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वन परिदृश्य पुनर्स्थापना 

वन परिदृश्य पुनर्स्थापना: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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वन पुनर्स्थापना: प्रसंग

  • हाल ही में, सामुदायिक प्रयास के एक शानदार उदाहरण में, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कार्यरत लगभग 100 महिलाओं ने, एक स्थानीय क्लब के 50 युवाओं एवं जिला प्रशासन के साथ कार्य करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान वृक्ष लगाए।

 

वृक्ष पुनर्स्थापना: वन महोत्सव के बारे में

  • वन महोत्सव का शाब्दिक अर्थ “जंगल का उत्सव मनाना” है।
  • वन महोत्सव दिवस का इतिहास जुलाई 1947 का है, जब इसे प्रथम बार पंजाबी वनस्पतिशास्त्री एम.एस. रंधावा द्वारा आयोजित किया गया था।
  • तत्पश्चात, 1950 में, पर्यावरणविद् एवं केंद्रीय कृषि तथा खाद्य मंत्री, के.एम. मुंशी ने इसकी पहुंच एवं राष्ट्रीय दायरे का विस्तार किया।
  • प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर/आईयूसीएन) के अनुसार, वनोन्मूलन एवं वन क्षरण वैश्विक हरितगृह गैस (ग्रीन हाउस गैसेस/जीएचजी) उत्सर्जन का लगभग 12% योगदान करते हैं। भारत में प्राथमिक वनों के अध्यासित कुल क्षेत्रफल में 6% की कमी आई है।
  • अतः, अधिक वनों को निर्मित करने एवं पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। हालांकि, वृक्षारोपण के प्रयासों के बारे में बहुत बहस है।

 

वन परिदृश्य पुनर्स्थापना

  • विश्व में लगभग दो अरब हेक्टेयर (तथा भारत में 14 करोड़ हेक्टेयर) निम्नीकृत भूमि में वन भूमि के रूप में संभावित पुनर्स्थापना की संभावना है।
  • पूर्व समय में, सरकारें गैर-वृक्ष भूमि पर वृक्षारोपण के साधन के रूप में वनीकरण एवं पुनर्वनीकरण पर निर्भर रही हैं।
  • हालाँकि, ये रणनीतियाँ हाल के दिनों में विकसित हो रही हैं।
  • वन भूमि पुनर्स्थापना का अर्थ, पारिस्थितिक कार्यक्षमता को पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया एवं वनोन्मूलन अथवा अवक्रमित वन परिदृश्य में मानव कल्याण में सुधार होता है।
  • यह दृष्टिकोण अनेक भूमि उपयोगों तथा व्यक्तियों की छोटी एवं लंबी अवधि में आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है।
  • वन परिदृश्य पुनर्स्थापन समुदायों को भू-दृश्यों के उन्नयन के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद अंतःक्षेपों को डिजाइन करने एवं क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में सम्मिलित करने का एक प्रयास है।
  • वन भूमि परिदृश्य को लागू करते समय, वृक्ष लगाते समय विविधता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
  • विविध देशी वृक्ष प्रजातियों वाले प्राकृतिक वन एकल कृषि (मोनोकल्चर) वृक्षारोपण की तुलना में कार्बन को पृथक करने में अधिक दक्ष हैं।
  • स्थानीय समुदायों एवं उनकी आजीविका के लिए विविध प्रजातियों का रोपण भी स्वास्थ्यवर्धक है

 

वनों की भूमिका

  • पर्यावरणीय लाभ: वन पारिस्थितिक तंत्र को विनियमित करते हैं। यह कार्बन चक्र को प्रभावित करता है एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का शमन करता है।
    • वार्षिक रूप से, वन लगभग 6 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। इस अवशोषण में जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाली लगभग 33% कार्बन डाइऑक्साइड सम्मिलित है।
  • मानव के लिए लाभ: लाखों जीवन एवं आजीविका हमारे वनों से जुड़ी हुई है। वन वस्तुओं एवं सेवाओं के संसाधन आधार के रूप में कार्य करके स्थानीय समुदायों तथा उनकी आजीविका के लिए एक वरदान हैं।
  • बहु-आयामी लाभ: विश्व संसाधन संस्थान (वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट) के अनुसार, वन पारिस्थितिकी तंत्र मृदा की उर्वरता एवं जल की उपलब्धता को समृद्ध करते हैं, कृषि उत्पादकता में वृद्धि करते हैं तथा बदले में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध करते हैं।
    • वृक्षारोपण भू क्षरण को रोकता है एवं बाढ़ पर रोक लगाता है।
  • महिला सशक्तिकरण: सतत वन फसलें खाद्य असुरक्षा को कम करती हैं एवं महिलाओं को सशक्त बनाती हैं, जिससे उन्हें अधिक पोषण आहार तथा आय के नवीन स्रोतों तक पहुंच प्राप्त करने की अनुमति प्राप्त होती है।
  • प्रवास को कम करता है: कृषि वानिकी ग्रामीण-से-शहरी प्रवास को कम करती है एवं संसाधनों तथा घरेलू आय में वृद्धि में योगदान करती है।

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भारतीय कार्यक्रम

अंतर्राष्ट्रीय प्रयास

  • 2021-2030 की अवधि पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना पर संयुक्त राष्ट्र का दशक है, जिसमें वनों सहित अवक्रमित स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों पर बल दिया गया है।
  • भारत 2015 में बॉन चैलेंज में शामिल हुआ, जिसमें 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित वनोन्मूलित भूमि को पुनर्स्थापित करने का वादा किया गया था।
    • 2011 में, बॉन चैलेंज को 2020 तक 150 मिलियन हेक्टेयर एवं 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित एवं वनोन्मूलित भूमि को पुनर्स्थापित करने के वैश्विक लक्ष्य के साथ प्रारंभ किया गया था।
  • 2030 तक वन एवं वृक्षावरण के माध्यम से 5 बिलियन-3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण किया जाना है।

राष्ट्रीय प्रयास

वृक्षों की पुनर्स्थापना के लिए प्रतिपूरक वनीकरण, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम, हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (हरित भारत मिशन), नगर वन योजना एवं वन अग्नि निवारण तथा प्रबंधन योजना जैसी विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की गईं।

पर्यावरण तथा वन क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले युवाओं पर हरित कौशल विकास कार्यक्रम (ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम) के माध्यम से ध्यान केंद्रित करें।

 

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