Home   »   How to prepare for UPSC CSE...   »   फेड टू फेल? प्रारंभिक जीवन में...

फेड टू फेल? प्रारंभिक जीवन में बच्चों के आहार का संकट

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।

 

प्रसंग

  • हाल ही में यूनिसेफ ने ‘फेड टू फेल’ शीर्षक से एक नई रिपोर्ट जारी की है। प्रारंभिक जीवन में बच्चों के आहार का संकट’ जहां इसने इस ओर ध्यान आकर्षित किया है कि कैसे बढ़ती निर्धनता, संघर्ष, असमानता एवं जलवायु संबंधी आपदाएं छोटे बच्चों में व्याप्त पोषण संकट में योगदान दे रही हैं।

UPSC Current Affairs

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु निशुल्क वीडियो प्राप्त कीजिए एवं आईएएस/ आईपीएस/ आईआरएस बनने के अपने सपने को साकार कीजिए

 

मुख्य बिंदु

 बाल अल्पपोषण

  • रिपोर्ट में पाया गया है कि <2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को विकास के लिए आवश्यक भोजन एवं पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो रहे हैं, जिससे अपरिवर्तनीय विकासात्मक हानि हो रही है।
  • जीवन के प्रारंभिक दो वर्षों में अपर्याप्त पोषण का सेवन बच्चों के तीव्र गति से वृद्धि करते शरीर एवं मस्तिष्क को अपरिवर्तनीय रूप से हानि पहुंचा सकता है, जिससे उनकी विद्यालयी शिक्षा, रोजगार की संभावनाएं कथा भविष्य प्रभावित हो सकता है।
  • रिपोर्ट में 91 देशों का अध्ययन किया गया एवं पाया गया कि 6-23 माह के मध्य के केवल आधे बच्चों को प्रतिदिन न्यूनतम अनुशंसित मात्रा में भोजन दिया जा रहा है।
  • इसके अतिरिक्त, मात्र एक तिहाई बच्चे ही उन खाद्य समूहों की न्यूनतम संख्या का उपभोग करते हैं जिनकी उन्हें वृद्धि करने हेतु आवश्यकता होती है।
  • प्रारंभिक आयु में पोषक तत्वों का अपर्याप्त सेवन बच्चों को अपर्याप्त मस्तिष्क विकास, दुर्बल शिक्षण,  अल्प प्रतिरक्षा, बढ़े हुए संक्रमण तथा संभावित रूप से मृत्यु के जोखिम में डालता है।

पोषण 2.0

कोविड की स्थिति

  • कोविड ने यह भी प्रभावित किया है कि परिवार शिशुओं को किस प्रकार पोषण प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, जकार्ता में शहरी परिवारों के मध्य किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि आधे परिवारों को पौष्टिक खाद्य उत्पादों  के क्रय  में कमी लाने हेतु बाध्य किया गया है।
  • इस कारण से, खाद्य समूहों की न्यूनतम अनुशंसित संख्या का उपभोग करने वाले बच्चों का प्रतिशत 2018 की तुलना में 2020 में एक तिहाई गिर गया।

भूख अधिस्थल: एफएओ-डब्ल्यूएफपी की एक रिपोर्ट

ग्रामीण-शहरी विभाजन

  • 6-23 माह की आयु के बच्चे, जो ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं, या निर्धन परिवारों से हैं, उनके शहरी अथवा धनी समकक्षों की तुलना में अपर्याप्त आहार मिलने की संभावना काफी अधिक है।
  • 2020 में, अनुशंसित खाद्य समूहों की न्यूनतम संख्या में पोषित किए गए बच्चों का अनुपात शहरी क्षेत्रों (39%) में ग्रामीण क्षेत्रों (23%) की तुलना में दोगुना अधिक था।

प्रच्छन्न भूख का मुकाबला: चावल का प्रबलीकरण

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *