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भारत का सारस टेलीस्कोप: ब्रह्मांड के आरंभिक सितारों एवं आकाशगंगाओं की प्रकृति के लिए खगोलविदों को संकेत प्रदान करता है

सारस टेलीस्कोप: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

भारत का सारस टेलीस्कोप: भारत का सारस रेडियो टेलीस्कोप आकाशगंगा का अध्ययन करने एवं इस प्रक्रिया में विभिन्न खगोलीय निष्कर्ष प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। सारस टेलीस्कोप यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा 2023 (जीएस पेपर 3- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्वदेशी विकास) के लिए महत्वपूर्ण है।

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सारस टेलीस्कोप चर्चा में क्यों है

  • हाल ही में, भारत के सारस रेडियो टेलीस्कोप ने खगोलविदों को ब्रह्मांड के आरंभिक सितारों एवं आकाशगंगाओं की प्रकृति के बारे में संकेत प्रदान किया।

 

रेडियो टेलीस्कोप की पृष्ठभूमि

  • वैज्ञानिकों ने बिग बैंग की घटना के पश्चात मात्र 200 मिलियन वर्ष बाद गठित रेडियो प्रदीप्त आकाशगंगाओं की विशेषताएं निर्धारित की हैं, जिसे कॉस्मिक डॉन के रूप में जाना जाता है।
    • इसने आरंभिक रेडियो प्रबल आकाशगंगाओं की विशेषताओं के बारे में एक अंतर्दृष्टि प्रदान की जो आमतौर पर सुपरमैसिव ब्लैक होल द्वारा संचालित होती हैं।
  • ब्रह्मांड की बेहतर समझ के लिए आकाश में अनेक सतह तथा अंतरिक्ष-आधारित टेलीस्कोप स्थापित हैं जैसे-
    • आरंभिक सितारों एवं आकाशगंगाओं का निर्माण कैसे हुआ एवं
    • वे कैसे दिखते थे।
  • यह उन्होंने रेडियो दूरबीनों सहित विभिन्न दूरबीनों का उपयोग करके ब्रह्मांड की गहराई से उत्पन्न होने वाले शक्तिहीन संकेतों को प्रग्रहित कर पता लगाने का प्रयत्न किया है।

 

सारस टेलीस्कोप क्या है?

  • पृष्ठभूमि: आरआरआई  में खगोलविदों द्वारा आविष्कृत एवं  निर्मित सारस 3 रेडियो टेलीस्कोप आवश्यक संवेदनशीलता तक पहुंचने वाला संपूर्ण विश्व में प्रथम टेलीस्कोप है।
  • सारस  3 रेडियो टेलीस्कोप के बारे में: सारस आरआरआई का एक उन्नत उच्च जोखिम वाला उच्च लाभ वाला प्रायोगिक प्रयास है, जिसकी शुरुआत प्रो. रवि सुब्रह्मण्यन के साथ-साथ प्रो. एन. उदय शंकर ने की है।
  • उद्देश्य: SARAS का उद्देश्य हमारे “कॉस्मिक डॉन” से समय की गहराई से अत्यंत शक्तिहीन रेडियो तरंग संकेतों का पता लगाने के लिए भारत में एक परिशुद्ध रेडियो टेलीस्कोप को डिजाइन, निर्माण तथा तैनात करना है, जब आरंभिक ब्रह्मांड में प्रथम तारे एवं आकाशगंगाएँ निर्मित हुई थीं।
  • ब्रह्माण्डीय आरंभ (कॉस्मिक डॉन) से संकेत के पृथ्वी पर आने की संभावना है जो तरंग दैर्ध्य में कई मीटर तक विस्तृत है तथा रेडियो आवृत्ति परिसर (रेडियो फ्रीक्वेंसी बैंड) 50-200 मेगाहर्ट्ज में रहने हेतु ब्रह्मांड के विस्तार के कारण आवृत्ति में कम हो गया है।
  • महत्व: सारस 3 ने ब्रह्मांड के आरंभ (कॉस्मिक डॉन) के खगोल भौतिकी की हमारी समझ में सुधार किया है, यह हमें बता रहा है कि-
    • शुरुआती आकाशगंगाओं के भीतर गैसीय पदार्थ का 3 प्रतिशत से भी कम सितारों में परिवर्तित हो गया था, एवं
    • शुरुआती आकाशगंगाएँ जो रेडियो उत्सर्जन में प्रकाशमान थी, एक्स-रे में भी मजबूत थीं, जो शुरुआती आकाशगंगाओं में और उसके आसपास ब्रह्मांडीय गैस को गर्म करती थीं।

 

सारस टेलीस्कोप में हाल के उन्नयन

  • मार्च 2020 में अपनी अंतिम तैनाती के बाद से, सारस 3 को उन्नयन की एक श्रृंखला से गुजरना पड़ा है। इन सुधारों से 21-सेमी के संकेतों का पता लगाने की दिशा में और भी अधिक संवेदनशीलता उत्पन्न होने की  संभावना है।
  • वर्तमान में, सारस टीम अपनी अगली तैनाती के लिए भारत में विभिन्न स्थलों का आकलन कर रही है।
    • ये स्थल काफी एकांत में हैं एवं तैनाती के लिए अनेक तार्किक चुनौतियों का सामना करते हैं।
    • यद्यपि, वे विज्ञान के दृष्टिकोण से आशाजनक प्रतीत होते हैं तथा नवीन उन्नयन के साथ प्रयोग के लिए आदर्श प्रतीत होते हैं।

 

सारस टेलीस्कोप के हाल के अनुप्रयोग

  • सारस 3 ने ब्रम्हांड के आरंभ (कॉस्मिक डॉन) के खगोल भौतिकी के बारे में हमारी समझ में सुधार किया है, हमें यह बताते हुए कि शुरुआती आकाशगंगाओं के भीतर 3 प्रतिशत से भी कम गैसीय पदार्थ सितारों में परिवर्तित हो गए थे।
  • सारस 3 टीम ने एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) एवं एमआईटी, यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित ईडीजीईएस रेडियो टेलीस्कोप द्वारा निर्मित किए गए कॉस्मिक डॉन से 21-सेमी के असामान्य संकेत का पता लगाने के दावों को खारिज करने के लिए उसी डेटा का उपयोग किया।
    • इस इनकार ने ब्रह्माण्ड विज्ञान के सुसंगत प्रतिमान में विश्वास को पुनर्स्थापित करने में सहायता की, जिसे दावा किए गए खोज द्वारा प्रश्नगत किया गया था।
  • परिघटनात्मक प्रतिमान (फेनोमेनोलॉजिकल मॉडल) का उपयोग करते हुए, सारस 3 रेडियो तरंग दैर्ध्य पर अतिरिक्त विकिरण की ऊपरी सीमा निर्धारित करने में सक्षम है, आर्केड (ARCADE) द्वारा निर्धारित मौजूदा सीमाओं को कम कर रहा है एवं अमेरिका में दीर्घ तरंग दैर्ध्य सरणी (लॉन्ग वेवलेंथ ऐरे/LWA) प्रयोग कर रहा है।

 

सारस टेलीस्कोप के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. सारस टेलीस्कोप क्या है?

उत्तर. सारस आरआरआई का एक उन्नत उच्च जोखिम वाला उच्च लाभ वाला प्रायोगिक प्रयास है, जिसकी शुरुआत प्रो. रवि सुब्रह्मण्यन के साथ-साथ प्रो. एन. उदय शंकर ने की।

प्र. सारस टेलीस्कोप का उद्देश्य क्या है?

उत्तर. SARAS का उद्देश्य हमारे “कॉस्मिक डॉन” से समय की गहराई से अत्यंत शक्तिहीन रेडियो तरंग संकेतों का पता लगाने के लिए भारत में एक परिशुद्ध रेडियो टेलीस्कोप को डिजाइन, निर्माण तथा तैनात करना है, जब आरंभिक ब्रह्मांड में प्रथम तारे एवं आकाशगंगाएँ निर्मित हुई थीं।

प्र. सारस टेलीस्कोप का क्या महत्व है?

उत्तर. सारस 3 ने कॉस्मिक डॉन के खगोल भौतिकी के बारे में हमारी समझ में सुधार किया है, हमें यह बताते हुए कि शुरुआती आकाशगंगाओं के भीतर गैसीय पदार्थ का 3 प्रतिशत से भी कम सितारों में परिवर्तित हो गया था।

 

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