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इंडियन टेंट टर्टल- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
समाचारों में इंडियन टेंट टर्टल
- हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने संसद में कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि नर्मदा नदी में अवैध खनन के कारण भारतीय टेंट कछुआ विलुप्त होने के कगार पर है।
- उन्होंने कहा कि भारतीय टेंट कछुओं पर अवैध खनन के प्रभाव तथा नदी पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव पर प्राणी सर्वेक्षण ने नर्मदा नदी में कोई सर्वेक्षण नहीं किया है।
क्या भारतीय टेंट कछुआ खतरे में है?
- पृष्ठभूमि: इससे पूर्व भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला था कि नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन तथा तस्करी के कारण, भारतीय टेंट कछुए विलुप्त होने के कगार पर हैं।
- उन्होंने कहा कि नर्मदा-तवा नदी ‘बांद्राभान’ के संगम के साथ-साथ हरदा एवं खंडवा के आसपास के क्षेत्र से भारतीय टेंट कछुए पूर्ण रूप से गायब हो गए हैं।
- यद्यपि, सरकार ने इस बात को अस्वीकार किया कि यह भारतीय प्राणी सर्वेक्षण का एक आधिकारिक अध्ययन था।
- भारतीय टेंट कछुआ संरक्षण स्थिति:
- वन संरक्षण अधिनियम 1972: भारतीय तम्बू टेंट कछुए को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट WPA) 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- आईयूसीएन स्थिति: कम जोखिम/संकट मुक्त।
- CITES: भारतीय टेंट कछुए को CITES की अनुसूची II के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- पर्यावास क्षेत्र: भारतीय टेंट कछुआ भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश का स्थानिक है।
- पर्यावास: भारतीय टेंट कछुओं के आवासों में नदी के किनारे शांत जल के निकायों तथा नदी के तट पर मंद गति से प्रवाहित होने वाला जल सम्मिलित है। ये सक्रिय तैराक होते हैं तथा मुख्य रूप से शाकाहारी होते हैं।
- प्रमुख खतरे: भारतीय टेंट कछुआ प्रजाति की आकर्षक उपस्थिति के कारण, पालतू पशुओं के बाजार में उनका अवैध रूप से व्यापार किया जाता है।
- महत्व: प्राकृतिक मार्जक (क्लीनर) के रूप में जाना जाने वाला भारतीय टेंट कछुआ काई तथा शैवाल इत्यादि खाकर जीवित रहता है एवं जल में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि करता है।
भारतीय टेंट कछुआ एवं अन्य वन्यजीवों की रक्षा हेतु सरकार के कदम
- संरक्षित क्षेत्र, अर्थात देश में राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य, संरक्षण रिजर्व तथा सामुदायिक रिजर्व बनाए गए हैं, जो वन्यजीवों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने हेतु महत्वपूर्ण पर्यावासों को सम्मिलित करते हैं, जिसमें लुप्तप्राय प्रजातियों तथा उनके आवास शामिल हैं।
- वित्तीय सहायता: यह केंद्र प्रायोजित योजना ‘वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास’ के तहत राज्य / केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को वन्यजीवों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने एवं आवास में सुधार हेतु प्रावधानित जाती है।
- वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972: इसके प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। अधिनियम किसी भी उपकरण, वाहन या हथियार को जब्त करने का भी प्रावधान करता है जिसका उपयोग वन्यजीव अपराध को कारित करने के लिए किया जाता है।
- स्थानीय समुदाय पर्यावरण-विकास गतिविधियों के माध्यम से संरक्षण उपायों में शामिल हैं जो वन्यजीवों के संरक्षण में वन विभागों की सहायता करते हैं।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो/डब्ल्यूसीसीबी): यह वन्य जीवो के शिकार तथा पशुओं की वस्तुओं के अवैध व्यापार के बारे में खुफिया जानकारी एकत्रित करने के राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों एवं अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करता है।