Table of Contents
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह: चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह ने दोनों देशों के मध्य नवीन क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के विस्तार पर चर्चा की।
- सुश्री ऐनी लाइन वोल्ड, महानिदेशक, शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय, जिन्होंने नॉर्वे की ओर से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, ने रेखांकित किया कि भारत नॉर्वे के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग में यूरोप के बाहर 9 प्राथमिकता वाले देशों में से है।
- उन्होंने आगे महासागर, स्वास्थ्य, ऊर्जा, जलवायु एवं सुरक्षा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहयोग को और सुदृढ़ करने पर बल दिया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह के बारे में: भारत-नार्वेजियन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग को 2006 में ट्रोम्सो, नॉर्वे में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के माध्यम से औपचारिक रूप प्रदान किया गया था तथा मई 2009 में ओस्लो में हस्ताक्षरित सहयोग कार्यक्रम (प्रोग्राम ऑफ़ कॉर्पोरेशन/पीओसी) के माध्यम से सक्रिय किया गया था।
- कार्यकरण: अंतर-सरकारी समझौते के ढांचे के अंतर्गत गठित एक संयुक्त कार्य समूह की अब तक भारत एवं नॉर्वे में बारी-बारी से 6 बार बैठक हुई।
- भागीदारी: वैज्ञानिक एवं शिक्षा मंत्रालयों के साथ-साथ भारत के विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों तथा नॉर्वे के उनके समकक्षों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह में भाग लिया।
- महत्व: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी बैठक पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह बढ़ती प्रासंगिकता जैसे हरित हाइड्रोजन, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, नवीकरणीय ऊर्जा इत्यादि के क्षेत्रों में विस्तार करेगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह के प्रमुख परिणाम
- निम्नलिखित क्षेत्रों को सम्मिलित करने हेतु दोनों देशों के मध्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग का विस्तार,
- क्वांटम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
- विद्युत गतिशीलता (वाहन),
- हरित हाइड्रोजन,
- महासागर विज्ञान,
- साइबर-भौतिक प्रणाली,
- नीली अर्थव्यवस्था,
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी
- सहयोग के वर्तमान क्षेत्रों को सुदृढ़ बनाना यथा-
- ध्रुवीय विज्ञान,
- जैव-अर्थव्यवस्था,
- नवीकरणीय ऊर्जा,
- नैनो-विज्ञान एवं तकनीक तथा
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध
- बैठक में निम्नलिखित प्रकार की गतिविधियों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया-
- द्विपक्षीय कार्यशालाएं,
- जारी संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के लिए समर्थन,
- उद्योग जगत की भागीदारी के साथ नवीन संयुक्त शोध एवं विकास परियोजना कॉल,
- मानव क्षमता विकास,
- उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना जो समाज के साथ-साथ औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों के लिए अधिक प्रासंगिकता अथवा प्रभाव रखते हैं
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत-नॉर्वे संयुक्त कार्य समूह का महत्व
- सहयोग से निम्नलिखित में सहायता मिलेगी-
- अनुसंधान एवं विकास की गुणवत्ता तथा प्रासंगिकता बढ़ाना,
- प्रौद्योगिकी रूपांतरण,
- इसे बाजार में ले जाना,
- उद्योग जगत, स्टार्टअप, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम इकाइयों ( माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज/एमएसएमई) को अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं तथा शिक्षा जगत से जोड़ना,
- सामाजिक जुड़ाव,
- लोगों के लिए विज्ञान,
- विविधता एवं समावेश (युवा, महिला, ग्रामीण, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति),
- राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, जल, ऊर्जा, पर्यावरण, परिवहन, स्वास्थ्य, विनिर्माण, अपशिष्ट प्रसंस्करण इत्यादि के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को संरेखित करना।
नॉर्डिक देशों के बारे में
- नॉर्डिक देशों के बारे में: नॉर्डिक देश उत्तरी यूरोप में पांच देशों का एक समूह है। ये पांच नॉर्डिक देश डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड एवं आइसलैंड हैं।
- राजनीतिक व्यवस्था: डेनमार्क, स्वीडन एवं नॉर्वे संवैधानिक राजतंत्र तथा संसदीय लोकतंत्र हैं। फिनलैंड एवं आइसलैंड लोकतांत्रिक गणराज्य हैं।
- आइसलैंड की संसद, अलथिंग, विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संसद है।
- जनसंख्या: स्वीडन नॉर्डिक देशों में सबसे बड़ा तथा सर्वाधिक आबादी वाला देश है। आइसलैंड न्यूनतम आबादी वाला है। डेनमार्क सबसे छोटा देश है।
- आर्थिक क्षमता: नॉर्डिक देश सामूहिक रूप से 1.6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भारत-नॉर्डिक देश व्यापार संतुलन: भारत एवं नॉर्डिक देशों के मध्य वस्तुओं तथा सेवाओं में कुल द्विपक्षीय व्यापार 13 बिलियन डॉलर का है।