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प्रासंगिकता
- जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र / सेवाओं के विकास तथा प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रसंग
- हाल ही में, यह बताया गया था कि एसडीजी 12 के संबंध में भारत की प्रगति काफी ठीक है किंतु संतोषजनक नहीं है।
एसडीजी 12
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिदेशित सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 12 संसाधनों के उपयोग से संबंधित है।
भारत में संसाधनों का उपयोग
- 2015 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की औसत जीवन शैली भौतिक पदचिह्न (फुटप्रिंट) प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 8,400 किलोग्राम है।
- यह स्वीकार्य है क्योंकि एसडीजी प्रति व्यक्ति 8,000 किलोग्राम के धारणीय भौतिक पदचिह्न अनुरक्षित रखने की अपेक्षा करता है।
- भारत ने भौतिक पदचिह्न एवं घरेलू सामग्री के उपयोग के संबंध में एक सापेक्ष विच्छेदन प्राप्त किया है, जबकि रूस जैसे संसाधन-निर्यातक देशों ने संसाधन उत्पादकता में गिरावट देखी है।
खाद्य अपव्यय
- एसडीजी 3, प्रति व्यक्ति वैश्विक खाद्य अपशिष्ट को 2030 तक कम करने पर केंद्रित है।
- यूएनईपी रिपोर्ट 2021 में, भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 50 किलोग्राम भोजन व्यर्थ होता है।
- यद्यपि, दक्षिण एशियाई देशों में भारत में अपने पड़ोसी देशों की तुलना में भोजन के व्यर्थ होने का का स्तर कम है।
- फिर भी, अर्थपूर्ण निवेश के बिना, निर्धारित समय तक भोजन की बर्बादी को आधा करने के लक्ष्य को प्राप्त करना लगभग असंभव है।
विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2020-22
खाद्य अपव्यय क्यों कम करें
- खाद्य अपव्यय में कमी का हरित गृह गैस उत्सर्जन, भूख, प्रदूषण एवं मंदी के दौरान धन की बचत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- इसके अतिरिक्त, खाद्य हानि एवं अपव्यय को रोकना एक साथ अनेक एसडीजी को पूरा करने के साथ-साथ 2050 तक खाद्य अंतराल को पाटने में सहायता कर सकता है।
सुधार
- 2012-13 में बागवानी के उत्पादन के मूल्य में अनुमानित हानि लगभग 11 प्रतिशत तथा पशुधन की 7 प्रतिशत थी। 2005-07 से घाटे में 2 प्रतिशत की गिरावट आई।
- भंडारण हानि 2012-13 में 22 प्रतिशत से कम होकर 2019-20 में 0.03 प्रतिशत एवं इसी अवधि के दौरान पारगमन हानि 0.47 प्रतिशत से 0.33 प्रतिशत हो गई।
- यद्यपि ये अच्छे संकेत हैं, फिर भी यह 3 के लक्ष्य से अत्यधिक दूर है।
नगरपालिका अपशिष्ट
- निकोल्स एवं स्मिथ के जून 2019 के विश्लेषण के अनुसार, कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रति व्यक्ति उत्पन्न अनुमानित अपशिष्ट भारत से अत्यधिक उच्च है।
- चीन एवं भारत की जनसंख्या सम्मिलित रूप से वैश्विक जनसंख्या का 36 प्रतिशत है, किंतु वैश्विक नगर पालिका अपशिष्ट का मात्र 27 प्रतिशत ही उत्पन्न करती है।
- जबकि, संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक आबादी का मात्र चार प्रतिशत है जो 12 प्रतिशत अपशिष्ट उत्पन्न करता है।
पादप उपचार
- चीन, भारत एवं पाकिस्तान ‘पादप उपचार’ (‘फाइटोरीमेडिएशन’) की विधि का उपयोग करते हैं, जिसमें पर्यावरण को पुनः स्थापित करने के साथ-साथ निम्नीकृत मृदा के पुनः स्थापन हेतु वृक्षारोपण सम्मिलित है।
- यद्यपि, यह विधि कम प्रभावी है। 2019 में भारत की घरेलू (रीसाइक्लिंग दर लगभग 30 प्रतिशत थी एवं निकट भविष्य में इसमें सुधार की संभावना है।
भारत में पुनर्चक्रण
- भारत द्वारा उत्पादित कुल हानिकारक अपशिष्ट का एक बड़ा भाग पुनर्चक्रण योग्य है किंतु, मात्र 4% का ही पुनर्चक्रण किया जाता है।
- भारत अगले 10 वर्षों में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकता है यदि राष्ट्रीय पुनर्चक्रण नीति को उचित रूप से लागू किया जाए एवं पुनर्चक्रण उद्योगों में उच्छिष्ट (स्क्रैप) देखभाल तकनीकों को स्थानांतरित किया जाए।
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सतत पर्यटन
- केरल के कुमारकोम में ‘उत्तरदायी पर्यटन’ की परियोजना आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) उद्योग से स्थानीय समुदाय को जोड़कर एवं पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बनाए रखने में सहायता करती है।
- इसी तरह, हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक, आरामदायक एवं बजट के अनुकूल आवास तथा भोजन के साथ पर्यटकों को ग्रामीण क्षेत्रों में आकर्षित करने हेतु एक ‘होमस्टे योजना’ आरंभ की है।
- ये पहल पर्यटकों को एक मर्मस्पर्शी अनुभव प्रदान करती है एवं स्थानीय आय में भी वृद्धि करती है।