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भारत में बढ़ रहा सौर अपशिष्ट

भारत में सौर अपशिष्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

भारत में सौर अपशिष्ट: प्रसंग

  • नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2030 तक 34,600 टन से अधिक संचयी सौर अपशिष्ट उत्पन्न कर सकता है।

 

भारत में सौर अपशिष्ट

  • सौर अपशिष्ट (सोलर वेस्ट) एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट होता है, जो त्यक्त (बेकार) सोलर पैनल से उत्पन्न होता है।
  • हमारे देश में सामान्य तौर पर सौर अपशिष्ट को कबाड़ के रूप में बेचा जाता है
  • यह परिकल्पना की गई है कि अगले दशक तक सौर अपशिष्ट कम से कम चार-पांच गुना बढ़ सकता है
  • 2050 तक पुनर्प्राप्त करने योग्य सामग्रियों का मूल्य 15 बिलियन डॉलर को पार कर सकता है, जो दो बिलियन सौर पैनलों के साथ 630 गीगावॉट ऊर्जा आपूर्ति देने हेतु पर्याप्त होगा।
  • विश्व स्तर पर, यह संभावना व्यक्त की जाती है कि आगामी 10-20 वर्षों में सौर पैनलों के एंड-ऑफ-लाइफ (ईओएल) सौर पैनल पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) व्यवसाय को संचालित करेंगे

 

भारत में सौर अपशिष्ट का मुद्दा

  • सौर पैनलों का जीवनकाल 20-25 वर्ष होता है, अतः सौर अपशिष्ट की समस्या कुछ वर्षों की समस्या नहीं होगी।
  • यद्यपि, यह संभावना है कि भारत इस दशक के अंत तक सौर अपशिष्ट की समस्या का सामना करेगा एवं इस दशक के बाद सौर अपशिष्ट भराव क्षेत्र (लैंडफिल) के लिए अपशिष्ट का सर्वाधिक प्रचलित रूप बन सकता है।
  • अभी तक, भारत के पास ठोस सौर अपशिष्ट प्रबंधन नीति नहीं है; यद्यपि इसके पास एक महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा स्थापना लक्ष्य है।
  • 2016 में विगत इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में सौर अपशिष्ट के मुद्दे को हल नहीं किया गया था।
  • पुनर्चक्रण की लागत: एक सौर पैनल के पुनर्चक्रण की लागत 20 डॉलर से 30 डॉलर के मध्य होती है, इसे लैंडफिल में भेजने में मात्र 1-2 डॉलर का खर्च आता है।

 

सौर अपशिष्ट से निपटने हेतु अंतरराष्ट्रीय प्रयास

  • यूरोपीय संघ (ईयू): यूरोपीय संघ का अपशिष्ट विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (डब्लूईईई) निर्देश उन निर्माताओं या वितरकों पर सौर अपशिष्ट के निस्तारण का उत्तरदायित्व अधिरोपित करता है जो प्रथम बार ऐसे उपकरण पेश करते हैं अथवा स्थापित करते हैं।
  • यद्यपि अमेरिका में सौर अपशिष्ट के निस्तारण हेतु कोई संघीय नीतियां नहीं हैं, वाशिंगटन एवं कैलिफोर्निया जैसे राज्य विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व/ एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी (ईपीआर) नियमों को लाए हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया ने पीवी सिस्टम के लिए उद्योग के नेतृत्व वाली उत्पाद प्रबंधन योजना को विकसित करने और लागू करने के लिए राष्ट्रीय उत्पाद प्रबंधन निवेश कोष के हिस्से के रूप में 2 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की।
  • जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने पहले ही पीवी अपशिष्ट की समस्या के समाधान के लिए समर्पित विधान लाने के अपने संकल्प का संकेत दिया है।

संसाधन-कुशल सौर ऊर्जा का रोडमैप

  • सशक्त ई-अपशिष्ट अथवा नवीकरणीय ऊर्जा अपशिष्ट कानून: सौर पैनल के  जीवन काल की समाप्ति (एंड ऑफ लाइफ)  का उत्तरदायित्व प्रदान करने हेतु ईपीआर को निर्माता एवं  विकासकों (डेवलपर्स) तक विस्तारित किया जाना चाहिए।
  • अवसंरचना: पुनर्चक्रण की लागत को कम करने के लिए अवसंरचना निवेश की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त,  नवीकरणीय ऊर्जा अपशिष्ट का कुशलतापूर्वक प्रबंधन एवं लैंडफिल में समाप्त होने वाले सौर पैनलों से बचने के लिए अधिक  पुनर्चक्रण संयंत्र (रीसाइक्लिंग प्लांट) बनाने के लिए ऊर्जा एवं अपशिष्ट क्षेत्र के  मध्य समन्वय की आवश्यकता है।
  • पर्यावरणीय निस्तारण एवं सौर अपशिष्ट का पुनर्चक्रण, ऊर्जा खरीद समझौते का हिस्सा हो सकता है जिसे एसईसीआई / डिस्कॉम्स / सरकार ने परियोजना डेवलपर्स के साथ हस्ताक्षरित किया है।
  • लैंडफिल पर प्रतिबंध: सौर पैनल अपशिष्ट पर्यावरण के लिए हानिकारक है क्योंकि इसमें विषाक्त धातु एवं खनिज होते हैं जो भूमि में रिस सकते हैं। इसलिए लैंडफिल पर पूर्ण रूप से रोक लगनी चाहिए।
  • पुनर्चक्रण उद्योग को सौर अपशिष्ट के प्रबंधन में अधिक भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु नवीन व्यापार मॉडल, प्रोत्साहन या हरित प्रमाणपत्र के मुद्दे प्रदान किए जाएंगे।
  • शोध एवं विकास: नवीकरणीय ऊर्जा अपशिष्ट के प्रभाव को कम करने में प्रौद्योगिकी प्रगति महत्वपूर्ण होगी। उदाहरण के लिए, नए पैनल निर्माण प्रक्रिया के दौरान सिलिकॉन का कम उपयोग करते हैं एवं कम अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं।
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