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एफसीआई सुधार: प्रासंगिकता
- जीएस 2: वैधानिक, नियामक एवं विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।
एफसीआई सुधार: प्रसंग
- हाल ही में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने एफसीआई की प्रगति में सुधार के लिए 5 सूत्र दिए।
एफसीआई सुधार के लिए 5 सूत्रीय एजेंडा
- एफसीआई के प्रति सार्वजनिक धारणा को अक्षम एवं भ्रष्ट से गतिशील, समावेशी तथा ईमानदार में बदलें।
- परिचालन दक्षता एवं रिसाव मुक्त वितरण प्राप्त करने के लिए खरीद से लेकर डिलीवरी तक आद्यान्त (एंड-टू-एंड) तकनीकी समाधानों को एकीकृत करने पर ध्यान दें – पीडीएस प्रतिक्रिया समय, लाभार्थी ट्रैकिंग इत्यादि को कम करें।
- संकट में फंसे किसान/किसान उत्पादक संगठन को तीव्र प्रतिक्रिया देने हेतु एक परिवाद (शिकायत) निवारण तंत्र की स्थापना करें। जागरूकता फैलाने के लिए जमीनी स्तर पर “जन जागृति” कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों तक पहुंच स्थापित करें।
- आधुनिक आधारिक अवसंरचना एवं संभारिकी (रसद) के लिए योजना। गोदामों का अंतरराष्ट्रीय मानकों पर उन्नयन (अपग्रेड) करें। बढ़ती आवश्यकताओं के लिए भंडारण क्षमता – पावर बैकअप, सीसीटीवी, सुदृढ़ नेटवर्क सुविधा में सुधार।
- भारत को ‘फूड हब’ बनाने के लिए सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाएं।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के बारे में
- भारतीय खाद्य निगम की स्थापना खाद्य निगम अधिनियम 1964 के तहत की गई थी।
- खाद्य नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी मूल्य समर्थन संचालन।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए संपूर्ण देश में खाद्यान्न का वितरण।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्न के परिचालन एवं बफर स्टॉक के संतोषजनक स्तर को बनाए रखना।
- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के उद्देश्य:
- किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना
- उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग के लिए
- खाद्य सुरक्षा के उपाय के रूप में बफर स्टॉक बनाए रखना
- मूल्य स्थिरीकरण के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना
- अपनी स्थापना के बाद से, एफसीआई ने संकट प्रबंधन उन्मुख खाद्य सुरक्षा को एक स्थिर सुरक्षा प्रणाली में रूपांतरित करने में भारत की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- सरकार की खाद्य नीतियों के क्रियान्वयन के लिए एफसीआई मुख्य केंद्रीय एजेंसी है।
- भारत के आत्मनिर्भर राष्ट्र होने के स्वप्न को वास्तविकता में परिवर्तित करने में एफसीआई ने एक लंबा सफर तय किया है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) रिपोर्ट कार्ड
- 1965 के दौरान क्रय किए गए लगभग 13 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) के मुकाबले एफसीआई प्रतिवर्ष लगभग 1,300 एलएमटी गेहूं एवं धान का क्रय करता है।
- इसी तरह, देश भर में वितरण 1965 में लगभग 18 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर वर्तमान में लगभग 600 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
- यहां तक कि भंडारण क्षमता 1965 में 6 एलएमटी से बढ़कर अब 800 एलएमटी से अधिक हो गई है।