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उचित एवं लाभकारी मूल्य: प्रासंगिकता
- जीएस 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सब्सिडी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे।
गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य: संदर्भ
- हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार ने एक प्रस्ताव जारी किया है, जो चीनी मिलों को दो चरणों में मूल उचित एवं लाभकारी मूल्य ( फेयर एंड रेम्युनेरेटिवव प्राइस/एफआरपी) का भुगतान करने की अनुमति प्रदान करेगा। इस पहल को संबंधित हितधारकों से मिश्रित सुधार प्राप्त हुए हैं।
उचित एवं लाभकारी मूल्य समाचार: प्रमुख बिंदु
- हालांकि चीनी उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया है, किंतु किसानों द्वारा इसका विरोध किया गया है।
एफआरपी यूपीएससी के बारे में
- एफआरपी सरकार द्वारा घोषित मूल्य है, जो मिलें किसानों से खरीदे गए गन्ने के लिए भुगतान करने हेतु विधिक रूप से बाध्य हैं।
- केंद्र सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य राज्य सरकारों के परामर्श से एवं चीनी उद्योग के संघों से प्रतिपुष्टि प्राप्त करने के पश्चात कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ( कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज/सीएसीपी) की संस्तुतियों के आधार पर तय किया जाता है।
एफआरपी के अंतर्गत भुगतान
- एफआरपी का भुगतान गन्ना नियंत्रण आदेश, 1966 द्वारा नियंत्रित होता है।
- आदेश में गन्ने की आपूर्ति की तिथि से 14 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य है।
- यद्यपि, मिलों के पास किसानों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने का विकल्प उपलब्ध है, जो उन्हें किश्तों में एफआरपी का भुगतान करने की अनुमति प्रदान करेगा।
- भुगतान में किसी भी प्रकार के विलंब पर वार्षिक 15 प्रतिशत तक ब्याज लग सकता है।
एफआरपी में प्रस्तावित बदलाव
- मिलों को अब दो किस्तों में एफआरपी का भुगतान करना होगा।
- उन्हें पिछले सीजन की रिकवरी पर निर्भर रहने के बजाय मौजूदा सीजन की रिकवरी के हिसाब से भुगतान करना होगा।
एफआरपी में बदलाव का महत्व
- चीनी मिलों ने पिछले सीजन की चीनी रिकवरी के आधार पर किसानों को भुगतान किया।
- चीनी की पुनर्प्राप्ति (रिकवरी) उत्पादित चीनी बनाम गन्ने की पेराई के मध्य का अनुपात है, जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- रिकवरी जितनी अधिक होगी, एफआरपी उतना ही अधिक होगाएवं चीनी का उत्पादन अधिक होगा।
- इस प्रकार, वर्तमान सीजन (2021-22) में मिलों को 2020-21 सीजन की वसूली के अनुसार भुगतान करना होगा।
- प्रस्तावित परिवर्तन भुगतान प्रणाली को अधिक व्यवस्थित बनाते हैं।
- चीनी मिलें अपने चीनी स्टॉक को गिरवी रखकर धन जुटाती हैं एवं बिक्री से प्राप्तियों का उपयोग अपने कर्ज को चुकाने के लिए करती हैं।
- अतः, एक वर्ष में जब बिक्री कम होती है, या बंपर उत्पादन के एक वर्ष में, मिलों को गंभीर तरलता संकट का सामना करना पड़ता हैएवं अपने ऋणदाताओं तथा किसानों दोनों को भुगतान करने में विफल रहता है।
- यह अंततः उन्हें वित्तीय दिवालियेपन की ओर अग्रसर करता है, जो मिल को बेचने या किराए पर देने के साथ समाप्त हो सकता है।
- किश्तों में मूल एफआरपी का भुगतान उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांगों में से एक है। यह तर्क दिया गया है कि इससे उन पर तरलता का बोझ कम होगा।