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जी-20 जेईसीएमएम 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
जी-20 पर्यावरण मंत्रियों की बैठक 2022 चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने बाली, इंडोनेशिया में आयोजित जी-20 पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रियों की संयुक्त बैठक (जेईसीएमएम) में भाग लिया।
- उन्होंने भारत की जी 20 अध्यक्षता के दौरान अगली पर्यावरण प्रतिनिधि बैठक एवं जलवायु धारणीयता कार्य समूह से संबंधित कार्यक्रमों के लिए जी 20 के सभी देशों को हार्दिक तथा गर्मजोशी से आमंत्रित किया।
जी-20 पर्यावरण मंत्रियों की बैठक 2022 में भारत
- सहकारी एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण: भारत ने संपूर्ण विश्व में, किसी को पीछे छोड़े बिना विशेष रूप से समाज के सबसे कमजोर वर्गों को मजबूत सुधार एवं लचीलापन के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- सतत पुनर्प्राप्ति: भारत ने जी-20 को स्मरण कराया कि सतत विकास के 2030 के एजेंडे के केंद्र में सतत पुनर्प्राप्ति है एवं इसे सतत विकास लक्ष्यों की ओर प्रेरित करना चाहिए।
- सामान्य किंतु विभेदित उत्तरदायित्व एवं संबंधित क्षमताएं (कॉमन बट डिफरेंसिएटेड रिस्पांसिबिलिटीज एंड रेस्पेक्टिव कैपेबिलिटीज/सीडीआरआरसी) का सिद्धांत: भारत ने पुनः इस बात पर प्रकाश डाला कि समकालीन पर्यावरणीय चुनौतियों को हल करने हेतु कोई भी पहल राष्ट्रीय परिस्थितियों एवं प्राथमिकताओं के आलोक में न्यायसंगतता तथा सीडीआरआरसी के सिद्धांत के आधार पर होनी चाहिए।
- समृद्धि को पुनर्परिभाषित करें: भारत ने सभी के लिए वहन योग्य, सेवा योग्य एवं धारणीय जीवन शैली सुनिश्चित करने के लिए समृद्धि को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- ‘संपूर्ण विश्व‘ दृष्टिकोण: भारत एक ‘संपूर्ण विश्व’ दृष्टिकोण का समर्थन करता है जो देशों, अर्थव्यवस्थाओं एवं समुदायों की अन्योन्याश्रयता को मान्यता प्रदान करता है।
जी-20 शिखर सम्मेलन 2022
- पृष्ठभूमि: जी-20 का गठन 1999 में 1990 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया को दुष्प्रभावित किया था।
- जी-20 का प्रथम शिखर सम्मेलन 2008 में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में हुआ था।
- जी-20 के बारे में: जी-20 एक वैश्विक समूह है जिसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है।
- जी-20 शिखर सम्मेलन के अतिरिक्त शेरपा बैठकें (जो समझौतों एवं आम सहमति निर्मित करने में सहायता करती हैं) एवं अन्य कार्यक्रम भी पूरे वर्ष आयोजित किए जाते हैं।
- जी-20 सदस्य: जी-20 के पूर्ण सदस्य – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय संघ हैं।
- प्रत्येक वर्ष, राष्ट्रपति अतिथि देशों को आमंत्रित करते हैं।
- जी-20 सचिवालय: जी-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है।
- जी-20 शेरपा: कार्य सूची एवं कार्यों का समन्वय जी-20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, जिन्हें ‘शेरपा’ के रूप में जाना जाता है, जो केंद्रीय बैंकों के वित्त मंत्रियों तथा गवर्नरों के साथ मिलकर कार्य करते हैं।
- भारत ने हाल ही में कहा था कि पीयूष गोयल के बाद नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर/सीईओ) अमिताभ कांत जी-20 शेरपा होंगे।
- महत्व: एक साथ, जी-20 देशों में विश्व की 60 प्रतिशत आबादी, वैश्विक जीडीपी का 80 प्रतिशत एवं वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत शामिल है।
- जी-20 की अध्यक्षता: जी-20 की अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष सदस्यों के मध्य क्रमावर्तित होती है। वर्तमान में जी-20 की अध्यक्षता इंडोनेशिया के पास है।
- जी-20 अध्यक्षता 2023: भारत को वर्ष 2023 के लिए जी-20 की अध्यक्षता उत्तराधिकार में प्राप्त होगी।
- जी-20 त्रि- नेतृत्व: जी-20 की अध्यक्षता वाले देश, विगत एवं आगामी अध्यक्षता-धारक के साथ मिलकर जी-20 एजेंडा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए ‘त्रि- नेतृत्व’ (ट्रोइका) बनाते हैं।
- इटली, इंडोनेशिया तथा भारत अभी ट्रोइका देश हैं।