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यूएनएफसीसीसी में भारत का अद्यतन राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (एनडीसी)

भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

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भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) चर्चा में क्यों है?

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया हेतु भारत के अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को स्वीकृति प्रदान की है।
  • अद्यतन एनडीसी को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को सूचित किया जाएगा।

 

भारत का अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी)

  • पृष्ठभूमि: ग्लासगो शिखर सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी का सीओपी 26) में, भारतीय प्रधानमंत्री ने “पंचामृत” कहे जाने वाले पांच लक्ष्यों के माध्यम से भारत की जलवायु कार्रवाई को और गहन करने की घोषणा की थी।
    • भारत के मौजूदा एनडीसी के लिए यह अद्यतन सीओपी 26 में घोषित ‘पंचामृत’ को उन्नत जलवायु लक्ष्यों में रूपांतरित कर देता है।
  • अद्यतन एनडीसी (पंचामृत): जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने के लिए, भारत का लक्ष्य है-
    • 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना,
    • 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% पूरा करना।
    • कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी करना
    • 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन गहनता को 45% से कम करना एवं
    • 2070 तक निवल शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करना।
  • कार्यान्वयन: भारत के अद्यतन एनडीसी को संबंधित मंत्रालयों / विभागों के कार्यक्रमों एवं योजनाओं के माध्यम से तथा राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के उचित समर्थन के साथ 2021-2030 की अवधि में लागू किया जाएगा।
  • महत्व: अद्यतन एनडीसी, पेरिस समझौते के तहत सहमति के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को सशक्त करने की उपलब्धि की दिशा में भारत के योगदान को बढ़ाने का प्रयास करता है।
    • इस तरह की कार्रवाई से भारत को निम्न उत्सर्जन वृद्धि के रास्ते पर लाने में भी सहायता प्राप्त होगी।
    • यह देश के हितों की रक्षा करेगा एवं यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों तथा प्रावधानों के आधार पर इसके भविष्य की विकास आवश्यकताओं की रक्षा करेगा।
    • अद्यतन एनडीसी 2021-2030 की अवधि के लिए भारत के स्वच्छ ऊर्जा के संक्रमण हेतु रूपरेखा का भी प्रतिनिधित्व करता है।

 

अद्यतन एनडीसी की दिशा में भारत के प्रयास

  • जीवन शैली आंदोलन: ‘जीवन’- ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (‘लाइफ’-लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट) भारत द्वारा यूएनएफसीसीसी के ग्लासगो शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की कुंजी के रूप में घोषित एक जन आंदोलन है।
    • ” LIFE का दृष्टिकोण एक ऐसी जीवन शैली जीना है जो हमारे ग्रह के अनुरूप हो एवं इसे क्षति न पहुंचाए।
    • भारत का अद्यतन एनडीसी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इस नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।
  • पीएलआई योजनाएं: सरकार विनिर्माण को  को प्रोत्साहित करने एवं नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए उत्पादन सहलग्न प्रोत्साहन योजना जैसी कर रियायतें एवं प्रोत्साहन प्रदान करती है।
    • यह भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने एवं निर्यात में वृद्धि करने का अवसर प्रदान करेगा।
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति लेकर आया तथा एक व्यापक हरित हाइड्रोजन मिशन पर कार्य चल रहा है।
  • सरकार ने रूफटॉप सोलर प्लांट की स्थापना की ऑनलाइन ट्रैकिंग को सक्षम करने के लिए रूफटॉप सोलर केतु राष्ट्रीय पोर्टल का विमोचन किया है।
  • इसके अतिरिक्त, यह खंड में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के साथ-साथ अपतटीय पवन ऊर्जा के 4 गीगा वाट के लिए बोलियां जुटाएगा।
    • अकेले भारतीय रेलवे द्वारा 2030 तक निबल शून्य लक्ष्य से उत्सर्जन में वार्षिक 60 मिलियन टन की कमी आएगी।
  • इसी तरह, भारत का विशाल एलईडी बल्ब अभियान प्रतिवर्ष 40 मिलियन टन उत्सर्जन को कम कर रहा है।

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पेरिस समझौते में भारत का एनडीसी 2015

  • भारत ने 2005 के स्तर के 33-35% प्रति इकाई सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने का संकल्प लिया है।
  • भारत का लक्ष्य गैर-जीवाश्म ईंधन से स्थापित क्षमता के 40% तक पहुंचना है।
  • भारत ने 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
  • भारत ने 5 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए वन क्षेत्र में वृद्धि करने की योजना बनाई है।
  • भारत उदग्रहण एवं सहायिकी (लेवी एंड सब्सिडी) में कमी के जरिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करेगा।
  • भारत ने न्यायसंगत तथा विभेदित उत्तरदायित्व के सिद्धांतों को प्रेरित किया।
  • भारत को अपेक्षा है कि विकसित देश 2020 तक विकासशील देशों में शमन एवं अनुकूलन हेतु प्रति वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाएंगे।

 

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