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भारत का खिलौना उद्योग: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
भारत में खिलौना उद्योग क्षेत्र अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है एवं अन्य वैश्विक आयातों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है, विशेष रूप से चीनी खिलौना उद्योग से जो अपने सस्ते उत्पादों को भारतीय बाजारों में डंप कर देते हैं, जिससे भारतीय खिलौना उद्योग की वृद्धि एवं विकास बाधित होता है।
भारतीय खिलौना उद्योग की समझ यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 3- भारतीय अर्थव्यवस्था एवं खिलौना उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि एवं विकास) के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत का खिलौना उद्योग चर्चा में क्यों है?
- अगस्त 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक वैश्विक खिलौना केंद्र बन सकता है।
- जुलाई 2021 में, उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि लगभग 80% खिलौने आयात किए गए थे, जिसमें करोड़ों रुपये विदेश जा रहे थे, लोगों से “स्थानीय खिलौनों के लिए मुखर” होने का आह्वान किया।
भारत के खिलौना उद्योग की स्थिति
- जुलाई 2022 में, भारत का खिलौनों का निर्यात 300-400 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,600 करोड़ रुपये हो गया, जो कि “जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।”
- निर्यात में वृद्धि से परे, खिलौनों का आयात, जो 3,000 करोड़ रुपये से अधिक हुआ करता था, 70% तक गिर गया है, जो भारत के विदेशी खिलौनों – विशेष रूप से चीन पर निर्भरता में गिरावट का संकेत देता है ।
- गिरावट के पीछे एक प्रमुख कारण खिलौनों के आयात पर मूल सीमा शुल्क को 20% से बढ़ाकर 60% करना था।
- साथ ही, आयातित खिलौनों की गुणवत्ता पर कड़ी शर्तें आरोपित की गईं।
भारत का खिलौना निर्यात
- अप्रैल से अक्टूबर 2022 की अवधि में कुल निर्यात मामूली रूप से बढ़कर 363 मिलियन डॉलर हो गया, जो 2015 की समान अवधि में 178 मिलियन डॉलर था।
- इस वृद्धि के पीछे अमेरिका प्रमुख कारण था क्योंकि देश में भारत का निर्यात 44 मिलियन डॉलर से बढ़कर 144 मिलियन डॉलर हो गया।
- यूके, जर्मनी, नीदरलैंड एवं कनाडा अन्य प्रमुख गंतव्य थे।
भारत का खिलौना आयात
- चीन भारत के खिलौनों का प्रमुख स्रोत था एवं वर्तमान में भी है, यद्यपि हाल के वर्षों में आयात 300 मिलियन डॉलर से घटकर 150 मिलियन डॉलर तक आधा हो गया है।
- जापान, ताइवान, हांगकांग, नीदरलैंड एवं अमेरिका अन्य स्रोत थे किंतु वे चीन के अंश की तुलना में निष्प्रभ हैं।
- यद्यपि यह सत्य है कि चीनी खिलौनों पर भारत की निर्भरता में कमी आई है एवं हाल के महीनों में चीनी खिलौनों के निर्यात में सुधार हुआ है, निर्यात का स्तर अभी भी बहुत छोटा है एवं चीन की तुलना में लगभग 200 गुना छोटा है।
- भारत द्वारा चीन से खिलौनों के आयात पर अंकुश लगाने के कदम का पूर्व के निर्यात की मात्रा पर नगण्य प्रभाव पड़ेगा।
- भारत ने 2021 में चीन को खिलौनों के निर्यात का मात्र 0.7% भाग गठित किया एवं खिलौनों के लिए चीन का 26वां सबसे बड़ा गंतव्य था।
वैश्विक खिलौना उद्योग
- महामारी के दौरान मोदी का बार-बार स्पष्ट आह्वान ऐसे समय में आया जब कोविड-19 लॉकडाउन एवं प्रतिबंधों को देखते हुए खिलौनों की बिक्री में वैश्विक स्तर पर वृद्धि हो रही थी।
- खिलौनों का वैश्विक निर्यात 2020 में 119 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 में 158 बिलियन डॉलर हो गया, जो कि 32% की अभूतपूर्व वृद्धि है।
- इस वृद्धि के पीछे अमेरिका पुनः एक प्रमुख कारण था। 2020 में 36 बिलियन डॉलर से 2021 में 52 बिलियन डॉलर तक, अमेरिका में खिलौनों के आयात में 44% की वृद्धि देखी गई।
- जबकि जर्मनी, यू.के., फ्रांस, जापान एवं कनाडा में खिलौनों का आयात भी बढ़ गया, संयुक्त राज्य अमेरिका के आयात की तुलना में मात्रा कम हो गई।
- 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका की अधिकांश बढ़ी हुई मांग चीन द्वारा पूरी की गई, जिसने विश्व के सर्वाधिक बड़े निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति सुरक्षित बनाए रखी।
- चीन का खिलौना निर्यात 2020 में 71 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 में 101 बिलियन डॉलर हो गया, जर्मनी से कहीं आगे – जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, 2021 में 11 बिलियन डॉलर के निर्यात किए।
- चीन के खिलौनों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा गंतव्य था, जो निर्यात का 36% भाग था।
- वर्तमान में, विश्व खिलौना बाजार जिसमें अधिकांशतः अमेरिका क्रेता एवं चीन विक्रेता रहा है, अन्य प्रतिभागी आयात एवं निर्यात दोनों का एक छोटा सा अंश निर्मित करते हैं।
निष्कर्ष
- जबकि भारत के खिलौनों के निर्यात में नवीनतम उछाल मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के कारण था, अमेरिका की खिलौनों की 77% आवश्यकताओं को 2021 में चीन द्वारा पूरा किया गया था। भारत ने अमेरिका की खिलौनों की आवश्यकताओं का मात्र 0.5% पूरा किया एवं खिलौनों के लिए इसका 9वां सबसे बड़ा स्रोत था।
- इससे ज्ञात होता है कि भारत की घरेलू मांगों को पूरा करने एवं वैश्विक खिलौना उद्योग में अपनी हिस्सेदारी में वृद्धि करने के मामले में भारत के पास अपने खिलौना उद्योग के लिए अत्यंत व्यापक संभावनाएं हैं।