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भारत में आईएमडी एवं मौसम का पूर्वानुमान- संदर्भ
- हाल ही में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि सितंबर में वर्षा “सामान्य से अधिक” होगी, जबकि जून-सितंबर की कुल वर्षा सामान्य के “निचले सिरे” पर होगी।
- अगस्त न्यूनता का कारण बनने वाले कारक एक “प्रतिकूल” हिन्द महासागरीय द्विध्रुव थे।
- “प्रतिकूल” हिन्द महासागरीय द्विध्रुव: यह उष्ण पूर्वी हिंद महासागर एवं भारतीय तट के समीप शीतलित होने से चरित्रांकित की जाती है, जिसे मानसून के लिए अनुपयोगी माना जाता है।
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)- प्रमुख बिंदु
- आईएमडी के बारे में: आईएमडी, जिसे एमईटी विभाग भी कहा जाता है, की स्थापना 1875 में हुई थी।
- मुख्यालय: मुंबई, कोलकाता, नागपुर एवं दिल्ली में क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ पुणे में स्थित है।
- जनक मंत्रालय: आईएमडी भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का एक अभिकरण है।
- अधिदेश: यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान एवं भूकंप विज्ञान हेतु उत्तरदायी प्रमुख सरकारी अभिकरण है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)- वर्षा वितरण का वर्गीकरण
- आईएमडी किसी विशेष वर्ष में मानसून वर्षा की अपेक्षित मात्रा का अनुमान लगाने के लिए आधार के रूप में दीर्घावधि औसत (एलपीए) का उपयोग करता है।
- दीर्घावधि औसत (एलपीए): यह जून से सितंबर माह के दौरान अभिलिखित की गई औसत वर्षा है जिसकी गणना 50-वर्ष की अवधि के दौरान की जाती है।
- एलपीए की भूमिका: एलपीए प्रत्येक वर्ष मानसून की ऋतु के लिए मात्रात्मक वर्षा के पूर्वानुमान में एक मानदण्ड (बेंचमार्क) के रूप में कार्य करता है।
- मानसून वर्षा का वर्गीकरण: एलपीए के आधार पर, आईएमडी अखिल भारतीय आधार पर वार्षिक मानसून वर्षा को निम्नलिखित पांच श्रेणियों में वर्गीकृत करता है-
- सामान्य या सामान्य के करीब: वास्तविक वर्षा का प्रतिशत विचलन एलपीए का + / – 10% (एलपीए के 96-104% के मध्य वर्षा) है।
- सामान्य से कम: जब वास्तविक वर्षा का विचलन एलपीए के 10% से कम होता है, तो यह एलपीए का 90-96% होता है।
- सामान्य से अधिक: जब वास्तविक वर्षा एलपीए का 104-110% हो।
- न्यूनता: जब वास्तविक वर्षा का विचलन एलपीए के 90% से कम हो।
- अधिशेष: जब वास्तविक वर्षा का विचलन एलपीए के 110 प्रतिशत से अधिक हो।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) – गतिशील मानसून पूर्वानुमान प्रतिरूप
- गतिशील मानसून पूर्वानुमान प्रतिरूप: इसे हाल ही में आईएमडी द्वारा अपनाया गया था जो मानसून की भविष्यवाणी करने हेतु विकसित मौसम प्रतिरूप का उपयोग करता है।
- गतिशील मानसून पूर्वानुमान प्रतिरूप में, मौसम की स्थिति को अनुकारित किया जाता है एवं सुपर कंप्यूटर द्वारा भविष्य में प्रक्षेपित किया जाता है।
- आईएमडी की विगत सांख्यिकीय पूर्वानुमान पद्धति के विपरीत, यह प्रतिरूप छोटे स्थानिक एवं कालिक पैमानों पर वर्षा की भविष्यवाणी के लिए उपयोगी है।
- गतिशील प्रतिरूप का निष्पादन: यह एक या दो सप्ताह पूर्व मौसम में आने वाले परिवर्तनों की भविष्यवाणी करने में अधिक परिशुद्ध है, यह विगत तीन वर्षों में दीर्घ अवधि के पूर्वानुमान पर विश्वसनीय सिद्ध नहीं हुआ है।
- उदाहरण के लिए, 2019 में, आईएमडी के पूर्वानुमान ने मानसूनी वर्षा को एलपीए के 96 प्रतिशत पर कम कर दिया, किंतु भारत में रिकॉर्ड तोड़ वर्षा औसत के 110 प्रतिशत पर हुई।
- 2020 में, इसने पहले एलपीए के 100% का पूर्वानुमान लगाया एवं इसे 102% तक अद्यतन किया, किंतु भारत को पुनः 109% की मूसलाधार वर्षा प्राप्त हो गई जो कि 5% त्रुटि विंडो की सीमा से बाहर थी।