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कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई)- भारत कृत्रिम प्रज्ञान पर जीपीएआई की अध्यक्षता ग्रहण करेगा

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कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी (ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन एआई/जीपीएआई): यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

कृत्रिम प्रज्ञान (जीपीएआई) पर वैश्विक भागीदारी: यह एक अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका उद्देश्य कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/एआई) के मानव-केंद्रित विकास को सुनिश्चित करना है। कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 (अंतर्राष्ट्रीय संगठन) एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय संबंध तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) के लिए महत्वपूर्ण है।

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कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी चर्चा में क्यों है

  • भारत ने हाल ही में कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/जीपीएआई) पर वैश्विक भागीदारी की अध्यक्षता की।
  • जीपीएआई की भारत की अध्यक्षता बाली, इंडोनेशिया में विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की एक लीग जी 20 की अध्यक्षता भारत द्वारा संभालने के बाद हुई है।

 

कृत्रिम प्रज्ञान (जीपीएआई) बैठक 2022 पर वैश्विक भागीदारी में भारत

  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने फ्रांस से प्रतीकात्मक पदभार ग्रहण के लिए टोक्यो में आयोजित होने वाली जीपीएआई की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो निवर्तमान परिषद अध्यक्ष है।
  • मंत्री ने कृत्रिम प्रज्ञान के आसपास नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करने के लिए एआई के कुशल उपयोग हेतु भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया, जो हमारे नागरिकों एवं व्यापक रूप से संपूर्ण विश्व के लिए अच्छे, विश्वसनीय अनुप्रयोग बना सकता है। इसके लिए, भारत ने निम्नलिखित पहल की हैं-
    • कृत्रिम का ज्ञान पर राष्ट्रीय कार्यक्रम
    • नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी-  विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक रूप से सुलभ डेटा समुच्चय कार्यक्रम में से एक।
    • उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत आधुनिक साइबर कानूनों तथा ढांचे के एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है जो खुलेपन, सुरक्षा एवं विश्वास तथा उत्तरदायित्व की तीन सीमा शर्तों से संचालित है।

 

कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी (ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/जीपीएआई) क्या है?

  • कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी के बारे में: कृत्रिम प्रज्ञान (जीपीएआई) पर वैश्विक भागीदारी  उत्तरदायी एवं मानव-केंद्रित विकास तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग का समर्थन करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पहल है।
  • ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सदस्य: जीपीएआई अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य एवं सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों का समूह है।
    • भारत 2020 में संस्थापक सदस्य के रूप में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समूह पर वैश्विक भागीदारी में शामिल हुआ था।
  • अधिदेश: जीपीएआई का उद्देश्य कृत्रिम प्रज्ञान हेतु जिम्मेदार विकास को प्रोत्साहित करना तथा मानव अधिकारों, समावेशन, विविधता, नवाचार एवं आर्थिक विकास के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार विकास तथा उपयोग का मार्गदर्शन करना है।

 

कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी का महत्व (जीपीएआई)

  • जीपीएआई भागीदार देशों के अनुभव एवं विविधता का उपयोग करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आसपास की चुनौतियों तथा अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए अपनी तरह की पहली पहल है।
  • जीपीएआई  गठबंधन कृत्रिम प्रज्ञान से संबंधित प्राथमिकताओं पर उन्नत अनुसंधान एवं अनुप्रयुक्त गतिविधियों का समर्थन करके सिद्धांत एवं व्यवहार के मध्य की खाई को पाटने का प्रयास करेगा।
  • कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई) भागीदारों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों, उद्योग जगत, नागरिक समाज, सरकारों तथा शिक्षा जगत के प्रमुख विशेषज्ञों के सहयोग से कार्य करती है।

 

भारत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की क्या संभावनाएं है?

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जोड़ने की संभावना है-
    • 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 967 बिलियन अमेरिकी डॉलर एवं
    • 2025 तक भारत की जीडीपी में 450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर, जो देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के जीडीपी लक्ष्य का 10% गठित करता है।

 

भारत की नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी (एनडीजीपीएफ)

  • एनडीजीएफपी का उद्देश्य गैर-व्यक्तिगत डेटा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना एवं निम्नलिखित के लिए संस्थागत ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है-
  • सरकारी डेटा साझाकरण,
  • डिजाइन द्वारा गोपनीयता एवं सुरक्षा के सिद्धांतों को प्रोत्साहित करना, तथा
  • एक अज्ञात उपकरण के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • इसका उद्देश्य सरकार के डेटा संग्रह एवं प्रबंधन को मानकीकृत करना भी है।
  • परिकल्पित भारतीय डेटा प्रबंधन कार्यालय (इंडियन डाटा मैनेजमेंट ऑफिस/आईडीएमओ) के साथ एनडीजीएफपी आगामी पीढ़ी के कृत्रिम का ज्ञान एवं डेटा-आधारित अनुसंधान तथा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करेगा।
  • डेटासेट प्रोग्राम जहां अज्ञात गैर-व्यक्तिगत डेटा कृत्रिम प्रज्ञान के संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उपलब्ध होगा, इसका उद्देश्य स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना भी है।

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई) के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

 

  1. कृत्रिम प्रज्ञान पर वैश्विक भागीदारी (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑन ग्लोबल पार्टनरशिप/जीपीएआई) के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं?

उत्तर. भारत ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप (जीपीएआई) की अध्यक्षता की।

 

  1. जीपीएआई के अंतिम अध्यक्ष कौन थे?

उत्तर. फ्रांस

 

  1. भारत की एआई की संभावना क्या है?

उत्तर. एआई से 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 967 बिलियन अमेरिकी डॉलर एवं 2025 तक भारत की जीडीपी में 450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ने की संभावना है, जो देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के जीडीपी लक्ष्य का 10% हिस्सा गठित करता है।

 

  1. भारत जीपीएआई का सदस्य कब बना?

उत्तर. भारत 2020 में जीपीएआई समूह में एक संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल हुआ था।

 

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