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हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस
- हाल ही में, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुणे में केपीआईटी -सीएसआईआर द्वारा विकसित भारत की स्वदेशी रूप से विकसित पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस का अनावरण किया।
- भारत की स्वदेशी रूप से विकसित पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अनुरूप है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस के संबद्ध लाभ
- पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय: ईंधन सेल बस को ऊर्जा प्रदान करने के लिए विद्युत उत्पन्न करने हेतु हाइड्रोजन एवं वायु का उपयोग करता है तथा बस से निकलने वाला एकमात्र बहिःस्त्राव पानी है, अतः यह संभवतः परिवहन का सर्वाधिक पर्यावरण अनुकूल साधन है।
- तुलना के लिए, लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीजल बस आमतौर पर प्रति वर्ष 100 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है एवं भारत में ऐसी दस लाख से अधिक बसें हैं।
- यात्रा का सस्ता माध्यम: ईंधन सेल वाहनों की उच्च दक्षता एवं हाइड्रोजन का उच्च ऊर्जा घनत्व यह सुनिश्चित करता है कि ईंधन सेल ट्रकों एवं बसों के लिए प्रति किलोमीटर में परिचालन लागत डीजल से संचालित होने वाले वाहनों की तुलना में कम है।
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस चलाने की कम लागत भारत में माल ढुलाई क्रांति ला सकती है।
- शून्य हरितगृह उत्सर्जन: हाइड्रोजन ईंधन सेल बस वाहन भी शून्य हरितगृह गैस उत्सर्जन देते हैं।
- हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन इस क्षेत्र से सड़क पर (ऑन-रोड) उत्सर्जन को समाप्त करने हेतु एक उत्कृष्ट साधन प्रदान करते हैं।
- लगभग 12-14% कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन एवं कणीय उत्सर्जन डीजल चालित भारी वाणिज्यिक वाहनों से आते हैं एवं ये विकेंद्रीकृत उत्सर्जन हैं तथा इसलिए इसे प्रग्रहित करना कठिन है।
- जीवाश्म ईंधन आयात को कम करना: हाइड्रोजन ईंधन परिवहन प्रणाली को प्राप्त करके, भारत जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बनने के लिए पोल-वॉल्ट कर सकता है।
- हाइड्रोजन ईंधन में वैश्विक नेतृत्वकर्ता: प्रभावी कार्यान्वयन से हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त हो सकता है, जो हरित हाइड्रोजन का एक वृहद उत्पादक एवं हरित हाइड्रोजन के लिए उपकरणों का आपूर्तिकर्ता बन सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
- सौर, पवन अथवा जल विद्युत जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है।
- ‘हरित’ इस बात पर निर्भर करता है कि हाइड्रोजन प्राप्त करने के लिए विद्युत किस प्रकार उत्पन्न होती है, जो जलने पर हरित गृह गैस का उत्सर्जन नहीं करती है।
ग्रीन हाइड्रोजन ग्रे हाइड्रोजन एवं ब्लू हाइड्रोजन से किस प्रकार भिन्न है?
- सौर, पवन या जल विद्युत जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है।
- ग्रे हाइड्रोजन कोयले एवं गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के माध्यम से उत्पादित होता है एवं वर्तमान में दक्षिण एशिया में कुल उत्पादन का 95% हिस्सा गठित करता है।
- ब्लू हाइड्रोजन भी, जीवाश्म ईंधन को जलाने से उत्पन्न विद्युत का उपयोग करके, किंतु इस प्रक्रिया में उत्सर्जित कार्बन को वातावरण में प्रवेश करने से रोकने के लिए प्रौद्योगिकियों के साथ उत्पादित किया जाता है, ।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन- प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि: राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का प्रस्ताव 2021 के बजट में “हरित ऊर्जा स्रोतों से” हाइड्रोजन के उत्पादन को सक्षम करने के लिए किया गया था।
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के बारे में: भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर, भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (नेशनल हाइड्रोजन मिशन/एनएचएम) के शुभारंभ की घोषणा की।
- उद्देश्य: राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन एवं निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
- लक्ष्य: राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के संबंधित विकास को प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होने की संभावना है।