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117 करोड़ से अधिक दूरसंचार उपयोगकर्ताओं एवं 82 करोड़ से अधिक इंटरनेट ग्राहकों के साथ, भारत डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए सर्वाधिक तीव्र गति से वृद्धि करते बाजारों में से एक है, भारत डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है।
मैकिन्से के 2019 के एक अध्ययन के अनुसार भारत दूसरी सर्वाधिक तीव्र गति से डिजिटलीकरण करने वाली अर्थव्यवस्था है।
5जी तकलीफ बहुत जल्द देश में पैठ बनाने जा रही है। 5 जी की मूलभूत आवश्यकता डेटा पारगमन संजाल (नेटवर्क) की होगी। प्रकाशीय तंतु (ऑप्टिकल फाइबर) इस उद्देश्य के लिए आवश्यक डिजिटल आधारिक संरचना की रीढ़ है – महीन फाइबर के लंबे रेशों (स्ट्रैंड) के माध्यम से यात्रा करने वाली प्रकाशीय स्पंदनों द्वारा डेटा प्रसारित किया जाता है।
5G तकनीक क्या है एवं यह किस प्रकार भिन्न है?
- 5जी अथवा पांचवीं पीढ़ी लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क में नवीनतम उन्नयन है तथा 3 बैंड, अर्थात् निम्न, मध्य एवं उच्च आवृत्ति स्पेक्ट्रम में कार्य करती है।
- निम्न बैंड स्पेक्ट्रम ने इंटरनेट एवं डेटा अंतरण की कवरेज एवं गति के मामले में बहुत अच्छा वादा प्रदर्शित किया है, अधिकतम गति 100 एमबीपीएस (मेगाबिट्स प्रति सेकेंड) तक सीमित है जो इसे वाणिज्यिक सेलफोन उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त बनाती है जिन्हें अत्यधिक इंटरनेट गति की विशिष्ट मांग नहीं हो सकती है, उद्योग की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए निम्न बैंड स्पेक्ट्रम इष्टतम नहीं हो सकता है।
- दूसरी ओर, मिड-बैंड स्पेक्ट्रम, निम्न बैंड की तुलना में उच्च गति प्रदान करता है,किंतु कवरेज क्षेत्र एवं संकेतों के प्रवेश के मामले में इसकी सीमाएं हैं।
- 5G ने संकेत दिया है कि इस बैंड का उपयोग उद्योगों एवं कारखानों की विशेष इकाइयों द्वारा कैप्टिव नेटवर्क के निर्माण के लिए किया जा सकता है जिसे उस विशेष उद्योग की आवश्यकताओं में ढाला जा सकता है।
- 5G तीनों बैंड की उच्चतम गति प्रदान करता है, किंतु इसमें अत्यंत सीमित कवरेज तथा सिग्नल प्रवेश शक्ति होती है।
पहली पीढ़ी से पांचवीं पीढ़ी तक का विकास
- 1G को 1980 के दशक में विमोचित किया गया था तथा यह समधर्मी रेडियो संकेतों (एनालॉग रेडियो सिग्नल) पर काम करता था एवं मात्र वॉयस कॉल का समर्थन करता था।
- 2G को 1990 के दशक में लॉन्च किया गया था जो डिजिटल रेडियो सिग्नल का उपयोग करता है एवं 64 केबीपीएस की बैंडविड्थ के साथ वॉयस एवं डेटा ट्रांसमिशन दोनों का समर्थन करता है।
- 3जी को 2000 के दशक में 1 एमबीपीएस से 2 एमबीपीएस की गति के साथ विमोचित किया गया था एवं इसमें डिजिटल वॉयस, वीडियो कॉल तथा कॉन्फ्रेंसिंग सहित टेलीफोन सिग्नल प्रसारित करने की क्षमता है।
- 4G को 2009 में 100 एमबीपीएस से 1 जीबीपीएस की उच्चतम गति (पीक स्पीड) के साथ लॉन्च किया गया था तथा यह त्रिविमीय आभासी वास्तविकता (3D वर्चुअल रियलिटी) को भी सक्षम बनाता है।
भारत में 5G
- भारत की राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 में 5जी नेटवर्क के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जब इसमें यह कहा गया है कि 5जी, क्लाउड, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तथा डेटा एनालिटिक्स सहित क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियों के एक समूह का अभिसरण, एक वृद्धि करते हुए स्टार्ट-अप समुदाय के साथ, अवसरों का एक नया क्षितिज खोलते हुए, अपने डिजिटल जुड़ाव को और तीव्र एवं गहन करने का वादा करता है।
- भारत ने 2018 में, जितनी शीघ्र हो सके 5G सेवाओं को प्रारंभ करने की योजना बनाई थी, जिसका उद्देश्य बेहतर नेटवर्क गति एवं क्षमता का लाभ उठाना था, जिसका वादा प्रौद्योगिकी ने किया था एवं अब सरकार ने 5G सेवाओं को प्रारंभ करने हेतु देश में 72 गीगाहर्ट्ज एयरवेव्स की नीलामी करने का निर्णय लिया है।
चुनौतियां
देश में 5जी सेवाओं को सक्षम करते समय भारत के सामने सर्वाधिक बड़ी चुनौती ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से रेडियो टावरों को एक दूसरे से जोड़ने की फाइबरजेशन-प्रक्रिया होगी।
- फाइबर आधारित मीडिया-ऑप्टिकल मीडिया अपरिमित बैंडविड्थ एवं कवरेज तथा अल्प प्रसुप्ति काल एवं हस्तक्षेप से उच्च रोधन (इन्सुलेशन) प्रदान करता है। उपभोक्ताओं एवं व्यवसायों को बेहतर कवरेज प्रदान करने हेतु मोबाइल टावरों के घनत्व में वृद्धि करना आवश्यक होगा।
- 5G सेवाओं का पूर्ण रूप से उपयोग करने के लिए हमें फाइबर युक्त टावरों (वर्तमान में 33%) को बढ़ाने की आवश्यकता है एवं इसके लिए हमें कम से कम 16 गुना अधिक फाइबर की आवश्यकता है।
- फाइबर युक्त टावरों में भी डेटा क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
- भारतनेट एवं स्मार्ट शहरों जैसे सरकारी कार्यक्रमों के साथ-साथ देश के प्रत्येक गांव को 1000 दिनों में प्रकाशीय तंतु तार (ऑप्टिकल फाइबर केबल/ओएफसी) से जोड़ने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के साथ केबल लगाने की गति को वर्तमान 350 किलोमीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 1251 किलोमीटर प्रतिदिन करने की आवश्यकता है।
- ओवरग्राउंड टेलीग्राफ लाइन (ओटीएल) की स्थापना के लिए नाममात्र एकमुश्त क्षतिपूर्ति एवं एक समान प्रक्रिया को सम्मिलित करने हेतु प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अधिसूचित भारतीय टेलीग्राफ राइट ऑफ वे नियम, 2016 को राज्यों के साथ-साथ विभिन्न मंत्रालयों द्वारा संपूर्ण देश में समान रूप से लागू करने की आवश्यकता है। जिन्होंने अभी तक अपने विभागीय नियमों का हवाला देते हुए इन नियमों को नहीं अपनाया है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- संचार मंत्रालय का गति शक्ति (DoT’S GatiShakti)- 5G केबल के राइट ऑफ वे (RoW) अनुमोदन एवं परिनियोजन को सरल बनाने हेतु एक ऑनलाइन पोर्टल।
- यह 5G सहित दूरसंचार आधारिक संरचना परियोजनाओं के लिए अनुमोदन के केंद्रीकरण को सक्षम करेगा एवं ऑपरेटरों को आगामी 5G प्रारंभ करने हेतु (रोलआउट) के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को समय पर ढंग से परिनियोजित करने में सहायता करेगा।
- संचार मंत्रालय ने 2021 में राइट ऑफ वे (RoW) नियमों को संशोधित किया है जिससे देश में एरियल ऑप्टिकल फाइबर केबल को स्थापित करना सरल हो गया है।