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अंटार्कटिक विधेयक यूपीएससी: परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022: संदर्भ
- हाल ही में, सरकार ने अंटार्कटिक में अपने अनुसंधान स्टेशनों पर गतिविधियों का विनियमन तथा अनुश्रवण करने के लिए संसद में एक प्रारूप भारतीय अंटार्कटिक विधेयक-2022 प्रस्तुत किया है।
भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022: प्रमुख बिंदु
- भारत द्वारा अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर करने के लगभग 40 वर्षों के बाद यह विधेयक प्रस्तुत किया गया है।
- यह विधेयक भारत में अंटार्कटिका से संबंधित प्रथम स्थानीय कानून है।
- विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य अंटार्कटिका में कानून तोड़ने के लिए दंडात्मक प्रावधान को सम्मिलित करना है।
- अंटार्कटिक विधेयक में महाद्वीप एवं प्रतिबंधों पर अनुमन्य गतिविधियों की एक विस्तृत सूची है।
भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022: क्यों महत्वपूर्ण है?
- अंटार्कटिका पर 27 देशों में पूर्व से ही स्थानीय कानून हैं। अब उचित समय है कि भारत भी इस संदर्भ में पीछे न रहे।
- भारत विगत 40 वर्षों से अभियान दल भेज रहा है, यद्यपि, इन अभियानों को अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा सीमित कर दिया गया है।
- मंत्रालय का मानना है कि आने वाले वर्षों में अंटार्कटिका में गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिससे नवाचारों के स्थानीय समुच्चय को लागू करना आवश्यक हो जाएगा।
भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022: विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- विधेयक का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंश भारतीय न्यायालयों के क्षेत्राधिकार को अंटार्कटिका तक विस्तारित करना है, भारतीय नागरिकों या विदेशी नागरिकों द्वारा महाद्वीप पर अपराधों के लिए, जो भारतीय अभियानों का हिस्सा हैं।
- मत्स्यन को अनुमति प्रदान करना: जबकि भारत इस क्षेत्र में वाणिज्यिक मत्स्यन का कार्य नहीं करता है, विधेयक अब इस गतिविधि के संदर्भ में प्रावधान करता है। यद्यपि, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार सख्त दिशा निर्देश मौजूद हैं।
- विधेयक में कठोर दिशा निर्देशों एवं अनुज्ञापत्र (परमिट) की एक प्रणाली सूचीबद्ध है, जो सरकार द्वारा नियुक्त समिति द्वारा जारी की जाएगी, जिसके बिना किसी भी अभियान या व्यक्ति को अंटार्कटिका में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- विधेयक में खनिज संसाधनों की ड्रिलिंग, ड्रेजिंग, उत्खनन या संग्रह अथवा यहां तक कि यह अभिनिर्धारित करने हेतु कि ऐसे खनिज कहां निक्षेपित हैं, परमिट के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान को छोड़कर कुछ भी करने पर प्रतिबंध है।
- विधेयक स्थानीय पौधों को हानि पहुंचाने; हेलीकॉप्टर उड़ाने अथवा उतारने या जलपोतों को संचालित करने जो पक्षियों तथा सील को परेशान कर सकते हैं; आग्नेयास्त्रों का उपयोग करना जो पक्षियों एवं पशुओं को परेशान कर सकते हैं; अंटार्कटिका की स्थानिक मृदा अथवा किसी भी जैविक सामग्री को हटाने; किसी भी ग्रेट ऐसी गतिविधि में सम्मिलित होना जो पक्षियों तथा पशुओं के पर्यावास को प्रतिकूल रूप से परिवर्तित कर सकता है अथवा उन्हें हानि पहुंचाने पर भी रोक लगाता है।
- विधेयक में यह भी प्रावधान है कि कोई भी नया पशु, पक्षी, पौधे या सूक्ष्म जीव जो अंटार्कटिका के मूल निवासी नहीं हैं, उन्हें अंटार्कटिका महाद्वीप में प्रवेश नहीं किया जाएगा।
- उल्लंघन करने वालों को कारावास के साथ-साथ दंड का भी सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, परमाणु अपशिष्ट को डंप करने अथवा परमाणु विस्फोट के लिए, कारावास की सजा 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है एवं 50 करोड़ रुपये का अर्थदंड (जुर्माना) हो सकता है।
- विधेयक भारतीय टूर ऑपरेटरों को परमिट प्राप्त करने के बाद अंटार्कटिका में कार्य करने की अनुमति भी प्रदान करता है।
अंटार्कटिक में वैश्विक हस्तक्षेप
अंटार्कटिक संधि क्या है?
- 1959 में 12 देशों द्वारा अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- 12 सदस्य: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चिली, फ्रांसीसी गणराज्य, जापान, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका संघ, यूएसएसआर, ग्रेट ब्रिटेन का यूके एवं उत्तरी आयरलैंड तथा अमेरिका।
- सन् 1961 में यह संधि प्रवर्तन में आई।
- यह संधि 60° दक्षिणी अक्षांश के दक्षिण के क्षेत्र को कवर करती है।
- अब तक, 54 राष्ट्र इस संधि के हस्ताक्षरकर्ता बन गए हैं, यद्यपि मात्र 29 देशों को अंटार्कटिक संधि सलाहकार बैठकों में मतदान करने का अधिकार प्राप्त है, जिसमें भारत भी सम्मिलित है।
- अंटार्कटिक संधि भारत: भारत ने 1983 में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए तथा उसी वर्ष सलाहकार का दर्जा प्राप्त किया।
- संधि का उद्देश्य: संधि का उद्देश्य अंटार्कटिका का विसैन्यीकरण करना एवं इसे शांतिपूर्ण अनुसंधान क्रियाकलापों के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र के रूप में स्थापित करना तथा क्षेत्रीय संप्रभुता के संबंध में किसी भी विवाद को दूर करना है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित होता है।
अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण पर अभिसमय (कन्वेंशन ऑन कंजर्वेशन ऑफ अंटार्कटिक मरीन लिविंग रिसोर्सेज/CCAMLR)
- CCAMLR की स्थापना 1980 में अंटार्कटिक पर्यावरण सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए एवं विशेष रूप से, अंटार्कटिका में समुद्री जीव संसाधनों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए की गई थी।
अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल
- यह 1991 में हस्ताक्षरित किया गया था एवं 1998 में प्रवर्तन में आया। यह अंटार्कटिका को “प्राकृतिक रिजर्व, शांति तथा विज्ञान के लिए समर्पित“ के रूप में अभिहित करता है।