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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद

जीएसटी परिषद- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियां, कार्य एवं उत्तरदायित्व।

जीएसटी परिषद- संदर्भ

  • हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में 45वीं वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक संपन्न हुई।

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45 वीं जीएसटी परिषद की बैठक के प्रमुख परिणाम

  • पेट्रोलियम उत्पादों एवं प्राकृतिक गैस का अपवर्जन: जीएसटी परिषद ने पेट्रोलियम उत्पादों एवं प्राकृतिक गैस को जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखने का निर्णय लिया है।
  • क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि का विस्तार: उपभोक्ताओं द्वारा मूल रूप से परिकल्पित जुलाई 2022 के स्थान पर मार्च 2026 तक ऑटोमोबाइल जैसे उत्पादों पर लगाए गए क्षतिपूर्ति उपकर का भुगतान करते रहना होगा।
    • जीएसटी परिषद ने विगत वर्ष निर्णय लिया था कि मूलधन और साथ ही इन उधारों पर देय ब्याज को चुकाने के लिए क्षतिपूर्ति उपकर का विस्तार किया जाएगा।
  • मंत्रियों के दो समूहों (जीओएम) का गठन: वे जीएसटी राजस्व में वृद्धि करने के उपायों की संस्तुति करेंगे।
    • पहले वाले समूह को कर के दर की समीक्षा करने, दर संरचना में विसंगतियों को दूर करने हेतु युक्तिकरण के मुद्दों,  एवं
    • दूसरे समूह को अनुपालन एवं अनुश्रवण में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचार करना है। यह विसंगतियों को दूर करने के लिए ई-वे बिल, फास्टैग, अनुपालन  एवं कंपोजिशन योजनाओं को देखेगा।

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद

जीएसटी परिषद- प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: संसद ने 2016 का 101वां संशोधन अधिनियम पारित किया जिसने देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया। जीएसटी परिषद की स्थापना निम्नलिखित हेतु की गई थी-
    • जीएसटी कर के निर्बाध एवं कुशल प्रशासन को सुनिश्चित करने हेतु एवं
    • केंद्र एवं राज्यों के मध्य सहयोग एवं समन्वय स्थापित करने हेतु।
  • जीएसटी परिषद के बारे में: 101वें संशोधन ने भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 279-ए समाविष्ट किया। इस अनुच्छेद ने राष्ट्रपति को एक आदेश द्वारा जीएसटी परिषद का गठन करने का अधिकार प्रदान किया।
    • सचिवालय: नई दिल्ली में स्थित है एवं केंद्रीय राजस्व सचिव, परिषद के पदेन सचिव के रूप में कार्य करते हैं।
    • जीएसटी परिषद को एक संवैधानिक संघीय निकाय माना जाता है जहां केंद्र एवं राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त है।
  • जीएसटी परिषद का अधिदेश: वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र तथा राज्य सरकारों को संस्तुतियों करने हेतु उत्तरदायी।
    • यह प्रथम संवैधानिक संघीय निकाय है जिसे जीएसटी से संबंधित सभी प्रमुख निर्णय लेने की शक्तियां प्राप्त हैं।
  • विजन: परिषद के कार्यकरण में सहकारी संघवाद के उच्चतम मानकों को स्थापित करना।
  • वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की संरचना:इसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं-
    • अध्यक्ष: केंद्रीय वित्त मंत्री
    • केंद्रीय राजस्व या वित्त प्रभारी राज्य मंत्री
    • सभी राज्यों के वित्त या कराधान प्रभारी मंत्री
      • उपाध्यक्ष: राज्यों से परिषद के सदस्यों को परिषद का उपाध्यक्ष बनने हेतु आपस में किसी एक को चयनित करना होता है।
    • केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अध्यक्ष: परिषद की सभी कार्यवाहियों हेतु एक स्थायी आमंत्रित (गैर-मतदान) के रूप में शामिल होते हैं।

जीएसटी परिषद का कार्यकरण

  • जीएसटी परिषद के लिए गणपूर्ति: जीएसटी परिषद के सदस्यों की कुल संख्या का आधा जीएसटी परिषद की बैठकों में गणपूर्ति करता है।
  • जीएसटी परिषद में वोटिंग शेयर एवं निर्णयन:
    • निर्णयन: जीएसटी परिषद में निर्णय न्यूनतम तीन-चौथाई भारित मतों के बहुमत से लिए जाते हैं।
    • मतों का अंश: केंद्र के पास डाले गए कुल मतों का एक-तिहाई भारांश है एवं सभी राज्यों को मिलाकर कुल मतों का दो-तिहाई भारांश है।
  • परिषद में मतदान केवल इसलिए अमान्य नहीं माना जाएगा क्योंकि-
    • जीएसटी परिषद के गठन में कोई रिक्ति अथवा अनुपस्थिति थी
    • जीएसटी परिषद के सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति की नियुक्ति में त्रुटि थी
    • जीएसटी परिषद के कार्यकरण में प्रक्रियागत अनियमितताएं थीं।

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