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अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण एवं नवीन तकनीक विकसित करना।
अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान- संदर्भ
- भारत ने दक्षिणी श्वेत महाद्वीप में अपने दल के प्रथम बैच के आगमन के साथ अंटार्कटिका के लिए 41वां वैज्ञानिक अभियान सफलतापूर्वक प्रारंभ किया है।
- 23 वैज्ञानिकों एवं सहयोगी कर्मियों का पहला जत्था पिछले हफ्ते भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन मैत्री पहुंचा।
- चार और बैच जनवरी 2022 के मध्य तक ड्रोमलान केंद्र एवं जहाज पर अधिकृत हिम- वर्ग के पोत एमवी वासिली गोलोविनिन का उपयोग करके हवाई मार्ग से अंटार्कटिका में उतरेंगे।
अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान- महत्वपूर्ण विशेषताएं
- उद्देश्य: अंटार्कटिका के 41वें वैज्ञानिक अभियान के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं।
- पहले कार्यक्रम में भारती स्टेशन पर अमेरी हिम शेल्फ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है। इससे अतीत में भारत एवं अंटार्कटिका के मध्य की कड़ी का पता लगाने में सहायता प्राप्त होगी।
- दूसरे कार्यक्रम में वीक्षण (टोही) सर्वेक्षण एवं मैत्री के समीप 500 मीटर हिम अंतर्भाग (आइस कोर) का अंतर्वेधन (ड्रिलिंग) के लिए प्रारंभिक कार्य शामिल है।
अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान: महत्व
- अंटार्कटिका का 41वां वैज्ञानिक अभियान विगत 10,000 वर्षों से एकल जलवायु अभिलेख से अंटार्कटिक जलवायु, पश्चिमी पवन (पछुआ हवाओं), समुद्री-बर्फ एवं हरित गृह (ग्रीनहाउस) गैसों की समझ को बेहतर बनाने में सहायता करेगा।
- हिम अंतर्भाग अंतर्वेधन (आइस कोर ड्रिलिंग) ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे एंड नॉर्वेजियन पोलर इंस्टीट्यूट के सहयोग से किया जाएगा।
- अंटार्कटिका के लिए 41वां वैज्ञानिक अभियान मैत्री एवं भारती में जीवन रक्षक प्रणालियों के संचालन तथा रखरखाव हेतु भोजन, ईंधन, खाद्य सामग्रियों एवं पुर्जों की वार्षिक आपूर्ति की पुनः पूर्ति करेगा।
अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान- भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम
- भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के बारे में: भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम 1981 में प्रारंभ हुआ, एवं अब तक 40 वैज्ञानिक अभियान पूर्ण कर चुका है।
- अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान केंद्र: भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के तहत, भारत ने अंटार्कटिका में तीन स्थायी अनुसंधान बेस स्टेशन निर्मित किए हैं, जिनके नाम दक्षिण गंगोत्री (1983), मैत्री (1988) एवं भारती (2012) हैं।
- अंटार्कटिका में प्रथम भारतीय अनुसंधान केंद्र: दक्षिण गंगोत्री (1983) अंटार्कटिका में प्रथम भारतीय अनुसंधान केंद्र था।
- वर्तमान स्थिति: आज तक, मैत्री एवं भारती पूर्ण रूप से कार्यरत हैं।
- कार्यान्वयन एजेंसी: राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा संपूर्ण भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य करता है।