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यूनिफ़ॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट की भारत की योजना 

यूनिफ़ॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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कार्बन ट्रेडिंग यूपीएससी: संदर्भ

  • हाल ही में, भारत ने ऊर्जा पारगमन परियोजनाओं एवं उत्सर्जन में कमी के लिए एक वृहत वित्त मार्ग के रूप में एक वर्ष में स्वयं का एक समान कार्बन बाजार स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।

 

यूनिफ़ॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट: प्रमुख बिंदु

  • डेलॉयट इकोनॉमिक्स इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बढ़ते वैश्विक तापमान को सीमित करके तथा  विश्व को विकार्बनन I’डीकार्बोनाइजेशन’) निर्यात करने की अपनी क्षमता को साकार करके 50 वर्षों में 11 ट्रिलियन डॉलर प्राप्त कर सकता है
  • केंद्र सरकार कार्बन ट्रेडिंग योजना को लागू करने के लिए कानून में परिवर्तन करने पर विचार कर रही है जो ऐसे सभी मौजूदा विनिमय योग्य प्रमाणपत्रों को समाहित कर देगी
  • सरकार ने एक सीमित बाजार का भी प्रस्ताव किया है जो अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजारों में ऐसे स्वच्छ प्रमाणपत्रों के निर्यात की अनुमति नहीं देता है।
  • सरकार बड़े व्यापारिक घरानों (कॉरपोरेट्स) द्वारा की गई निवल-शून्य घोषणाओं पर विचार करते हुए एक स्वैच्छिक बाजार के साथ शुरुआत करने का प्रस्ताव करती है।
  • कैप एंड ट्रेडमें एक क्रमिक परिवर्तन, जहां उद्योगों को यूरोपीय संघ के उत्सर्जन व्यापार प्रणाली बाजारों की तरह उत्सर्जन लक्ष्य दिए जाते हैं, प्रस्तावित है।

 

यूनिफ़ॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट: इसकी आवश्यकता क्यों है?

  • वर्तमान योजनाएं अत्यंत सीमित हैं क्योंकि क्रेता बहुत सीमित हैं।
  • एक बार जब एक औपचारिक कार्बन ट्रेडिंग बाजार खुल जाता है तथा हमारे पास ऐसे प्रत्येक प्रमाण पत्र का रूपांतरण घटक होगा कि कितना कार्बन डाइऑक्साइड का परिवर्जन किया गया है, तो बाजार अत्यंत वृहद होगा
  • बाजार द्वारा निर्धारित कीमत वास्तविक तस्वीर को प्रदर्शित करेगी
  • बाजार हरित संयंत्रों तथा ऊर्जा कुशल इकाइयों को कार्बन व्यापार के माध्यम से आय का अनुमान लगाने देगा, जिससे ऐसी और अधिक परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने तथा और वित्तपोषित करने में सहायता प्राप्त होगी।

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भारत में कार्बन ट्रेडिंग

  • वर्तमान में, कार्बन ट्रेडिंग के दो तंत्र हैं
  • प्रदर्शन, व्यापार तथा उपलब्धि योजना: इस योजना के अंतर्गत, ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र (ESCerts) का  व्यापार किया जाता है।
    • अपर्याप्त मांग के कारण ESCerts का व्यापार बाधित है।
    • वर्तमान में, इस योजना में 11 उद्योग सम्मिलित हैं जो औद्योगिक ऊर्जा खपत का लगभग 50% हिस्सा  गठित करते हैं।
    • उद्योगों ने परिवहन एवं संभारिकी (रसद) जैसे अधिक व्यवसायों को सम्मिलित करने तथा दंड में वृद्धि करने के लिए योजना के विस्तार की मांग की।
  • नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट/आरईसी): नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने एवं नवीकरणीय क्रय दायित्वों (रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशंस/आरपीओ) के अनुपालन की सुविधा के लिए एक बाजार आधारित साधन है।
    • इसका उद्देश्य राज्य में  नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता  तथा नवीकरणीय क्रय दायित्व (आरपीओ) को प्राप्त करने हेतु बाध्य संस्थाओं की आवश्यकता के मध्य असंतुलन को समाप्त करना है।
    • एक नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) को 1 मेगावाट के  समतुल्य माना जाता है।

 

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