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एनएफएसए के सभी लाभार्थियों के लिए एक वर्ष के लिए निशुल्क राशन: विश्व स्तर पर खाद्य सुरक्षा की मूल अवधारणा यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों को, प्रत्येक समय, उनके सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन के लिए बुनियादी भोजन तक पहुंच प्राप्त होने चाहिए एवं इसकी विशेषता उपलब्धता, पहुंच, उपयोग एवं भोजन की स्थिरता है। अतः, एनएफएसए के सभी लाभार्थियों को एक वर्ष के लिए निशुल्क राशन प्रदान करने का केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। मंत्रिमंडल का निर्णय भारत के अनाज भंडार, विशेष रूप से गेहूं के भंडार में संभावित गिरावट की चिंताओं को भी संबोधित करता है। आज का लेख ”एनएफएसए के सभी लाभार्थियों को एक वर्ष के लिए निशुल्क राशन” में यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां तथा जीएस 3: खाद्य सुरक्षा शामिल है।
चर्चा में क्यों है?
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई अथवा निशुल्क राशन योजना) को दिसंबर से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।
- हालांकि, सरकार पूरे 2023 के दौरान 813 मिलियन लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट/NFSA) के तहत निशुल्क अनाज उपलब्ध कराएगी।
क्या यह आर्थिक दृष्टि से विवेकपूर्ण कदम है?
- यह कदम आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण है, यह देखते हुए कि पीएमजीकेएवाई की लागत, जिसके तहत लोगों के एक ही वर्ग को अतिरिक्त मात्रा में अनाज दिया जाता है, एनएफएसए अनाज को पूरी तरह से मुक्त करने की तुलना में बहुत अधिक है।
- अनाज की आर्थिक लागत को देखते हुए, शुक्रवार के फैसले के कारण अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी व्यय लगभग 25,000 करोड़ रुपये होगा। इसकी तुलना में, यदि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को एक वर्ष के लिए बढ़ाया जाता, तो इससे सरकारी खजाने पर 1.6-1.7 ट्रिलियन रुपये का बोझ पड़ता।
एनएफएसए वर्तमान में कैसे कार्य करता है?
- वर्तमान में, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट/एनएफएसए) के तहत, सरकार अत्यधिक रियायती दरों पर प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करती है। एनएफएसए के तहत लाभार्थियों को चावल 3 रुपये प्रति किलो एवं गेहूं 2 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाता है।
- साथ ही, अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत आने वाले परिवारों को प्रति माह 35 किलो अनाज मिलता है।
पीएमजीकेएवाई कैसे काम करता है?
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) एक निशुल्क राशन योजना है, जिसने अप्रैल 2020 में कोविड-19 की पहली लहर के मध्य प्रारंभ होने के पश्चात से लगभग 3.91 ट्रिलियन रुपये खर्च किए हैं।
- इसकी शुरुआत के बाद से, यह योजना दिसंबर 2020 से अप्रैल 2021 के मध्य की अवधि को छोड़कर, कई विस्तारों के साथ लगातार चलती रही है।
- नवीनतम विस्तार तीन माह के लिए 31 दिसंबर, 2022 तक था।
- पीएमजीकेएवाई के तहत 80 करोड़ लोगों को प्रत्येक माह 5 किलो अनाज निशुल्क प्राप्त हो रहा है।
एनएफएसए 2013 के बारे में जानें
हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से लंबे समय से सरकार द्वारा घरों में ‘खाद्य सुरक्षा‘ के मुद्दे को निरंतर संबोधित किया जा रहा है, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट/एनएफएसए) 2013 को 5 जुलाई को लागू किया गया है। 2013 खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण में कल्याण से अधिकार आधारित दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है। मुख्य प्रावधान:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लक्षित सार्वजनिक वितरण (टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन/टीपीडी) प्रणाली के तहत सब्सिडी युक्त खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए 75% ग्रामीण आबादी एवं 50% शहरी आबादी को कानूनी रूप से लक्षित करता है।
- इसलिए अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु लगभग दो तिहाई आबादी अधिनियम के दायरे के अंतर्गत आती है।
- महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम के रूप में, अधिनियम के तहत राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की घर की सबसे बड़ी महिला को घर का मुखिया बनाना अनिवार्य है।
- यह अधिनियम सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है एवं अखिल भारतीय आधार पर, 81.34 करोड़ व्यक्तियों के अधिकतम कवरेज में से, लगभग 80 करोड़ व्यक्तियों को अत्यधिक सब्सिडी युक्त खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कवर किया गया है।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लाभार्थियों की पहचान एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें अपात्र/नकली/डुप्लिकेट राशन कार्डों का अपवर्जन तथा मृत्यु, प्रवास इत्यादि के कारण अपवर्जन एवं जन्म के कारण शामिल होने के साथ-साथ वास्तविक छूटे हुए परिवारों को भी शामिल किया गया है।
- अधिनियम के मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक इसका जीवन-चक्र दृष्टिकोण है जिसमें गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं तथा 6 माह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जो उन्हें एकीकृत बाल विकास सेवा (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज/आईसीडीएस) केंद्रों का एक व्यापक नेटवर्क, जिसे आईसीडीएस योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्र कहा जाता है एवं मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील/एमडीएम) योजना के तहत विद्यालयों के माध्यम से भी निशुल्क पौष्टिक भोजन प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करते हैं।
- 6 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिए उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किए गए हैं।
- गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली माताएं गर्भावस्था की अवधि के दौरान मजदूरी के नुकसान की आंशिक क्षतिपूर्ति हेतु तथा पूरक पोषण के लिए भी 6,000 रुपये से अनधिक नकद मातृत्व लाभ प्राप्त करने की हकदार हैं।
क्या आपको पता है?
यद्यपि भारतीय संविधान में भोजन के अधिकार के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन के मौलिक अधिकार की व्याख्या मानव सम्मान के साथ जीने के अधिकार को शामिल करने के लिए की जा सकती है, जिसमें भोजन का अधिकार एवं अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के अधिकार शामिल हो सकते हैं। |
एनएफएसए के सभी लाभार्थियों को एक वर्ष के लिए निशुल्क राशन के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. पीएमजीकेएवाई कब प्रारंभ की गई थी?
उत्तर. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) अप्रैल 2020 में उन निर्धन लोगों की सहायता के लिए प्रारंभ की गई थी, जिनकी आजीविका कोविड-19 महामारी के कारण बंद हो गई थी।
प्र. एनएफएसए अधिनियम 2013 क्या है?
उत्तर. एनएफएसए अधिनियम 2013 लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए ग्रामीण आबादी के 75% तक एवं शहरी आबादी के 50% तक कवरेज प्रदान करता है, इस प्रकार लगभग दो-तिहाई आबादी को कवर करता है।
प्र. क्या हमारे यहां भोजन के अधिकार का संवैधानिक प्रावधान है?
उत्तर. यद्यपि भारतीय संविधान में भोजन के अधिकार के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन के मौलिक अधिकार की व्याख्या मानव सम्मान के साथ जीने के अधिकार को शामिल करने के लिए की जा सकती है, जिसमें भोजन का अधिकार एवं अन्य बुनियादी आवश्यकताएं शामिल हो सकती हैं। .
प्र. क्या भारत सरकार एनएफएसए 2013 के तहत निशुल्क राशन प्रदान करती है?
उत्तर. इसके पूर्व नहीं, बल्कि 23 दिसंबर 2022 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट/एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ निर्धन व्यक्तियों को एक वर्ष अर्थात 23 दिसंबर 2023 तक निशुल्क राशन देने का निर्णय लिया है।