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भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद चर्चा में क्यों है ?
- हाल ही में, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने टोक्यो में भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लिया।
- 2019 में उद्घाटन संवाद स्थापित होने के बाद भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक प्रथम 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक थी।
भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता
- पृष्ठभूमि: 2+2 प्रारूप में प्रथम भारत-जापान वार्ता भारत एवं जापान के मध्य नवंबर 2019 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
- भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के बारे में: भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता रणनीतिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर भारत तथा जापान के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की बैठक का एक प्रारूप है।
- उद्देश्य: भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक का उद्देश्य एक ऐसा तंत्र निर्मित करना है जिसके तहत रक्षा, सुरक्षा एवं आसूचना तंत्र के और अधिक एकीकरण के साथ द्विपक्षीय संबंध एक निर्णायक रणनीतिक मोड़ लेते हैं।
2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद क्या है?
- 2+2 संवाद के बारे में: 2+2 संवाद रणनीतिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर भारत तथा उसके सहयोगियों के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की बैठक का एक प्रारूप है।
- महत्व: एक 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद भागीदारों को दोनों पक्षों के राजनीतिक कारकों को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे की रणनीतिक चिंताओं एवं संवेदनशीलताओं को बेहतर ढंग से समझने तथा उनकी प्रशंसा करने में सक्षम बनाता है।
- यह तीव्र गति से परिवर्तित होते वैश्विक परिवेश में एक मजबूत, अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध के रूप में परिणत होता है।
- साझेदार देश: भारत के चार प्रमुख रणनीतिक साझेदारों: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान एवं रूस के साथ 2+2 संवाद हैं।
- रूस के अतिरिक्त अन्य तीन देश क्वाड में भी भारत के भागीदार हैं।
भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद-संयुक्त वक्तव्य
- नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था: मंत्रियों ने एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की जो राष्ट्रों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती है।
- उन्होंने सभी देशों को धमकी अथवा बल प्रयोग या यथास्थिति को एक पक्षीय रूप से परिवर्तित करने के किसी भी प्रयास का आश्रय लिए बिना अंतरराष्ट्रीय विधियों के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल दिया।
- स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत: मंत्रियों ने एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को प्राप्त करने के एक सामान्य रणनीतिक लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, जो समावेशी एवं लोचशील, विधि के शासन पर आधारित तथा बल प्रयोग से मुक्त है।
- हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण (आसियान आउटलुक ऑन द इंडो-पेसिफिक/एओआईपी) के लिए समर्थन: मंत्रियों ने आसियान की एकता एवं केंद्रीयता के लिए अपने दृढ़ समर्थन एवं हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण (आसियान आउटलुक ऑन द इंडो-पेसिफिक/एओआईपी) के लिए अपने पूर्ण समर्थन को दोहराया।
- हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण विधि के शासन, खुलेपन, स्वतंत्रता, पारदर्शिता एवं समावेशिता जैसे सिद्धांतों को अक्षुण्ण बनाए रखता है।
- रक्षा सहयोग: अपनी रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए जापान के दृढ़ संकल्प को स्वीकार करते हुए, भारतीय पक्ष ने वर्धित सुरक्षा तथा रक्षा सहयोग की दिशा में कार्य करने हेतु अपना समर्थन व्यक्त किया।
- मंत्रियों ने बहुपक्षीय अभ्यास मिलन में पहली बार जापान की भागीदारी का स्वागत किया।
- मंत्रियों ने “धर्म गार्जियन”, जिमेक्स एवं “मालाबार” सहित द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय अभ्यासों को जारी रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- मंत्रियों ने जापान के संयुक्त सैन्य बलों एवं भारतीय एकीकृत रक्षा कर्मचारियों के मध्य संयुक्त सैन्य कार्मिक वार्ता प्रारंभ करने पर सहमति व्यक्त की।
- मंत्रियों ने एचए/डीआर पर गहन सहयोग तथा संक्रामक रोगों एवं महामारियों की प्रतिक्रिया के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
निष्कर्ष
- मंत्रियों ने इस बात का स्वागत किया कि गहन चर्चा के माध्यम से 2+2 बैठकों ने भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी में वृद्धि करने हेतु एक रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया है तथा भारत में आगामी 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है।