Categories: UPSC Current Affairs

भारत में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी): संदर्भ, अर्थ, आवश्यकता, महत्व एवं आगे की राह

भारत में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी): संदर्भ, अर्थ, आवश्यकता, महत्व एवं आगे की राह

http://bit.ly/2MNvT1m

 

प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का निष्पादन;
    • इन अति संवेदनशील वर्गों की सुरक्षा और उन्नति के लिए गठित तंत्र,विधान, संस्थाएं एवं निकाय।

प्रसंग

  • हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक 389 विशिष्ट पॉक्सो न्यायालयों सहित 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को जारी रखने हेतु स्वीकृति प्रदान की है।
    • कैबिनेट ने इस उद्देश्य के लिए 86 करोड़ रुपये का परिव्यय उपलब्ध कराया है।
    • केंद्र का अंश 70 करोड़ रुपए निर्भया कोष से आएंगे जिसे केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संवितरित किया जाता है।

 

https://www.adda247.com/upsc-exam/prelims-specific-articles-hindi-2/

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) के बारे में

  • उत्पत्ति: इनकी स्थापना 11वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसरण में वर्ष 2000 में हुई थी।
  • तात्पर्य: वे त्वरित विचारण हेतु गठित विशिष्ट न्यायालय हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट न्यायपालिका को अधिक प्रभावी बनाने और शीघ्रतिशीघ्र न्याय उपलब्ध कराने हेतु वादों के त्वरित निष्पादन अथवा समाधान से संबंधित हैं।
    • वे विशिष्ट न्यायालय हैं जो विशेष प्रकार के वादों (मामलों) को एक संक्षिप्त तथा सरलीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत निष्पादन करने से संबंधित हैं।
  • 2019 में, केंद्र सरकार ने यौन अपराधों से बालकों को का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), 2012 के अंतर्गत बच्चों केप्रति बलात्कार एवं अपराधों के लंबित मामलों के त्वरित विचारण एवं निष्पादन हेतु 1,023 फास्ट-ट्रैक कोर्ट (एफटीसी) की स्थापना की।
    • सरकार ने राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन (एनएमएसडब्ल्यू) के एक भाग के रूप में एफटीएससी की स्थापना का कार्य हाथ में लिया था।
    • एनएमएसडब्ल्यू में राज्यों में लोक अभियोजकों को सम्मिलित करके तथा त्वरित न्याय के लिए लगभग 1,023 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करके यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को निशुल्क चिकित्सा देखभाल से लेकर विधिक सहायता तक सभी पहलुओं को समाविष्ट किया गया है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार को पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत लंबित 100 से अधिक मामलों वाले जिलों में विशिष्ट न्यायालयों की स्थापना का निर्देश दिया।
  • वित्तपोषण: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) है जिसमें केंद्र एवं राज्यों के मध्य वित्तपोषण अनुपात क्रमशः 60:40, विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 90:10 है।
  • क्रियान्वयन: इसे विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा 2019 से सीएसएस के रूप में क्रियान्वित किया जा रहा है। एफटीएससी की स्थापना के पश्चात से, 26 राज्यों में 660 एफटीएससी के माध्यम से बलात्कार और पॉक्सो अपराधों के 51,600 से अधिक मामलों का त्वरित निष्पादन किया गया है।

 

https://www.adda247.com/upsc-exam/preventive-detention-a-necessary-evil-hindi/

एफटीएससी की आवश्यकता

  • महिलाओं के प्रति बढ़ता यौन अपराध: 2019 में बलात्कार और पॉक्सो के लगभग 67 लाख मामले थे, किंतु 4 अगस्त, 2021 तक यह संख्या बढ़कर 2.34 लाख हो गई है।
    • कोविड –19 प्रभाव: न्यायालयों के प्रभावी रूप से कार्य नहीं करने के कारण मामलों का बकाया (बैकलॉग) हो गया। यह मामलों में भारी वृद्धि का एक कारण है।
  • त्वरित न्याय सुनिश्चित करने हेतु: देश भर की अधीनस्थ न्यायालयों में 3 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जिसके परिणामस्वरूप बलात्कार और पॉक्सो पीड़ितों को न्याय उपलब्ध होने में विलंब हो रहा है।
    • इसने सरकार को यौन अपराधों के पीड़ितों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने हेतु एफटीएससी स्थापित करने के लिए प्रेरित किया।
  • विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करना: आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 60% से अधिक कैदी विचाराधीन कैदी हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट विचाराधीन कैदियों को राहत प्रदान करने और जेल के बुनियादी ढांचे पर बोझ कम करने में सहायता करेंगे।

 

https://www.adda247.com/upsc-exam/prelims-specific-articles-hindi/

एफटीएससी के लाभ

  • एक निवारक के रूप में कार्य करता है: त्वरित न्याय समाज में अपराध को कम करने में एक प्रभावी निवारक के रूप में कार्य करता है।
  • विशेषज्ञता एवं दक्षता को प्रोत्साहित करता है: क्योंकि विभिन्न प्रकार के मामलों में उस विशिष्ट क्षेत्र के विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे एफटीसी के माध्यम से न्याय वितरण प्रणाली में आत्मसात किया जा सकता है।
  • त्वरित न्याय से हमारी न्यायिक प्रणाली की दक्षता और प्रभावशीलता में वृद्धि होती है, जिससे भारत में न्याय वितरण   तंत्र में लोगों के विश्वास को बढ़ावा मिलता है।

आगे की राह

  • संपूर्ण तंत्र के उत्पादक रूप से कार्य करने हेतु, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इसके विभिन्न घटक कुशलतापूर्वक एवं निर्बाध रूप से कार्य करते हों।
  • न्यायालयों के कामकाज की समीक्षा करने, सुधार की आवश्यकता का आकलन करने और व्यवस्थित और धारारेखित रूप से उनके कामकाज के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा एक प्रमुख एजेंसी स्थापित करने का उपयुक्त समय आ गया है।
  • सरकार को न्याय वितरण प्रणाली के लिए और अधिक वित्तीय संसाधन आवंटित करके पर्याप्त बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी ध्यान देना चाहिए। इससे भारत के लोगों को त्वरित न्याय तक अभिगम सरल होगा।

https://www.adda247.com/upsc-exam/united-nations-security-council-composition-functioning-and-indian-engagement-at-unsc-hindi/

manish

Recent Posts

Federalism In Indian Polity UPSC, Federal Features of Indian Constitution

Federalism in India means that power is shared between the central government and individual states.…

54 mins ago

UPSC Mains Syllabus 2024, Check out Topic wise Syllabus PDF

UPSC Mains Syllabus is a crucial part of the Civil Services examination because it covers…

8 hours ago

UKPSC Admit Card 2024 Out, Get Link to Download PDF

The UKPSC Admit Card 2024 has been declared by Uttarakhand Public Service Commission (UKPSC) on the official…

9 hours ago

What is IAS Salary 2024, Grade Pay, and Salary Structure

Being an IAS officer involves significant responsibility, accompanied by a favorable salary package. IAS officers…

10 hours ago

UPSC Mains Exam Date 2024 Out, Check UPSC CSE Exam

The highly reputed exam of India "UPSC" is conducted  every year to recruit for the…

10 hours ago

UPPSC Salary 2024, Check PCS In Hand Salary, Allowance and Perks

The Uttar Pradesh Public Service Commission (UPPSC) conducts the UPPSC Exam annually. UPPSC Salary 2024…

13 hours ago