Table of Contents
एफपीओ यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: कृषि उपज का परिवहन तथा विपणन एवं मुद्दे तथा संबंधित बाधाएं
किसान उत्पादक संगठन: संदर्भ
- हाल ही में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 10,000 एफपीओ के गठन तथा संवर्धन की केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तहत संकुल आधारित व्यावसायिक संगठनों (क्लस्टर बेस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस/सीबीबीओ) के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठन: प्रमुख बिंदु
- संकुल आधारित व्यावसायिक संगठनों (क्लस्टर बेस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस/सीबीबीओ) की भूमिका किसान उत्पादक संगठनों (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस/एफपीओ) को सुदृढ़ करने की होनी चाहिए ताकि किसान उनकी तलाश करें।
- सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री ने 10,000 एफपीओ योजना के लिए लोगो का विमोचन भी किया।
सीबीबीओ क्या है?
- इस योजना के तहत, सीबीबीओ का प्रावधान पेशेवर एजेंसी के रूप में किया गया है तथा उन्हें मूल्य श्रृंखला के साथ स्वयं को संलग्न करना होगा।
- वे किसानों की लामबंदी, बेसलाइन सर्वेक्षण, उपज समूहों का अभिनिर्धारण, समूहों के गठन, पंजीकरण तथा क्षमता निर्माण से लेकर व्यवसाय योजना निर्मित करने, एफपीओ को बाजार उपलब्ध कराने के आश्वासन के साथ उसके क्रियान्वयन से लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- सीबीबीओ को कार्यान्वयन एजेंसियों एवं एफपीओ के साथ प्रमुख लिंक भी स्थापित करना है।
10,000 एफपीओ के गठन तथा संवर्धन की प्रगति
- योजना के तहत 5.87 लाख से अधिक किसानों को जोड़ा गया है।
- लगभग 3 लाख किसानों को एफपीओ के शेयरधारकों के रूप में पंजीकृत किया गया है।
- किसान सदस्यों द्वारा इक्विटी योगदान 36.82 करोड़ रुपये है।
- जारी किए गए इक्विटी अनुदान सहित एफपीओ का कुल इक्विटी आधार 50 करोड़ रुपये है।
- 201 महिला केंद्रित एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।
- जनजातीय जिलों में 481 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।
- एफपीओ ने व्यापार लेनदेन प्रारंभ किया है:
- एसएफएसी के 14 सीबीबीओ के 84 एफपीओ ने 928.28 लाख रुपये का लेनदेन किया है।
- नेफेड के 3 सीबीबीओ के 12 एफपीओ ने 48.35 लाख रुपये का लेनदेन किया है।
10,000 एफपीओ के गठन तथा संवर्धन के बारे में
- देश भर में एफपीओ का गठन करने एवं प्रोत्साहित करने की आवश्यकता का अनुभव करते हुए, सरकार ने 2020 में एक समर्पित केंद्रीय क्षेत्र योजना “10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन तथा संवर्धन” तैयार किया।
- यह योजना उत्पादन, उत्पादकता, बाजार पहुंच, विविधीकरण को प्रोत्साहित करने, मूल्यवर्धन, प्रसंस्करण एवं निर्यात को बढ़ावा देने तथा किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से कृषि आधारित रोजगार के अवसर सृजित करने हेतु उत्पाद क्लस्टर दृष्टिकोण पर आधारित है।
- एफपीओ की पात्रता: योजना के तहत पात्र होने के लिए एफपीओ को कंपनी अधिनियम, 2013 अथवा राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है, जिसमें मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम 300 किसान एवं पहाड़ी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में 100 किसान हों।
- एफपीओ को लाभ: योजना के अंतर्गत उन्हें धारणीय एवं आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए प्रबंधन लागत के रूप में 3 वर्ष के लिए प्रति एफपीओ अधिकतम 18.00 लाख रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान है।
- एफपीओ के वित्तीय आधार को सुदृढ़ करने एवं उन्हें संपार्श्विक मुक्त ऋण प्राप्त करने के लिए बाध्य करने हेतु, प्रति सदस्य अधिकतम 2000/- रुपये के इक्विटी अनुदान के लिए 15 लाख रुपये/एफपीओ की सीमा के साथ एवं क्रमशः 2 करोड़ रुपये के बैंक विनियोजनीय परियोजना ऋण तक क्रेडिट गारंटी सुविधा का प्रावधान भी है।।
एफपीओ की आवश्यकता क्यों है?
- भारतीय कृषि में छोटे तथा सीमांत किसानों की अधिकता है, जिनकी औसत भूमि जोत 1.1 हेक्टेयर से कम है।
- ये छोटे एवं सीमांत किसान कुल भूमि जोत का 86 प्रतिशत से अधिक का गठन करते हैं, उत्पादन एवं उत्पादन पश्चात दोनों परिदृश्यों जैसे उत्पादन तकनीक तक पहुंच, उचित मूल्य पर गुणवत्ता आदान, बीज उत्पादन, कस्टम हायरिंग, मूल्यवर्धन, प्रसंस्करण, क्रेडिट, निवेश तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण बाजार में असाधारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- अतः, ऐसी चुनौतियों का समाधान करने एवं उनकी आय में वृद्धि करने हेतु एफपीओ के गठन के माध्यम से ऐसे उत्पादकों का एकत्रीकरण अत्यधिक महत्वपूर्ण है।