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जीनोम संपादित पौधों के सुरक्षा आकलन के लिए दिशानिर्देश 2022

जीनोम संपादन यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।

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जीन संपादन भारत: संदर्भ

  • हाल ही में, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी/डीबीटी) ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जेनेटिकली मॉडिफाइड/जीएम) फसलों में अनुसंधान के लिए मानदंडों को सरल बनाने तथा फसलों की रूपरेखा को परिवर्तित करने के लिए बाह्य (विदेशी) जीन का उपयोग करने की चुनौतियों से निपटने हेतु दिशा निर्देश जारी किए हैं।

 

जीनोम संपादित पौधों के सुरक्षा मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश: प्रमुख बिंदु

  • ‘गाइडलाइंस फॉर द सेफ्टी असेसमेंट ऑफ जीनोम एडिटेड प्लांट्स, 2022’ उन शोधकर्ताओं को उन्मुक्ति प्रदान करता है जो जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए पौधों के जीनोम को संशोधित करने के लिए जीन- संपादन तकनीक का उपयोग करते हैं।
  • दिशा निर्देश भारत में जीनोम संपादन प्रौद्योगिकियों के विकास तथा सतत उपयोग के लिए एक रोडमैप है, जिसमें जैव सुरक्षा एवं/या पर्यावरण सुरक्षा चिंताओं को निर्दिष्ट किया गया है तथा पौधों के जीनोम संपादन के दौरान अपनाए जाने वाले नियामक मार्गों का वर्णन किया गया है।
  • दिशानिर्देशों में कहा गया है कि परा उत्पत्तिमूलक (ट्रांसजेनिक) बीजों को विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं को जिन सभी आवश्यकताओं का पालन करना चाहिए, वे जीन-संपादित बीजों पर लागू होंगी, सिवाय उन खंडों को छोड़कर जिनके लिए जीईएसी से अनुमति की अनिवार्यता होती है।
  • इन दिशानिर्देशों से उत्पाद विकास एवं व्यवसायीकरण में रूपांतरणकारी परिवर्तन आने की संभावना है एवं यह किसानों की आय में वृद्धि करने में योगदान देगा।
  • दिशा निर्देश जीनोम संपादित पौधों की विभिन्न श्रेणियों को परिभाषित करते हैं तथा उपयुक्त श्रेणियों के लिए नियामक आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं एवं इन फसलों के विकास के संदर्भ में डेटा आवश्यकता पर नियामक ढांचा तथा वैज्ञानिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

 

जीनोम एडिटिंग/जीनोम संपादन क्या है?

  • जीनोम एडिटिंग (जिसे जीन एडिटिंग भी कहा जाता है) प्रौद्योगिकियों का एक समूह है जो किसी जीव के डीएनए/आरएनए में परिवर्तन को सक्षम बनाता है
  • इन प्रौद्योगिकियों की प्रमुख विशेषता यह है कि वे किसी जीव के डीएनए/आरएनए में लक्षित न्यूक्लियोटाइड (ओं) के परिशुद्ध परिवर्तन की अनुमति प्रदान करते हैं
  • कुछ मामलों में, जीनोम संपादन विशिष्ट विदेशी डीएनए/आरएनए भी प्रवेशित कर सकता है जो मेजबान पौधों की प्रजातियों के प्राकृतिक जीन समुच्चय में उपलब्ध नहीं है एवं इस तरह नवीन लक्षण प्रदर्शित कर सकते हैं।

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एसडीएन 1, एसडीएन 2 तथा एसडीएन 3 क्या है?

  • स्थल-निर्देशित न्यूक्लियस (साइट डायरेक्टेड न्यूक्लियस/एसडीएन) जैसे जेडएफएन, टैलेन, सीआरआईएसपीआर एवं समान कार्यों वाले अन्य न्यूक्लीज को नियोजित करने वाले जीनोम एडिटिंग तकनीकों के उपयोग से प्राप्त जीनोम संपादित पौधों को आम तौर पर तीन श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जाता है:
    • स्थल-निर्देशित न्यूक्लीज (एसडीएन)-1, एक डीएनए अनुक्रम आदर्श का उपयोग किए बिना स्थल-निर्देशित उत्परिवर्तजन;
    • SDN-2, डीएनए अनुक्रम आदर्श का उपयोग करते हुए एक स्थल-निर्देशित उत्परिवर्तजन; तथा
    • SDN-3, डीएनए अनुक्रम आदर्श का उपयोग करके जीन/बृहद डीएनए अनुक्रम का स्थल-निर्देशित सम्मिलन।

 

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