पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा रोडमैप तैयार किया गया था।
- रोडमैप ने 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल या E20 ईंधन आपूर्ति प्राप्त करने के लिए वर्ष को 2030 से 2025 तक आगे बढ़ाया है। यद्यपि, E10 को प्राप्त करने का उद्देश्य- वर्ष 2022 ही बना हुआ है।
इथेनॉल आधारित ईंधन के लाभ
इथेनॉल आधारित ईंधन स्रोत के बहुआयामी लाभ हैं।
- पारिस्थितिक प्रभाव: इस ईंधन में वातावरण से हानिकारक हरित गृह गैसों को कम करने की क्षमता है। कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं हाइड्रोकार्बन जैसी गैसों का वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान है। इथेनॉल सम्मिश्रण इन उत्सर्जनों को कम करने में सहायता कर सकता है।
- उपभोक्ता पर प्रभाव: E20 हमारे वाहनों, दोपहिया बता चार पहिया वाहनों की ईंधन दक्षता को कम कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वाहनों को E20 ईंधन के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। यद्यपि, इंजन में परिमार्जन के साथ, ईंधन दक्षता में इस गिरावट को निष्प्रभावी किया जा सकता है।
- आर्थिक प्रभाव: इथेनॉल के उपयोग से हमारा चालू खाता घाटा कम हो सकता है। E20 कार्यक्रम हमारे आयात बिलों को प्रति वर्ष 30,000 रुपये तक कम कर सकता है। यह हमारी अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव डालने की क्षमता रखता है।
- प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन: बायोएथेनॉल का उत्पादन फलों तथा सब्जियों के अपशिष्ट, फसल अवशेषों, काष्ठ लुगदी (लकड़ी के गूदे), पशु अपशिष्ट अथवा कचरे से किया जा सकता है। यह इथेनॉल के उत्पादन के लिए एक गैर-प्रतिस्पर्धी स्रोत होने के अतिरिक्त, प्रतिदिन हमारे आसपास उत्पन्न होने वाले कचरे के प्रबंधन में सहायता कर सकता है।
- किसानों की आय में वृद्धि करना: इथेनॉल उत्पादन किसानों के लिए आय के स्रोत में विविधता ला सकता है। यह किसानों के लिए वरदान सिद्ध होगा क्योंकि उन्हें अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकता है।
- सामरिक महत्व: भारत कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। ईंधन के मामले में आत्मनिर्भर बनने से हम अन्य देशों पर कम निर्भर होंगे तथा इससे विश्व के साथ भू-राजनीतिक संबंध स्थापित करते हुए हमारी सौदेबाजी की शक्ति बढ़ सकती है।