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भारत की पहली राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना: राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना भारत सरकार द्वारा देश में प्राकृतिक तथा मानव निर्मित दोनों जल निकायों का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के लिए किया गया एक व्यापक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 3- पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी) के लिए भी भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना महत्वपूर्ण है।
भारत की पहली राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना चर्चा में क्यों है?
हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय ने भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना 2023 के परिणाम प्रकाशित किए।
राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना 2023 से संबंधित विवरण
जल निकायों के आकार, स्वामित्व, स्थिति, उद्देश्य एवं स्थितियों पर जानकारी का एक राष्ट्रीय डेटाबेस निर्मित करने के उद्देश्य से पहली जल निकाय जनगणना एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण उपक्रम था।
- जनगणना में उन सभी मानव निर्मित तथा प्राकृतिक इकाइयों को शामिल किया गया जो जल का भंडारण करती हैं, चाहे उनका उपयोग अथवा स्थिति कुछ भी हो।
- सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षणकर्ताओं को आंकड़ा-प्रसंस्करण (डेटा-प्रोसेसिंग) कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया था एवं जल निकायों की अवस्थिति तथा दृश्य को प्रग्रहित करने के लिए एक मोबाइल ऐप एवं डेटा एंट्री सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था।
- जनगणना ने वर्तमान उपग्रह-व्युत्पन्न डेटासेट का उपयोग किया, जो व्यापक हैं एवं नागरिकों को विशिष्ट गांवों के लिए ऐतिहासिक समय-श्रृंखला डेटा तक पहुंचने की अनुमति प्रदान करते हैं।
- हालाँकि, इन डेटासेट में केवल देखने योग्य विशेषताएँ होती हैं तथा जल निकाय की जनगणना इससे आगे बढ़कर स्वामित्व, उपयोग एवं अवस्थिति जैसी सामाजिक विशेषताओं को शामिल करती है।
राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना 2023 के निष्कर्ष
इस व्यापक राष्ट्रीय प्रयास के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर, देश भर में जल निकायों के स्थानिक एवं कालिक प्रवृत्तियों के संबंध में अनेक अवलोकन किए जा सकते हैं।
- देश में अधिकांश जल निकाय आकार में अत्यधिक छोटे हैं – भारत के अधिकांश जल निकाय एक हेक्टेयर (ha) से कम बड़े हैं।
- इसका तात्पर्य है कि उनका पता लगाना एवं उन पर नज़र रखना एक चुनौती बने रहने की संभावना है।
- उपग्रहों का उपयोग करके इन जल निकायों को मानचित्रित करने की पारंपरिक विधि संभवत कार्य नहीं कर सकती है, यही कारण है कि भू-आधारित ट्रैकिंग में किए गए विशाल प्रयास का स्वागत है।
- जल निकाय क्षेत्रीय प्रतिरूप प्रदर्शित करते हैं जो वर्षा से संबंधित होते हैं – सामान्य तौर पर, गुजरात, महाराष्ट्र एवं राजस्थान जैसे सूखे राज्यों में, जल निकाय बड़े तथा सार्वजनिक रूप से आयोजित होते हैं।
- देश के आद्र हिस्सों में, जैसे केरल, पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर राज्यों में, तीन-चौथाई से अधिक जल निकायों का निजी स्वामित्व है।
- शुष्क राज्यों में, जल निकायों का मुख्य रूप से सिंचाई एवं भूजल पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि आद्र राज्यों में, घरेलू उपयोग एवं मत्स्य पालन प्रभुता में है। मध्यम आकार के जल निकाय बड़े पैमाने पर पंचायत के स्वामित्व के अधीन हैं।
- अधिकांश जल निकायों की कभी भी मरम्मत अथवा कायाकल्प नहीं किया गया है – अनेक जल निकायों को “उपयोग में नहीं है” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि हाल ही में जल निकायों के कायाकल्प में रुचि के बावजूद, उनमें से अधिकांश का कभी मरम्मत अथवा पुनरुद्धार नहीं किया गया है।
राष्ट्रीय जल गणना की आवश्यकता
भूजल स्तर में कमी, जैव विविधता की हानि तथा जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ एवं सूखे की बढ़ती घटना के परिणामस्वरूप भारत वर्तमान में गंभीर जल संकट से जूझ रहा है।
- जल निकाय इस संकट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जलवायु परिवर्तनशीलता के विरुद्ध बफर के रूप में कार्य करते हैं एवं शुष्क काल में उपयोग के लिए बाढ़ के पानी का भंडारण करते हैं।
- इसके अतिरिक्त, वे भूजल की पुनः पूर्ति (भरपाई) करके, सिंचाई एवं पशुओं के लिए जल उपलब्ध कराकर खाद्य एवं जल सुरक्षा में योगदान करते हैं तथा सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक महत्व रखते हैं।
- हालांकि, प्रदूषण, अतिक्रमण, शहरीकरण एवं सूखने से जल के इन निकायों को खतरा बढ़ रहा है।
- उनके प्रभावी रूप से संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए कार्य योजनाओं की आवश्यकता होती है जो बेसलाइन डेटा पर आधारित होती हैं, जो सरलता से सुलभ एवं एक समान होनी चाहिए, यह देखते हुए कि विभिन्न स्तरों पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जल निकायों का प्रबंधन किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, प्रभावी प्रबंधन प्राप्त करने के लिए समुदायों से पारंपरिक एवं प्रासंगिक ज्ञान को औपचारिक डेटा के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।
- भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली के माध्यम से जलाशयों एवं नदियों पर डेटा की उपलब्धता के बावजूद, छोटे जल निकायों पर डेटा की कमी रही है जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं एवं शहरों में सांस्कृतिक, बाढ़ नियंत्रण तथा मनोरंजक स्थानों के रूप में कार्य करते हैं।
- इन कारणों से भारत की पहली राष्ट्रीय जल जनगणना की आवश्यकता हुई।
भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना में अंतराल
हालांकि जल जनगणना एक विशाल उपक्रम था, हमें डेटा का विश्लेषण करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना में कुछ महत्वपूर्ण अंतरालों पर नीचे चर्चा की गई है-
जल निकायों के मानव उपयोग पर सीमित ध्यान
हालांकि जल निकाय जनगणना एक विशाल प्रयास था, डेटा में कुछ ध्यान देने योग्य अंतराल हैं। जबकि जल निकाय जैव विविधता का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, मछलियों एवं पक्षियों के लिए आवास प्रदान करते हैं, नवीनतम जनगणना इस मुद्दे को हल करने में विफल रही है।
- रिपोर्ट स्वीकार करती है कि जल निकाय स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करते हैं, किंतु ध्यान मानव उपयोग, विशेष रूप से मत्स्य पालन अथवा मछली पालन तक सीमित था, जो प्राकृतिक जैव विविधता को प्रतिबिंबित नहीं करता है।
- इसके अतिरिक्त, जनगणना ने जल निकायों के परित्याग अथवा अनुपयोग के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्नों को संबोधित नहीं किया, जिसमें “अन्य” श्रेणी एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में उभरी।
- यह इस संभावना के कारण हो सकता है कि जनगणना प्रश्नावली ने सुपोषण (यूट्रोफिकेशन), सीवेज प्रदूषण एवं ठोस अपशिष्ट डंपिंग जैसे सर्वाधिक सामान्य कारणों की अनदेखी की।
जल निकायों के वर्गीकरण में असंगति
जल निकाय जनगणना इसके वर्गीकरण में कुछ विसंगतियों को प्रदर्शित करती है। यह जल निकायों को पांच प्रकारों, जैसे तालाब, टैंक, झील, जलाशय तथा जल संरक्षण योजनाओं में समूहित करता है।
- जबकि तालाबों को टैंकों की तुलना में छोटे जल निकायों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जल संरक्षण संरचनाओं में चेक डैम एवं अंतःस्रवण (परकोलेशन) टैंक शामिल हो सकते हैं।
- हालांकि, ये श्रेणियां अनन्य नहीं हैं एवं अनेक टैंक जो पूर्व में सिंचाई के लिए उपयोग किए जाते थे, अब मुख्य रूप से पुनर्भरण संरचनाओं के रूप में कार्य करते हैं।
- आंकड़ों से पता चलता है कि कर्नाटक में, इन टैंकों को सिंचाई उद्देश्यों के लिए तालाबों एवं टैंकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जबकि महाराष्ट्र में, उन्हें भूजल पुनर्भरण के लिए जल संरक्षण संरचनाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- दोनों राज्यों के सिंचाई के आँकड़े बताते हैं कि कोई भी राज्य टैंक सिंचाई पर बहुत अधिक निर्भर नहीं करता है।
डेटा के मानकीकरण का अभाव
राज्यों में डेटा के मानकीकरण को समान रूप से अनुरक्षित नहीं रखा गया था, जैसा कि इस तथ्य से देखा गया है कि गुजरात ने किसी भी जल निकाय के अप्रयुक्त होने की सूचना नहीं दी है, जबकि कर्नाटक ने लगभग 80% जल निकायों को अनुपयोगी होने की सूचना दी है। रिपोर्टिंग में यह असंगति सर्वेक्षकों द्वारा व्याख्या में विविधताओं को इंगित करती है।
- इसके अतिरिक्त, उत्तरी कर्नाटक के मानचित्र के बारे में भी चिंताएँ हैं, जहां जल निकायों का घनत्व निम्न प्रतीत होता है।
- हालाँकि, मूल जियोटैग डेटा अभी तक जारी नहीं किया गया है, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या कुछ जिलों की अनदेखी की गई थी अथवा यदि क्षेत्र में वास्तव में जल-निकाय घनत्व कम है।
आगे की राह
सीमाओं के बावजूद, सरकार के लिए आवश्यक संशोधनों के साथ ऐसे महत्वपूर्ण संसाधन की राष्ट्रव्यापी गणना जारी रखना महत्वपूर्ण है।
- गणना का पहला संस्करण स्वामित्व, उपयोग की स्थिति एवं निर्माण तथा मरम्मत की लागतों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान कर आगे की राह पर उच्च-स्तरीय संकेत प्रदान करता है।
- यह जल निकायों को पुनर्स्थापित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है, उन एजेंसियों को अभिनिर्धारित करता है जिन्हें क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता होती है, आवश्यक धन की राशि तथा अवस्थिति निर्धारित करता है एवं उन लोगों की पहचान करता है जो इस तरह के प्रयासों से लाभान्वित होंगे।
- प्रत्येक पांच अथवा 10 वर्ष में इस तरह की गणना करने से उभरती प्रवृत्तियों एवं पूरे समय में देश में जल की स्थिति का सटीक प्रतिनिधित्व करने में सहायता मिलेगी।
भारत की पहली राष्ट्रीय जल-निकाय गणना के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना क्या है?
उत्तर. राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना भारत सरकार द्वारा देश में प्राकृतिक एवं मानव निर्मित दोनों जल निकायों का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के लिए किया गया एक व्यापक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
प्र. राष्ट्रीय जल निकाय गणना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर. राष्ट्रीय जल-निकाय गणना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आधारभूत डेटा प्रदान करता है जो भारत में जल निकायों के प्रभावी प्रबंधन एवं संरक्षण में सहायता कर सकता है। यह उन क्षेत्रों को अभिनिर्धारित करने में भी सहायता करता है जहां जल निकाय पुनर्स्थापना एवं प्रबंधन के लिए संसाधनों को लक्षित किया जा सकता है।
प्र. राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना क्या जानकारी एकत्र करती है?
उत्तर. राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना जल निकायों के आकार, उद्देश्य, स्वामित्व, अवस्थिति एवं स्थितियों के बारे में जानकारी एकत्र करती है। यह प्राकृतिक एवं मानव निर्मित सभी इकाइयों को शामिल करता है जो जल के भंडारण हेतु चारों ओर से बंधी हुई हैं, चाहे स्थिति अथवा उपयोग कुछ भी हो।
प्र. राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना कैसे की जाती है?
उत्तर. डेटा प्रविष्टि के लिए सॉफ्टवेयर एवं जल निकायों की अवस्थिति तथा दृश्यों को कैप्चर करने के लिए एक मोबाइल ऐप का उपयोग करके राष्ट्रीय जल-निकाय गणना की जाती है। सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए डाटा-प्रोसेसिंग कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।
प्र. राष्ट्रीय जल निकाय जनगणना की कुछ सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर. राष्ट्रीय जल-निकाय जनगणना की कुछ सीमाओं में राज्यों में जल निकायों के वर्गीकरण में विसंगतियां, जल निकायों के पारिस्थितिक कार्यों पर डेटा में अंतराल तथा प्रगणकों द्वारा व्याख्या में अंतर शामिल हैं।