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कैसे कारक (वायु द्रव्यमान, एल नीनो, ला नीना, इत्यादि) भारत में हीट वेव को प्रभावित करते हैं?
इस लेख में, ”कैसे कारक (वायु द्रव्यमान, एल नीनो, ला नीना, इत्यादि) भारत में गर्मी की लहरों को प्रभावित करते हैं?”, हम चर्चा करेंगे: गर्मी की लहर (हीट वेव्स) क्या है?, भारत में हीट वेव्स पर अल नीनो एवं ला नीना कारकों का प्रभाव?, हीट वेव्स कैसे बनते हैं?, वायु द्रव्यमान हीट वेव्स में कैसे योगदान देता है? इत्यादि।
प्रसंग
- 21 फरवरी को, भारत मौसम विज्ञान विभाग (इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट/आईएमडी) ने चेतावनी दी थी कि उत्तर-पश्चिम, पश्चिम एवं मध्य भारत में अधिकतम तापमान दीर्घकालिक औसत से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा।
- 21 फरवरी को ही, राष्ट्रीय राजधानी ने पांच दशकों से अधिक समय में अपना तीसरा सर्वाधिक गर्म फरवरी दिन (33.6 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया।
हीट वेव क्या है?
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, एक क्षेत्र में गर्मी की लहर (हीट वेव्स) होती है यदि उसके परिवेश का तापमान लंबी अवधि के औसत से कम से कम 4.56.4 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है।
- यदि अधिकतम तापमान 45°C (या किसी हिल स्टेशन पर 37°C) को पार कर जाता है तो लू भी चलती है।
- भारतीय उपमहाद्वीप में गर्मी की लहरें लंबी एवं अधिक तीव्र तथा लगातार होने की संभावना होती है।
अल नीनो एवं ला नीना कारकों का भारत में लू पर प्रभाव?
- विगत तीन वर्ष ला नीना के वर्ष रहे हैं, जिसने 2023 के पूर्ववर्ती के रूप में कार्य किया है, जो अल नीनो वर्ष होने की संभावना है।
- ला नीना: ला नीना विश्व को प्रभावित करने वाली मौसम संबंधी परिघटना है जिसमें भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में शीतल जल का एक समूह पूर्व-पश्चिम में फैल जाता है।
- ला नीना द्वारा स्थापित उत्तर-दक्षिण दबाव पैटर्न के कारण गर्मी की लहरें आगे दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत में फैली हुई हैं।
- एल नीनो: एल नीनो एक पूरक घटना है जिसमें उष्ण जल भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में पश्चिम-पूर्व में फैलता है।
- एल नीनो वर्षों में गर्म लहरें उत्तर एवं उत्तर पश्चिम भारत तक ही सीमित रहती हैं।
हीट वेव्स कैसे बनती हैं?
गर्मी की लहरें अथवा हीट वेव्स दो कारणों में से एक के लिए बनती हैं – गर्म हवा कहीं और से प्रवाहित हो रही है अथवा यह स्थानीय रूप से उत्पन्न हो रही है।
यह एक स्थानीय घटना कब है?
यह एक स्थानीय घटना है जब हवा भूमि की सतह के उच्च तापमान से गर्म होती है या क्योंकि ऊपर से नीचे की ओर जाने वाली हवा अपने मार्ग में संकुचित हो जाती है, जिससे सतह के समीप गर्म हवा उत्पन्न होती है।
यह एक बाहरी घटना कब है?
नेचर जियोसाइंस में 20 फरवरी, 2023 को प्रकाशित एक अध्ययन कुछ संकेत प्रदान करते हैं कि किस प्रकार विभिन्न प्रक्रियाएं हीट वेव के निर्माण में योगदान करती हैं।
- वसंत ऋतु में, भारत में आमतौर पर वायु पश्चिम-उत्तर-पश्चिम से प्रवाहित होती है। यह दिशा कई कारणों से भारत के लिए बुरी खबर है। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, भूमध्य रेखा के समान अक्षांशों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में मध्य पूर्व तेजी से गर्म हो रहा है एवं भारत में प्रवाहित होने वाली गर्म हवा के स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- इसी तरह, उत्तर-पश्चिम से प्रवाहित होने वाली वायु अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के पर्वतों के ऊपर से नीचे की ओर उतरती है, अतः कुछ संपीड़न इन पर्वतों के प्रतिपवन भाग (लीवर्ड साइड) पर भी होता है, जो तेज गर्मी के साथ भारत में प्रवेश करता है।
- महासागरों के ऊपर प्रवाहित होते वाली हवा से शीतल वायु के आने की संभावना होती है, क्योंकि स्थल भाग महासागरों की तुलना में तेजी से गर्म होता है (क्योंकि स्थल की ताप क्षमता अत्यंत कम है)। अरब सागर अधिकांश अन्य महासागरीय क्षेत्रों की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है।
- अगला, ऊपरी वायुमंडलीय प्रबल पछुआ पवनें जो वसंत ऋतु के दौरान अटलांटिक महासागर से भारत में आती हैं, सतह की निकटवर्ती पवनों को नियंत्रित करती हैं।
- अंत में, तथाकथित ह्रासमानदर – वह दर जिस पर तापमान सतह से ऊपरी वायुमंडल तक शीतल होता है – वैश्विक तापन के तहत घट रहा है। दूसरे शब्दों में, वैश्विक तापन सतह के समीप की वायु की तुलना में ऊपरी वायुमंडल को तेजी से गर्म करती है। बदले में इसका अर्थ यह है कि वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण अव-प्रवाहित होती वायु गर्म है एवं इस प्रकार गर्मी की लहरें उत्पन्न होती हैं क्योंकि यह अव-प्रवाहित होती है तथा संकुचित होती है।
वायु द्रव्यमान हीट वेव्स में कैसे योगदान देता है?
- वायु द्रव्यमान की आयु एवं यह कितनी दूर तक गमन कर चुका है, हीट वेव्स को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है।
- उत्तर-पश्चिमोत्तर गर्म हवाएं आमतौर पर 800-1600 किमी दूर से आने वाले वायु द्रव्यमान से निर्मित होती हैं तथा लगभग दो दिन पुरानी होती हैं।
- दूसरी ओर प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर ऊष्मा तरंगें अथवा हीट वेव्स महासागरों से आती हैं, जो करीब (लगभग 200400 किमी) हैं एवं केवल एक दिन पुरानी हैं। परिणामस्वरूप, वे औसतन कम गहन होते हैं।
हीट वेव्स के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. हीट वेव क्या है?
उत्तर. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, किसी क्षेत्र में लू चलती है यदि उसके परिवेश का तापमान दीर्घावधि औसत से कम से कम 4.56.4°C कम हो। यदि अधिकतम तापमान 45°C (या किसी हिल स्टेशन पर 37°C) को पार कर जाता है तो लू भी चलती है।
प्र. ला नीना कारक ने संपूर्ण भारत में गर्म हवाओं के प्रसार को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर. ला नीना विश्व को प्रभावित करने वाली मौसम संबंधी एक परिघटना है जिसमें शीतल जल की एक पट्टी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में पूर्व-पश्चिम में फैलती है। ला नीना द्वारा स्थापित उत्तर-दक्षिण दबाव पैटर्न के कारण गर्मी की लहरें (हीट वेव्स) आगे दक्षिण में प्रायद्वीपीय भारत में फैली हुई हैं।


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