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प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं अवक्रमण।
संदर्भ
- भारत भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) एवं वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के साथ प्लास्टिक समझौता आरंभ करने वाला एशिया का प्रथम देश बन गया है।
मुख्य बिंदु
- भारत प्लास्टिक समझौता प्लास्टिक हेतु एक वृत्ताकार प्रणाली को बढ़ावा देने का एक मंच (प्लेटफॉर्म) होगा।
- मंच को भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्जेंडर एलिस द्वारा विमोचित किया गया था।
- इंडिया प्लास्टिक पैक्ट एक महत्वाकांक्षी, सहयोगात्मक पहल है जिसका उद्देश्य व्यवसायों, सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों को अपनी मूल्य श्रृंखला में प्लास्टिक को कम करने, पुन: उपयोग करने एवं पुनः चक्रित करने हेतु एक साथ लाना है।
- यह समझौता प्लास्टिक पैकेजिंग क्षेत्र में वृत्तपरकता (सर्कुलेरिटी) की बाधाओं को दूर करने पर केंद्रित है।
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लक्ष्य
- समझौता अनावश्यक अथवा समस्यापरक प्लास्टिक पैकेजिंग एवं वस्तुओं की एक सूची को परिभाषित करता है और उन्हें पुन: अभिकल्पित करने एवं नवाचार के माध्यम से उनका समाधान करने के उपाय करता है।
- प्लास्टिक पैकेजिंग का 100% पुन: प्रयोज्य या पुनर्चक्रण योग्य होना चाहिए।
- प्लास्टिक पैकेजिंग का 50% प्रभावी रूप से पुनर्नवीनीकरण किया जाना है।
- सभी प्लास्टिक पैकेजिंग में 25% औसत पुनर्नवीनीकरण सामग्री।
उद्देश्य
- संधि का उद्देश्य वर्तमान रैखिक प्लास्टिक प्रणाली को एक वृत्ताकार प्लास्टिक अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करना है जो निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने में सिद्ध होगा।
- भारत में समस्यापरक प्लास्टिक के उपयोग को कम करना।
- अन्य उत्पादों में उपयोग हेतु अर्थव्यवस्था में मूल्यवान सामग्री को बनाए रखना।
- भारत में प्लास्टिक प्रणाली में रोजगार, निवेश एवं अवसर सृजित करना ।
- भारत प्लास्टिक समझौता (इंडिया प्लास्टिक पैक्ट) का उद्देश्य सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देना है जो भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट की समस्या को समाप्त करने हेतु समाधानों को सक्षम बनाता है एवं जिस प्रकार से प्लास्टिक को अभिकल्पित, उपयोग एवं पुनः: उपयोग किया जाता है, उसमें नवीनता लाता है।
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भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट
- भारत वार्षिक रूप से 46 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न करता है।
- कुल उत्पन्न अपशिष्ट में से, 40% का एकत्रण नहीं किया जाता है।
- देश में उत्पादित समस्त प्लास्टिक का लगभग आधा पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है, इसमें से अधिकांश अपनी प्रकृति में एकल उपयोग हेतु होते हैं।
वृत्तीय अर्थव्यवस्था क्या है?
- वृत्तीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) उत्पादन एवं उपभोक्ता एक प्रतिरूप (मॉडल) है, जिसमें वर्तमान सामग्रियों एवं उत्पादों को यथासंभव दीर्घ अवधि तक साझा करना, पट्टे पर देना, पुन: उपयोग करना, मरम्मत करना, नवीनीकरण करना तथा पुनर्चक्रण करना सम्मिलित है।
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