Table of Contents
2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए गुजरात की बोली का क्या अर्थ है?: ओलंपिक स्लॉट 2032 तक भरे हुए हैं, किंतु वे 2036 से बोली लगाने के लिए खुले हैं। अतः भारत सरकार अगले उपलब्ध स्लॉट के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन/IOA) की बोली का समर्थन करेगी एवं सितंबर 2023 में मुंबई में होने वाले भारतीय ओलंपिक संघ के सत्र के दौरान अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सभी सदस्यों के लिए भारत की बोली का रोडमैप प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रसंग
- हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2036 ओलंपिक के लिए गुजरात की बोली की प्रारंभिक तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
- उन्होंने 2036 में खेलों की मेजबानी के लिए नरेंद्र मोदी स्टेडियम के समीप बनने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बुनियादी ढांचे के विकास के निर्देश दिए।
- दिसंबर 2022 में, केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा कि भारत 2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए बोली लगाएगा एवं गुजरात में अहमदाबाद अपने विश्व स्तरीय खेल बुनियादी ढांचे के कारण मेजबान शहर होगा।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत पूर्व में ही 1951 एवं 1982 में एशियाई खेलों तथा 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी कर चुका है। |
पृष्ठभूमि
अप्रैल 2022 में, गुजरात सरकार ने 2036 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की संभावित मेजबानी के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी/IOC) के साथ बातचीत प्रारंभ कर दी थी एवं उस समिति के सदस्यों के 2025 में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (अहमदाबाद) का दौरा करने की संभावना थी।
महत्वपूर्ण तथ्य
ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के आगामी तीन संस्करणों के लिए मेजबानों का निर्णय लिया गया है – 2024 में पेरिस, 2028 में लॉस एंजिल्स एवं 2032 में ब्रिस्बेन – तथा भारत आगामी ओलंपिक आयोजन अर्थात 2036 के आयोजन को सुरक्षित करना चाहता है। |
ओलंपिक बोली प्रक्रिया किस प्रकार कार्य करती है?
- वास्तविक बोली प्रक्रिया ओलंपिक के प्रारंभ होने के नौ वर्ष पूर्व प्रारंभ होती है।
- खेलों की मेजबानी करने के इच्छुक शहरों को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को सिद्ध करना होगा कि खेलों को सफल बनाने के लिए उनके पास सर्वोत्तम योजना है।
- ओलंपिक की मेजबानी में अत्यधिक धन व्यय होता है। विजेता शहर को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को यह दिखाना होगा कि वे खेलों का मंचन कर सकते हैं एवं प्रतियोगिता के समय में प्रतिस्पर्धा करने एवं रहने के लिए एथलीटों, दर्शकों तथा अधिकारियों के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माण कर सकते हैं।
- वे बोली प्रक्रिया के पूर्व दो वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (आईओसी) की प्रस्तुतियों एवं बैठकों की एक श्रृंखला में भाग लेकर ऐसा करते हैं।
- कोई भी शहर जो ओलंपिक एवं पैरालंपिक खेलों का आयोजन करने के लिए बोली लगाना चाहता है, वह एक प्रस्ताव रख सकता है, किंतु केवल सर्वश्रेष्ठ ही बाद के चरणों तक सफल हो सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, पांच शहरों ने मूल रूप से 2020 खेलों की मेजबानी के लिए बोली लगाई थी, किंतु दोहा (कतर) एवं बाकू (अजरबैजान) को उनकी बोली के साथ आगे जाने के लिए नहीं चुना गया था। इस्तांबुल, मैड्रिड एवं टोक्यो तीन फाइनलिस्ट थे।
- एक गुप्त मतदान द्वारा डाले गए वोटों के बहुमत से एक मेजबान शहर का चुनाव किया जाता है। प्रत्येक सक्रिय सदस्य का एक वोट होता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
विगत वर्ष टोक्यो में, भारत ने कुल सात पदक (1 स्वर्ण, 2 रजत एवं 4 कांस्य) के साथ ओलंपिक में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। |
2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए गुजरात की बोली के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. भारत 2036 के ओलंपिक की दावेदारी उससे पहले क्यों नहीं कर रहा है?
उत्तर. ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के आगामी तीन संस्करणों के लिए मेजबानों का निर्णय लिया गया है – 2024 में पेरिस, 2028 में लॉस एंजिल्स एवं 2032 में ब्रिस्बेन – तथा भारत आगामी ओलंपिक आयोजन अर्थात 2036 के आयोजन को सुरक्षित करना चाहता है।
प्र. ओलंपिक की मेजबानी कितनी महत्वपूर्ण है?
उत्तर. ओलम्पिक खेलों से मूल्यवान पर्यटन, खेल संस्कृति, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहन मिल सकता है एवं एक मेजबान देश के वैश्विक व्यापार तथा कद में वृद्धि हो सकती है।
प्र. भारत ने एशियाई खेलों एवं राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी किस वर्ष की थी?
उत्तर. भारत पूर्व में ही 1951 (उद्घाटन), 1982 में एशियाई खेलों एवं 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी कर चुका है।