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इंटरनेट शटडाउन में भारत सबसे आगे, किंतु प्रभाव का आकलन करने हेतु उपकरणों की कमी, द हिंदू संपादकीय विश्लेषण

द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू अखबारों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य  परीक्षा हेतु बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में  सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण, विशेष रूप से किसी जवाबदेह तंत्र के अभाव में इन शटडाउन के प्रभावों का आकलन करने हेतु भारत में बढ़ते इंटरनेट शटडाउन पर चर्चा करता है ।

इंटरनेट बंद होने के मामले में भारत सबसे आगे- चर्चा में क्यों है?

हाल ही में, पंजाब सरकार ने खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए एक अभियान चलाते हुए चार दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट एवं एसएमएस सेवाओं को निलंबित कर दिया था। सरकार ने कहा कि यह कार्रवाई सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, हिंसा को भड़काने से रोकने तथा शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई थी।

भारत में राज्यों में इंटरनेट बंद

सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (SFLC) भारत में इंटरनेट शटडाउन का रिकॉर्ड रखता है एवं पंजाब राज्य में ऐसे आठ मामलों की सूचना दी है।

  • एसएफएलसी के 2012 से मार्च 2023 के आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक राज्य में इंटरनेट शटडाउन की संख्या, दक्षिणी राज्यों में संयुक्त रूप से केवल छह शटडाउन दर्ज किए गए।
  • केरल ने इंटरनेट शटडाउन के किसी भी उदाहरण की सूचना नहीं दी।
  • हिमाचल प्रदेश, मिजोरम एवं सिक्किम को छोड़कर, अन्य सभी राज्यों ने कम से कम एक बार इंटरनेट शटडाउन होने की सूचना दी है।
  • जम्मू-कश्मीर, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक इंटरनेट शटडाउन दर्ज किए गए।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी अनुशंसा पर स्थायी समिति

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारतीय केंद्र सरकार राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए इंटरनेट शटडाउन पर डेटा संकलित नहीं करती है।

  • वास्तव में, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी की स्थायी समिति ने इंटरनेट शटडाउन पर केंद्रीकृत डेटा के संग्रह की सिफारिश की थी, जिसे 2021 में “दूरसंचार/इंटरनेट सेवाओं के निलंबन तथा इसके प्रभाव” पर अपनी रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया था।
  • समिति ने प्रत्येक इंटरनेट शटडाउन के कारणों, अवधि, सक्षम प्राधिकारी के निर्णय तथा समीक्षा समितियों के दस्तावेजीकरण एवं सूचना को सार्वजनिक करने के महत्व पर बल दिया था।
  • समिति ने विधि एवं व्यवस्था बनाए रखने के विकल्प के रूप में इंटरनेट शटडाउन के उपयोग की भी आलोचना की।
  • 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इंटरनेट निलंबन आनुपातिक होना चाहिए एवं आवश्यक अवधि से आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
  • हालांकि, समिति ने दूरसंचार विभाग एवं गृह मंत्रालय के आनुपातिकता के परीक्षण तथा शटडाउन हटाने की प्रक्रिया पर दिए गए जवाबों को अस्पष्ट एवं स्पष्टता की कमी वाला पाया।

वैश्विक इंटरनेट शटडाउन में भारत की हिस्सेदारी

भारत में इंटरनेट शटडाउन का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है, एक गैर-लाभकारी संगठन एक्सेस नाउ के अनुसार, जो डिजिटल अधिकारों की रक्षा करता है, 2016 एवं 2022 के मध्य संपूर्ण विश्व में दर्ज सभी इंटरनेट शटडाउन का 60% भारत में हुआ।

  • एक्सेस नाउ द्वारा भारत में तथा विश्व स्तर पर शटडाउन की संख्या दर्ज की गई, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 40% से 70% के बीच थी।
  • भारत ने विगत पांच वर्षों में सर्वाधिक इंटरनेट शटडाउन दर्ज किया है, जिसमें भारत तथा दूसरे स्थान पर रहने वाले देश के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है।
  • यह उल्लेखनीय है कि यूरोप, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका तथा ओशिनिया के अधिकांश क्षेत्रों में इंटरनेट शटडाउन शायद ही कभी लगाया जाता है।
  • हालांकि, वे अफ्रीका एवं एशिया में काफी प्रचलित हैं।

इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव का आकलन करना

विभिन्न रिपोर्टों ने इंटरनेट शटडाउन से जुड़ी लागतों का दस्तावेजीकरण किया है। उनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं-

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त द्वारा विगत वर्ष प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर में लंबे समय से कनेक्टिविटी प्रतिबंधों का दूरस्थ शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जो बदले में छात्रों की शिक्षा को प्रभावित करता है।
    • रिपोर्ट में उन अध्ययनों का भी संदर्भ दिया गया है, जिनमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे शटडाउन स्वास्थ्य सेवा तंत्र (हेल्थ केयर सिस्टम) को दुष्प्रभावित कर सकता है।
  • इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस द्वारा प्रकाशित 2018 के एक शोध पत्र में अनुमान लगाया गया है कि इंटरनेट शटडाउन के कारण भारत को 2012 एवं 2017 के बीच लगभग 3 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।
  • हालांकि, 2021 में लोकसभा के एक उत्तर में, सरकार ने कहा कि उसके पास इंटरनेट शटडाउन के सामाजिक आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन करने हेतु एक तंत्र का अभाव है।

भारत में इंटरनेट शटडाउन के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. इंटरनेट शटडाउन क्या है?

उत्तर. एक इंटरनेट शटडाउन एक सरकार द्वारा लगाया गया निलंबन अथवा इंटरनेट एवं मोबाइल डेटा सेवाओं का सुविचारित व्यवधान है, जो प्रायः कथित सुरक्षा खतरों, सार्वजनिक सुरक्षा चिंताओं या गलत सूचना के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

प्र. सरकारें इंटरनेट शटडाउन क्यों लगाती हैं?

उत्तर.  सरकारें प्रायः अफवाहों, मनगढ़ंत समाचारों एवं हिंसक विरोधों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ देश में  विधि एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट शटडाउन लगाती हैं।

प्र. भारत में कितने इंटरनेट शटडाउन हुए हैं?

उत्तर. सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर के अनुसार, 2012 के पश्चात से भारत में 400 से अधिक इंटरनेट शटडाउन हो चुके हैं।

प्र. भारत के किन क्षेत्रों में सर्वाधिक इंटरनेट शटडाउन हुआ है?

उत्तर. जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में भारत में सर्वाधिक इंटरनेट शटडाउन हुए हैं।

प्र. इंटरनेट शटडाउन का व्यक्तियों एवं व्यवसायों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर. इंटरनेट शटडाउन का व्यक्तियों एवं व्यवसायों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें दैनिक जीवन में व्यवधान, वित्तीय हानि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं अन्य आवश्यक सेवाओं तक सीमित पहुंच के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं डिजिटल अधिकारों का उल्लंघन भी शामिल है।

प्र. क्या भारत में इंटरनेट बंद करना वैध है?

उत्तर. टेलीग्राफ अधिनियम एवं सूचना प्रौद्योगिकी (इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी/आईटी) अधिनियम के तहत भारत में इंटरनेट शटडाउन कानूनी है। हालांकि, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि इंटरनेट एवं मोबाइल डेटा सेवाओं पर किसी भी प्रतिबंध को आनुपातिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए एवं यह अनिश्चित नहीं हो सकता।

 

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इंटरनेट शटडाउन में भारत सबसे आगे, किंतु प्रभाव का आकलन करने हेतु उपकरणों की कमी, द हिंदू संपादकीय विश्लेषण_3.1

FAQs

What is an internet shutdown?

An internet shutdown is a government-imposed suspension or deliberate disruption of internet and mobile data services, often done in response to perceived security threats, public safety concerns or to control the spread of misinformation.

Why do governments impose internet shutdowns?

Governments often impose internet shutdowns as a means to prevent the spread of rumors, fake news, and violent protests, as well as to maintain law and order in the country.

How many internet shutdowns have occurred in India?

According to the Software Freedom Law Center, there have been more than 400 internet shutdowns in India since 2012.

Which regions in India have experienced the most internet shutdowns?

Jammu and Kashmir, Uttar Pradesh, and Rajasthan have witnessed the highest number of internet shutdowns in India.

What are the impacts of internet shutdowns on individuals and businesses?

Internet shutdowns can have a significant impact on individuals and businesses, including disruption of daily life, financial losses, limited access to healthcare, education, and other essential services, as well as violation of freedom of speech and digital rights.

Are internet shutdowns legal in India?

Internet shutdowns are legal in India under the Telegraph Act and IT Act. However, the Supreme Court of India has ruled that any restriction on the internet and mobile data services must adhere to the principle of proportionality and cannot be indefinite.