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जीनोम संपादन तथा क्रिस्पर-कैस9: परिभाषा | कार्यकरण |  लाभ | चुनौतियां

क्रिस्पर कैस9 यूपीएससी

क्रिस्पर-कैस9 एक जीनोम संपादन युक्ति (एडिटिंग टूल) है जो विज्ञान जगत में बहुत सारी खबरें बना रहा है। इसे जैव प्रौद्योगिकी  तथा चिकित्सा में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस लेख में, हम क्रिस्पर एवं कैस9 से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे जो यूपीएससी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 

इससे  पूर्व कि हम क्रिस्पर के बारे में चर्चा करें, आइए पहले समझते हैं

जीनोम एडिटिंग क्या है?

  • जीनोम एडिटिंग या जीन एडिटिंग प्रौद्योगिकियों का एक समूह है जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के डीएनए को परिवर्तित करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • इन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से, जीनोम में किसी विशेष स्थान पर एक आनुवंशिक सामग्री को जोड़ा, हटाया या परिवर्तित किया जा सकता है।
  • आनुवंशिक संपादन के अनेक उपागमों में से क्रिस्पर-कैस9 उनमें से एक उपागम है।
  • क्रिस्पर-कैस9 प्रणाली ने वैज्ञानिक समुदाय में अत्यधिक रोमांच उत्पन्न किया है क्योंकि यह डीएनए को संपादित करने की विगत तकनीकों की तुलना में तीव्र, किफायती, अधिक परिशुद्ध एवं अधिक कुशल है  तथा इसमें संभावित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला है।

 

क्रिस्पर-कैस9 क्या है?

  • जैसा कि पहले ही चर्चा की जा चुकी है, क्रिस्पर-कैस9 एक विशिष्ट तकनीक है जो वैज्ञानिकों को डीएनए अनुक्रम के अनुक्रमों को हटाने, जोड़ने अथवा परिवर्तित  करने के द्वारा जीनोम के कुछ हिस्सों को संपादित करने में सक्षम बनाती है।
  • क्रिस्पर का पूर्ण रूप: क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड पैलिंड्रोमिक रिपीट्स
  • क्रिस्पर डीएनए के विशेष खंड है एवं प्रोटीन कैस9 (क्रिस्पर-संबद्ध) एक एंजाइम है जो आणविक  कैसी के एक युग्म की भांति कार्य करता है, जो डीएनए के स्ट्रैंड को काटने में सक्षम है।

 

क्रिस्पर-कैस9 कैसे कार्य करता है?

  • क्रिस्पर-कैस9 में दो प्रमुख अणु होते हैं जो डीएनए में परिवर्तन लाते हैं। वो हैं:
  • कैस9: यह ‘आणविक कैंची’ के एक युग्म के रूप में कार्य करता है जो जीनोम में एक विशिष्ट स्थान पर डीएनए के दो स्ट्रैंड को काट सकता है ताकि डीएनए के बिट्स को जोड़ा या हटाया जा सके।
  • आरएनए का एक खंड जिसे गाइड आरएनए (जीआरएनए) कहा जाता है: गाइड आरएनए को डीएनए में एक विशिष्ट अनुक्रम को खोजने तथा बांधने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

 

क्रिस्पर-कैस9 में कौन से चरण हैं?

  • प्रयोग के लिए एक जीव का चयन करें
  • लक्ष्य स्थान के जीन का चयन करें
  • क्रिस्पर-कैस9 सिस्टम का चयन कीजिए
  • एसजीआरएनए का चयन करें  तथा डिज़ाइन करें
  • एसजीआरएनए का संश्लेषण  तथा क्लोनिंग
  • एसजीआरएनए एवं कैस9 वितरित करना
  • प्रयोग की अभिपुष्टि करें
  • परिवर्तित कोशिकाओं का संवर्धन
  • जीन व्यंजक का अध्ययन कीजिए
  • परिणामों का विश्लेषण

 

जीन एडिटिंग के लाभ

  • रोगों से निपटना एवं उन्हें हराना: जीन संपादन का उपयोग नई प्रतिरक्षा चिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) विकसित करने के लिए किया जा सकता है जो कैंसर का उपचार कर सकती है। साथ ही जेनेटिक एडिटिंग की  सहायता से वैज्ञानिक अंतर्निहित रोगों को संततियों में प्रवाहित होने से रोक सकते हैं।
  • जीवनकाल को विस्तृत करना: आनुवंशिक संपादन कोशिकीय स्तर पर शरीर की प्राकृतिक क्षय के सर्वाधिक मूलभूत कारणों को प्रतिलोमित कर सकता है। अतः, यह बाद में जीवन की अवधि तथा गुणवत्ता दोनों में सुधार कर सकता है।
  • खाद्य उत्पादन में गुणवत्ता वृद्धि: जेनेटिक इंजीनियरिंग ऐसे खाद्य पदार्थों का उत्पादन कर सकती है जो उच्च तापमान को सहन कर सकते हैं  तथा समस्त उचित पोषक तत्वों से भरे हुए हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग  संपूर्ण विश्व में पोषण संबंधी सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
  • कीट प्रतिरोधी फसलें: जीनोम एडिटिंग कई टन कीटनाशकों एवं पीड़कनाशकों का एक आदर्श विकल्प हो सकता है जिनका उपयोग हम अपनी फसल को स्वस्थ बनाने के लिए नियमित रूप से करते हैं।

 

जीन संपादन की चुनौतियाँ

  • नैतिक दुविधा: जीन संपादन से पूर्व सर्वाधिक मूलभूत प्रश्नों में से एक इसकी गैर-स्वाभाविकता है। जीन  संपादन अप्राकृतिक है  तथा प्रकृति के नियमों में परिवर्तन कर वैज्ञानिक मानव जाति को अधिक क्षति पहुंचा रहे हैं।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: जीन संपादन एक अत्यधिक जटिल घटना है। सर्वाधिक लघुतम स्तर पर किए गए थोड़े से  परिवर्तनों से अप्रत्याशित परिणाम  प्राप्त हो सकते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि अनुसंधान के परिणाम क्या हो सकते हैं तथा हम ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए कितने सक्षम हैं।
  • विविधता के विरुद्ध: आनुवंशिक अभियांत्रिकी हमारी प्रजातियों का हमारी आनुवंशिक विविधता पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा, जो पृथ्वी पर विकास की कुंजी है।
  • वहनीयता: जीन थेरेपी महंगी है। अतः, जीन थेरेपी के लाभ मात्र समृद्ध व्यक्तियों के लिए हो सकते हैं जबकि निर्धनों को शायद ही ऐसी तकनीक से लाभ होगा।

निष्कर्ष

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग अपनी आलोचनाओं के बावजूद यहां अस्तित्व में है।
  • सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने हेतु प्रौद्योगिकी को विनियमित करने के लिए कानूनों  एवं विनियमों को सामने रखना बेहतर होगा।
  • उचित कानूनों तथा इसके उपयोग पर नियंत्रण के साथ, यह निश्चित रूप से मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा उपहार होगा।

 

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