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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पुर्नोत्थान: प्रासंगिकता
- जीएस 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायिकी से संबंधित मुद्दे
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पुर्नोत्थान: प्रसंग
- सरकार ने हाल ही में पीएमएफबीवाई (प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना) के अंतर्गत किसानों का नामांकन बढ़ाने के लिए “सतत, वित्तीय एवं परिचालन प्रतिरूपों ” का सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पुर्नोत्थान: विशेषज्ञ समूह के बारे में
- पीएमएफबीवाई के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, असम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश एवं ओडिशा के प्रमुख सचिव (कृषि) सदस्य होंगे।
विशेष रूप से, इसमें कुछ सदस्य राज्य हैं जो पीएमएफबीवाई योजना से बाहर हो गए हैं। - विशेषज्ञ समूह छह माह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पुर्नोत्थान: सुधार की आवश्यकता क्यों है?
- पिछले सीजन से खरीफ 2021 के दौरान पीएमएफबीवाई के अंतर्गत किसानों के नामांकन में 10% से अधिक की कमी आई है।
- पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा सहित अनेक राज्यों ने हाल के दिनों में पीएमएफबीवाई के उद्देश्य को विफल करते हुए इस योजना का परित्याग कर दिया है।
- खरीफ सीजन के दौरान 6 करोड़ भूमि धारक किसानों में से 12% से भी कम फसल बीमा के अंतर्गत आच्छादित हैं, इस तथ्य के बावजूद कि देश की 52% कृषि भूमि मानसून पर निर्भर करती है एवं उनके पास सिंचाई की सुनिश्चित सुविधा उपलब्ध नहीं है।
- केंद्र सरकार ने निम्नलिखित कारणों की पहचान की है जिन्होंने पीएमएफबीवाई के क्रियान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है:
- अधिमूल्य (प्रीमियम) बाजार का सख्त होना,
- निविदाओं में पर्याप्त भागीदारी का अभाव,
- बीमाकर्ताओं की अपर्याप्त बीमा लेखन क्षमता।
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: क्यों छोड़ रहे हैं राज्य?
- गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं बिहार जैसे राज्यों ने प्रीमियम सहायिकी की उच्च लागत के उनके द्वारा वहन किए जाने के कारण इस योजना से स्वयं को अलग कर लिया।
- जबकि पंजाब ने कभी भी पीएमएफबीवाई लागू नहीं की, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश की स्वयं की योजनाएं हैं जिसके अंतर्गत किसान कोई प्रीमियम (पीएमएफबीवाई प्रीमियम के विपरीत) नहीं देते हैं, किंतु फसल खराब होने की स्थिति में उन्हें एक निश्चित राशि की क्षतिपूर्ति प्राप्त होती है।
- अनेक राज्यों ने मांग की है कि प्रीमियम सहायिकी में उनके हिस्से की अधिकतम सीमा 30% होनी चाहिए, जबकि कुछ अन्य राज्यों ने केंद्र से पूर्ण सहायिकी वहन करने की मांग की है।
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पीएमएफबीवाई समिति अधिदेश
- विशेषज्ञ समिति को उच्च प्रीमियम दरों के कारणों का पता लगाने एवं जोखिम कोष निर्मित करने के विकल्प सहित उन्हें युक्तिसंगत बनाने हेतु तंत्र का सुझाव देने के लिए अधिदेशित किया गया है।
- समिति को एक वैकल्पिक प्रतिरूप की मांग को पूरा करने के लिए भी कहा गया है जो सरकार पर सहायिकी के बोझ को कम करने हेतु बीमाकर्ताओं की स्थायी बीमा लेखन क्षमता एवं तर्कसंगत प्रीमियम मूल्य निर्धारण में सहायता कर सकता है।
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पीएमएफबीवाई के बारे में
- पीएमएफबीवाई प्राकृतिक आपदाओं, कीटों एवं रोगों के परिणामस्वरूप किसी भी अधिसूचित फसल की विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा आच्छादन एवं वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- इसे 2016 में दो योजनाओं, राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) एवं साथ ही संशोधित एनएआईएस को प्रतिस्थापित कर आरंभ किया गया था।
- इस योजना में किसानों द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम सभी खरीफ फसलों के लिए मात्र 2% एवं सभी रबी फसलों के लिए 5% का एक समान प्रीमियम है। वार्षिक वाणिज्यिक एवं बागवानी फसलों के मामले में, किसानों द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम मात्र 5% होगा।
- शेष प्रीमियम को केंद्र एवं राज्य के मध्य समान रूप से विभाजित किया जाता है।
- सरकारी सहायिकी की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यदि शेष प्रीमियम 90% है, तो भी वह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।