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रूस यूक्रेन युद्ध यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: भारत के हितों, भारतीय प्रवासियों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
रूस यूक्रेन तनाव: संदर्भ
- वर्तमान में रूस तथा यूक्रेन के मध्य जारी तनाव ने वैश्विक व्यापार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। दुनिया भर में आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है तथा विशेषज्ञों की राय है कि इस तरह के व्यवधानों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
रूस यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्र
कच्चा तेल
- तेल रूस से हमारे आयात बास्केट का एक प्रमुख घटक है। प्रतिबंधों से कीमतों में एक नए स्तर पर खटास आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अधिक हो सकती हैं।
- ईंधन की कीमतों में वृद्धि देश में मुद्रास्फीति के मुद्दे को और बढ़ा सकती है।
- विशेष रूप से, आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 3 चुनौतियों की ओर संकेत किया है- कोविड-19 की पुनः प्रकटित लहरें, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान तथा मुद्रास्फीति।
- ईंधन की कीमत में वृद्धि के कारण हमारे आयात बिल में कटु अनुभव लाएगी तथा समान स्थिति हमारे चालू खाते का घाटे की भी होगी।
निर्यात
- यदि ईंधन की कीमत लंबे समय तक उच्च स्तर पर बनी रहती है, तो भारत द्वारा आयात की जाने वाली अन्य वस्तुओं की कीमतें भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेंगी।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इस दबाव के कारण मांग प्रभावित हो सकती है जो हमारे निर्यात को भी प्रभावित कर सकती है।
कृषि
- रूस एवं यूक्रेन गेहूं, मक्का तथा सूरजमुखी के तेल के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता हैं।
- भारत अपना अधिकांश सूरजमुखी तेल यूक्रेन से आयात करता है।
- भारत में तेल की मांग को देखते हुए सूरजमुखी तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत में मुद्रास्फीति में और वृद्धि होगी।
- तेल एवं खाद्य वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि का एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो उच्च मुद्रास्फीति, कमजोर चालू खाते तथा राजकोषीय संतुलन एवं आर्थिक विकास पर दबाव के रूप में प्रकट होता है।
- ऐसे परिदृश्य में, भारत, थाईलैंड एवं फिलीपींस सर्वाधिक प्रभावित देश होंगे, जबकि इंडोनेशिया एक सापेक्ष लाभार्थी होगा।
बैंकिंग
- आज तक, बैंकिंग क्षेत्र जारी संघर्ष के प्रति प्रतिस्कंदी रहा है।
- वित्तीय स्वास्थ्य के संकेतक – लाभप्रदता, परिसंपत्ति गुणवत्ता एवं पूंजी पर्याप्तता – एक नए शिखर पर पहुंच गए हैं, इस प्रकार एक सुदृढ़ बैंकिंग परिदृश्य प्रदर्शित कर रहे हैं।
- इसके अतिरिक्त, 7 लाख करोड़ रुपये की पर्याप्त तरलता एवं 2.8 लाख करोड़ रुपये की उचित नकदी शेष है, जिसे वर्तमान संकट से बैंकिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखना चाहिए।
इस्पात
- जारी युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपेक्षित कमी से निकट भविष्य में इस्पात (स्टील) की कीमतों में उछाल आने की संभावना है, जिससे भारतीय इस्पात क्षेत्र के प्रतिभागियों को लाभ प्राप्त होगा।
- इसके साथ ही, निर्यात के अवसर प्रमुख स्टील कंपनियों को उच्च क्षमता उपयोग दरों पर संचालन करने की अनुमति प्रदान करेंगे।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर रूस यूक्रेन युद्ध के प्रभाव: निष्कर्ष
- तेल एवं गैस जैसे कुछ क्षेत्रों तथा लौह एवं अलौह धातुओं दोनों को इस प्रवृत्ति से लाभ हो सकता है, जबकि रसायन, उर्वरक, गैस उपादेयताओं, शोधन एवं विपणन जैसे प्रमुख आदान के रूप में तेल पर निर्भर रहने वाले क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।