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वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021: प्रासंगिकता
- जीएस 2: निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।
वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021: प्रसंग
- हाल ही में जारी वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021 (जीएनआर, 2021) के अनुसार, भारत ने रक्ताल्पता (एनीमिया) एवं बाल्यावस्था कृशता पर कोई प्रगति नहीं की है।
वैश्विक पोषण रिपोर्ट के बारे में
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट (ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट) की कल्पना 2013 में प्रथम न्यूट्रिशन फॉर ग्रोथ इनिशिएटिव समिट (एन4जी) के प्रारंभ होने के बाद की गई थी।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट, वैश्विक पोषण की स्थिति का विश्व का अग्रणी स्वतंत्र मूल्यांकन है।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट एक बहु-हितधारक पहल है, जिसमें एक हितधारक समूह, स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह एवं रिपोर्ट सचिवालय शामिल हैं।
- दृष्टि: अपने सभी रूपों में कुपोषण से मुक्त एक विश्व ।
वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021: प्रमुख निष्कर्ष
- विश्व वैश्विक मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण (एमआईवाईसीएन) लक्ष्यों में छह में से पांच, वृद्धिरोध (स्टंटिंग), कृशता (वेस्टिंग), जन्म के समय कम वजन, एनीमिया एवं बाल्यावस्था मोटापा को प्राप्त करने के मार्ग से दूर है।
- विश्व स्तर पर, 5 वर्ष से कम आयु के 2 मिलियन बच्चे अविकसित हैं, 45.4 मिलियन कृशकाय (वेस्टेड) हैं एवं 38.9 मिलियन मोटापा से ग्रसित हैं।
- सभी पुरुषों एवं महिलाओं में से 40% से अधिक (2 बिलियन लोग) अब अधिक वजन वाले या मोटे हैं।
- नमक अंतर्ग्रहण, बढ़ा हुआ रक्तचाप, वयस्क मोटापा एवं मधुमेह पर आहार संबंधी सभी गैर-संचारी रोग (एनसीडी) लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु भी विश्व ट्रैक से बाहर है।
- स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय प्रभावों के बावजूद, प्रमुख वैश्विक लक्ष्य एवं व्यवस्थित अनुश्रवण आहार को अपवर्जित कर देते हैं।
- स्वास्थ्य एवं विकास के लिए उनके महत्व के बावजूद, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी (एनीमिया को छोड़कर) को दूर करने के लिए कोई वैश्विक लक्ष्य निर्धारित नहीं किए गए हैं।
- बच्चों एवं किशोरों में कुपोषण को प्रग्रहित करने हेतु भी कोई विशिष्ट लक्ष्य नहीं है।
- कोविड-19: 55 मिलियन अतिरिक्त व्यक्तियों को महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर अत्यधिक निर्धनता के लिए बाध्य किया जा रहा है।
- मोटापा: विश्व का कोई भी देश मोटापे के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘मार्ग पर’ नहीं है।
वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021: भारत से संबंधित निष्कर्ष
- एनीमिया: 15-49 वर्ष के आयु वर्ग में 53% भारतीय महिलाएं रक्ताल्पता से पीड़ित हैं, जबकि 2016 में, 52.6 प्रतिशत भारतीय महिलाएं रक्ताल्पता से पीड़ित थीं।
- यह दर्शाता है कि 2016 के बाद से रक्ताल्पता पीड़ित भारतीय महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
- प्रभावित बच्चे: जहां एशिया में लगभग 9% बच्चे प्रभावित होते हैं, वहीं भारत में 5 वर्ष से कम आयु के 17% से अधिक भारतीय बच्चे प्रभावित होते हैं।
- रिपोर्ट कहती है कि भारत 13 वैश्विक पोषण लक्ष्यों में से 7 को पूरा करने में ‘ मार्ग से परे’ (‘ऑफ-कोर्स’) है।
- इनमें सोडियम का सेवन, बढ़ा हुआ रक्तचाप (पुरुष एवं महिला दोनों), मोटापा (पुरुष एवं महिला दोनों) तथा मधुमेह (पुरुष एवं महिला दोनों) शामिल हैं।
- मोटापा: देश में लगभग 2 प्रतिशत वयस्क महिलाएं एवं 3.5 प्रतिशत वयस्क पुरुष मोटापे के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
- स्टंटिंग: रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन 53 देशों में शामिल है, जो स्टंटिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु ‘ मार्ग पर’ हैं। किंतु 5 वर्ष से कम आयु के 34 प्रतिशत से अधिक बच्चे अभी भी इससे प्रभावित हैं।
- अधिक वजन: भारत देश भी उन 105 देशों में शामिल है, जो ‘ बाल्यावस्था में अधिक वजन’ के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु ‘मार्ग पर’ हैं।
- भारत में 0-5 महीने के आयु वर्ग के लगभग 58 प्रतिशत शिशुओं को विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है।
- जन्म के समय कम वजन: भारत में ‘जन्म के समय कम वजन’ की व्यापकता के बारे में पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।