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भारत का डार्क स्काई रिजर्व

भारत का डार्क स्काई रिजर्व: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

सामान्य अध्ययन III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, औषधि क्षेत्र तथा स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में जागरूकता।

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भारत का डार्क स्काई रिजर्व: प्रसंग

  • केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भारत के प्रथम डार्क स्काई रिजर्व की मेजबानी करेगा जो आगामी तीन माह में हनले क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा।
  • डार्क स्काई रिजर्व लद्दाख के उच्च उन्नतांश वाले चांगथांग वन्यजीव अभ्यारण्य के एक भाग के रूप में  निर्मित किया जा रहा है।

 

अंध आकाश अभ्यारण्य (डार्क स्काई रिजर्व/डीएसआर) क्या है?

  • डार्क स्काई रिजर्व की परिभाषा: इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (आईडीएसए) एक अंतरराष्ट्रीय अंध आकाश अभ्यारण्य (डार्क स्काई रिजर्व/आईडीएसआर) को “पर्याप्त आकार की सार्वजनिक अथवा निजी भूमि (कम से कम 700 किमी², या लगभग 173,000 एकड़) के रूप में परिभाषित करता है जिसमें तारों  से पूर्ण रात  तथा रात्रि का वातावरण की असाधारण या विशिष्ट गुणवत्ता होती है एवं जो विशेष रूप से अपनी वैज्ञानिक, प्राकृतिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक विरासत एवं/या सार्वजनिक आनंद हेतु संरक्षित है।
  • एक डार्क स्काई रिजर्व के लिए एक “कोर” क्षेत्र की आवश्यकता होती है जिसमें बिना किसी प्रकाश प्रदूषण के स्पष्ट आकाश उपलब्ध हो, जो दूरबीनों को अपने प्राकृतिक अंधकार में आकाश को देखने में सक्षम बना सके।

 

भारत का डार्क स्काई रिजर्व: आदर्श स्थल

  • लद्दाख अपने विशाल शुष्क क्षेत्र, उच्च उन्नतांश एवं विरल आबादी, अत्यधिक ठंड तथा न्यूनतम तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे जाने के कारण लंबी अवधि की वेधशालाओं एवं अंध-आकाश स्थलों के लिए आदर्श है।
  • चांगथांग वन्यजीव अभ्यारण्य, डार्क स्काई रिजर्व (डीएसआर) स्थल लगभग 4,500 मीटर पर अवस्थित है।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा बेंगलुरु में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स/IIA) संस्थान के लिए सहायता प्रदान कर रहे हैं।
  • भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) पूर्व से ही हानले, लद्दाख में भारतीय खगोलीय वेधशाला (इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी/IAO) परिसर का प्रबंधन करती है।

 

भारत का डार्क स्काई रिजर्व: अंतर्राष्ट्रीय मानक

  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन की मान्यता: आईडीएसए दुनिया भर में डार्क-स्काई क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में पहचान करता है तथा मान्यता प्रदान करता है। क्यूबेक में मोंट मेगेंटिक वेधशाला  ऐसा प्रथम स्थल है जिसे अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त है (2007 में)।
  • व्यक्ति अथवा समूह इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (IDSA) के प्रमाणन के लिए किसी स्थल को नामांकित कर सकते हैं। पांच नामित श्रेणियां हैं, अर्थात्  अंतर्राष्ट्रीय अंध आकाश उद्यान (इंटरनेशनल डार्क स्काई पार्क), समुदाय, संरक्षित क्षेत्र,  अभ्यारण्य तथा   शहरी रात्रि आकाश स्थल (अर्बन नाइट स्काई प्लेस)।
  • प्रमाणन प्रक्रिया एक स्थल के समान है जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल टैग प्रदान किया जा रहा है  अथवा जैवमंडल निचय (बायोस्फीयर रिजर्व) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • आईडीएसए ने कहा कि 2001 तथा जनवरी 2022 के मध्य, वैश्विक स्तर पर 195 स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई प्लेस के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।
  • आईडीएसए ने यूटाह में प्राकृतिक पुलों के राष्ट्रीय स्मारक को विश्व के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई पार्क के रूप में मान्यता प्रदान की।
  • 2015 में, इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (IDSA) ने “डार्क स्काई सैंक्चुअरी” शब्द की शुरुआत की  एवं उत्तरी चिली की एल्क्वी घाटी को विश्व के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई सैंक्चुअरी के रूप में नामित किया। गैब्रिएला मिस्ट्रल डार्क स्काई सैंक्चुअरी का नाम चिली के एक कवि के नाम पर रखा गया है।

 

भारत का डार्क स्काई रिजर्व: भारत का उद्देश्य

  • प्रस्तावित डार्क स्काई रिजर्व का प्राथमिक उद्देश्य सतत एवं पर्यावरण हितैषी विधि से खगोल विज्ञान पर्यटन को प्रोत्साहित करना है। रात्रि आकाश को निरंतर बढ़ते प्रकाश प्रदूषण से सुरक्षित करने हेतु यहां वैज्ञानिक   पद्धतियों का उपयोग किया जाएगा।
  • महानगरों, शहरों एवं परिधीय क्षेत्रों में प्रकाश प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है तथा निरंतर रोशनी बनी हुई है, ऐसे कम क्षेत्र हैं जो मेघ रहित रात्रि में स्पष्ट आकाश का दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
  • प्रायोगिक चरण में, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने दस लघु एवं सरलता से प्रबंधित किए जाने वाले टेलीस्कोप (दूरबीन) तथा प्रकाश-परावर्तक कवचों का क्रय किया है। आईआईए के वैज्ञानिक तथा आउटरीच विशेषज्ञ स्थानीय व्यक्तियों की पहचान करेंगे तथा उन्हें इन दूरबीनों का उपयोग करने हेतु प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
  • इसमें अन्य बातों के साथ  साथ मूलभूत आकाश अवलोकन, नक्षत्रों की पहचान तथा ध्रुव तारे का पता लगाना इत्यादि सम्मिलित होंगे। इन दूरबीनों को होमस्टे में स्थापित किया जाएगा, जो लद्दाख में पर्यटकों के ठहरने के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है।

 

निष्कर्ष

  • डार्क स्काई रिजर्व भारत में एस्ट्रो पर्यटन को  प्रोत्साहित करने की संभावना है जहां ऐसा कोई रिजर्व नहीं है। एक बार स्थापित होने के पश्चात, रिजर्व अवरक्त (इंफ्रारेड), गामा- किरणों तथा प्रकाशीय दूरबीन (ऑप्टिकल टेलीस्कोप) हेतु देश में अधिकतम ऊंचाई पर स्थित स्थल होगा।

 

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