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रक्षा क्षेत्र में एफडीआई- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था- आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
रक्षा क्षेत्र में एफडीआई चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने संसद को सूचित किया कि रक्षा क्षेत्र में संशोधित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट/एफडीआई) नीति के प्रारंभ के पश्चात से, मई, 2022 तक रक्षा क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह लगभग 494 करोड़ रुपये है।
रक्षा क्षेत्र में एफडीआई का उदारीकरण
- केंद्र सरकार ने 2020 में रक्षा क्षेत्र में एफडीआई नियमों को उदार बनाया एवं जहां भी आधुनिक तकनीक तक पहुंच होने की संभावना है, वहां स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत तक एवं सरकारी मार्ग से 100% तक एफडीआई की अनुमति दी।
रक्षा क्षेत्र में एफडीआई- भारत द्वारा उठाए गए कदम
- निवेश को प्रोत्साहित करना: निवेश को आकर्षित करने एवं रक्षा निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण हेतु ऑफसेट नीति में उच्च प्रवर्धक निर्दिष्ट किए गए।
- विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (फॉरेन ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स/एफओईएम) के साथ नियमित रूप से विशिष्ट परामर्श किया जाता है।
- रक्षा गलियारा/डिफेंस कॉरिडोर: दो रक्षा गलियारा एक तमिलनाडु में तथा दूसरा उत्तर प्रदेश में स्थापित किए गए हैं; जो कॉरिडोर में एफओईएम सहित उद्योगों को प्लग एंड प्ले सहायता प्रदान करता है।
- अनुकूलित प्रोत्साहन: दो राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित विमानन (एयरोस्पेस) एवं रक्षा नीति के तहत, निवेश, रोजगार तथा परियोजना स्थल के आधार पर निवेशकों को अनुकूलित प्रोत्साहन पैकेज प्रदान किए जाते हैं।
- इन प्रोत्साहनों में विक्रय पर जीएसटी आधारित प्रतिदाय (रिफंड), भूमि आवंटन पर स्टाम्प शुल्क रियायतें, ऊर्जा कर छूट, पूंजीगत सब्सिडी एवं प्रशिक्षण श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण सब्सिडी सम्मिलित हो सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग: डीडीपी, रक्षा मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस/एमओडी) के तत्वावधान में मित्र विदेशी देशों (फ्रेंडली फॉरेन कंट्रीज/एफएफसी) के साथ विदेश में भारतीय मिशनों एवं भारतीय रक्षा उद्योगों की सक्रिय भागीदारी के साथ उद्योग संघों के माध्यम से वेबिनार आयोजित किए जाते हैं।
- रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ: इसे क्षेत्र में निवेश के लिए निवेश के अवसरों, प्रक्रियाओं एवं नियामक आवश्यकताओं से संबंधित प्रश्नों को हल करने सहित सभी आवश्यक सूचनाएं प्रदान करने हेतु निर्मित किया गया है। इस प्रकोष्ठ द्वारा अब तक 1,445 प्रश्नों को हल किया जा चुका है।
भारत में अब तक का सर्वाधिक एफडीआई- प्रमुख तथ्य
- अब तक का सर्वाधिक एफडीआई: 2014-2015 में, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान रिपोर्ट किए गए 83.57 बिलियन अमरीकी डालर के उच्चतम वार्षिक एफडीआई प्रवाह की तुलना में भारत में एफडीआई प्रवाह मात्र 45.15 अमरीकी डालर था।
- यह यूक्रेन में सैन्य अभियान एवं कोविड-19 महामारी के बावजूद विगत वर्ष केएफटीआई में 1.60 बिलियन अमरीकी डालर से आगे निकल गया है।
- वित्त वर्ष 03-04 से भारत का एफडीआई प्रवाह 20 गुना बढ़ गया है, जब अंतर्वाह मात्र 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई: विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी अंतर्वाह वित्त वर्ष 2021-22 में विगत वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में 76% बढ़ा है।
- कोविड पश्चात की एफडीआई: भारत में कोविड-पूर्व की रिपोर्ट की गई एफडीआई प्रवाह की तुलना में एफडीआई प्रवाह में कोविड-19 पश्चात 23% की वृद्धि हुई है।
- शीर्ष एफडीआई उद्गम देश: एफडीआई इक्विटी प्रवाह के शीर्ष निवेशक देशों के मामले में, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ‘सिंगापुर’ 27% के साथ शीर्ष स्थान पर है, तत्पश्चात यू.एस.ए (18%) एवं मॉरीशस (16%) हैं।
- एफडीआई प्राप्त करने वाला शीर्ष क्षेत्र: ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर’ वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 25% हिस्सेदारी के साथ एफडीआई इक्विटी प्रवाह के शीर्ष प्राप्तकर्ता क्षेत्र के रूप में उभरा है, जिसके बाद क्रमशः सेवा क्षेत्र (12%) एवं ऑटोमोबाइल उद्योग (12%) का स्थान आता है।
- ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर’ क्षेत्र के तहत, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान एफडीआई इक्विटी प्रवाह के प्रमुख प्राप्तकर्ता राज्य कर्नाटक (53%), दिल्ली (17%) एवं महाराष्ट्र (17%) हैं।
- शीर्ष एफडीआई प्राप्तकर्ता राज्य: कर्नाटक वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान रिपोर्ट किए गए कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 38% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष प्राप्तकर्ता राज्य है, इसके बाद महाराष्ट्र (26%) एवं दिल्ली (14%) का स्थान है।